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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
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स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
विवरण: बिना जाने कि क्या करना है, मस्जिद में जाना एक डरावना अनुभव हो सकता है। ये पाठ नए मुसलमानों को मस्जिद जाने को अधिक सुलभ बनाने के सबसे महत्वपूर्ण पहलुओं को सिखाएगा।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 24 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,658 (दैनिक औसत: 4)
उद्देश्य:
·मस्जिद में जाने के 12 अतिरिक्त शिष्टाचार सीखना।
अरबी शब्द:
·मस्जिद - प्रार्थना स्थल का अरबी शब्द।
·इमाम - नमाज़ पढ़ाने वाला।
·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।
·अज़ान - मुसलमानों को पांच अनिवार्य प्रार्थनाओं के लिए बुलाने का एक इस्लामी तरीका।
·नफ्ल - पूजा का एक स्वैच्छिक कार्य।
·रुकु' - नमाज में झुकने की स्थिति।
·रकात - प्रार्थना की इकाई।
·फज्र - सुबह की नमाज।
·जुहर - दोपहर की नमाज।
·सूत्रह - कोई आड़ जो व्यक्ति नमाज पढ़ते समय अपने सामने रखता है।
7. अगर व्यक्ति मस्जिद में प्रवेश करता है और नमाज शुरू हो चुकी है तो उसे उस नमाज के लिए जल्दी नहीं करना चाहिए, क्योंकि पैगंबर ने ऐसा करने से मना किया था। पैगंबर मुहम्मद ने कहा:
“अगर नमाज़ शुरू हो चुकी है, तो भागते हुए उसमें शामिल न हों, बल्कि आराम से चल कर और शांति से शामिल हों, और जितनी नमाज बची है उसे पढ़ें और जो छूट गया है उसकी भरपाई करें।" (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
यदि कोई मुसलमान नमाज़ में देर से आता है, तो उसे "अल्लाहु अकबर" कहना चाहिए और समूह में शामिल हो जाना चाहिए। अगर किसी रकअत में रुकू के बाद शामिल होता है, तो नमाज़ के बाद पूरी रकअत दोहराई जानी चाहिए। तो जब इमाम नमाज़ पढ़ा ले तो आपको खड़े होकर छूटी हुई रकअत को पूरा करना चाहिए।
पिछली पंक्ति में शामिल होना और सभी खाली स्थान को भरना उचित है। यदि पंक्ति में कोई जगह नहीं है, तो इमाम के बिलकुल सीध में पीछे नई पंक्ति शुरू करना चाहिए, और उसके बाद आने वाले लोगों को दाएं और बाएं ओर खड़े होना चाहिए। यदि पंक्ति पीछे से शुरू हो तो महिलाओं को सामने एक नई पंक्ति शुरू करनी चाहिए।
8. नमाज पढ़ते समय चुप रहना चाहिए। सामूहिक नमाज के दौरान, जब लोग नमाज पढ़ रहे हों तो बहुत शोर नहीं करना चाहिए, फिर भी नमाज के दौरान कभी-कभी लोग बाते करते रहते हैं! यदि संभव हो तो बच्चों को नमाज में अपने माता-पिता के पास रहने के लिए सिखाना चाहिए, या यदि ऐसा न हो, तो उन्हें मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए नहीं लाना चाहिए।
9. मुसलमान को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने वाले दूसरे लोगों का ध्यान नहीं भटकाना चाहिए, क्योंकि नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति अल्लाह के संपर्क में होता है। ध्यान भटकाना एक काफी गंभीर मामला है - क़ुरआन को जोर से पढ़ कर या कोई अन्य कार्यों से लोगों को परेशान नहीं करना चाहिए।
10. जो व्यक्ति मस्जिद में प्रवेश करता है तो उसे तब तक नहीं बैठना चाहिए जब तक कि वह दो रकअत न पढ़ ले। इन दो रकातो को वैसे ही पढ़ना चाहिए जैसे आप अनिवार्य फज्र की नमाज के दो रकअत पढ़ते हैं। दो रकअत नमाज पढ़ने का कारण है कि बैठने से पहले मस्जिद का सम्मान करना। पैगंबर ने कहा:
“जब आप में से कोई मस्जिद में प्रवेश करे, तो उसे बैठने से पहले दो रकअत नमाज़ पढ़नी चाहिए।" (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
11. यदि कोई व्यक्ति अकेले नमाज पढ़ रहा है (वैकल्पिक प्रार्थना या अनिवार्य प्रार्थना), तो उसे नमाज पढ़ने के दौरान अपने और आने जाने वाले लोगो के बीच आड़ के लिए सामने कुछ रखना चाहिए। यह एक कुर्सी, दीवार या कोई स्तंभ हो सकता है। उसे भी इसके थोड़ा करीब आना चाहिए जैसा कि पैगंबर करते थे। पैगंबर मुहम्मद ने कहा:
"यदि आप नमाज पढ़ते हैं, तो एक सूत्रह (आड़) की ओर नमाज पढ़ें और उसके करीब पहुंचें।" (अबू दाऊद )
समूह में नमाज़ पढ़ते समय व्यक्ति को आड़ करने की आवश्यक नहीं है, सिर्फ इमाम के आगे आड़ होना चाहिए जो अन्य लोगो के लिए भी आड़ की तरह काम करेगा।
12. मुसलमानों को नमाज़ पढ़ने वाले व्यक्ति के सामने से नहीं गुजरना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति एक सूत्रह (आड़) के साथ प्रार्थना कर रहा है, मान लीजिए कि एक कुर्सी के पीछे, तो आप व्यक्ति और कुर्सी के बीच से नहीं गुजर सकते, लेकिन कुर्सी के आगे से जा सकते हैं। पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "यदि कोई नमाज पढ़ने वाले के सामने गुजरने का पाप जानता, तो वह उसके सामने से गुजरने के बजाय चालीस प्रतीक्षा करता।" हदीस बताने वाले में से एक अबू अल-नादर ने कहा: "मुझे ठीक से याद नहीं है कि उन्होंने चालीस दिन, महीने या साल कहा था।" (बुखारी, मुस्लिम)
13. मस्जिद में जहां जगह मिल जाये वहीं बैठ जाना चाहिए। मुसलमान को व्यक्ति के ऊपर से कूद कर नहीं जाना चाहिए या पहले से बैठे दो लोगों के बीच से हो कर नहीं जाना चाहिए ताकि उन्हें परेशानी या नुकसान न पहुंचे। पैगंबर के कई हदीस इस अर्थ को व्यक्त करते हैं।
14. बाते करने और गपशप करने के बजाय, एक मुसलमान के लिए बेहतर है कि वह खुद को दुआ और अल्लाह की याद में व्यस्त रखे, क्योंकि जब तक वह नमाज़ का इंतज़ार कर रहा होता है उसे नमाज़ में माना जाता है।
15. मुसलमान को चाहिए कि वह मस्जिद को साफ सुथरा और सुगन्धित रखे क्योंकि यह अल्लाह का घर है। पैगंबर ने मस्जिद में थूकना एक पाप माना, जिसे तभी माफ किया जा सकता है जब मुसलमान थूकने वाली जगह को साफ कर दे। इस्लाम के पैगंबर ने कहा:
“मस्जिद में थूकना पाप है और इसका पश्चाताप उसे साफ करना है।" (सहीह मुस्लिम)
पैगंबर के साथी मस्जिद को साफ रखते थे, जैसे प्रसिद्ध साथी इब्न उमर मस्जिद के अंदर इत्र डालते थे जब उनके पिता उमर शुक्रवार का उपदेश देने के लिए उपदेश-मंच पर बैठते थे (अबू दाऊद)। पारंपरिक अगरबत्ती या आधुनिक समय का स्प्रे और बिजली के उपकरणों का उपयोग इस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है।
16. अज़ान होने के बाद मुसलमान को अन्य मुसलमानों के साथ समूह मे नमाज पढ़े बिना मस्जिद से बाहर नहीं आना चाहिए। उदाहरण के लिए, मान लें कि आपने घर पर या किसी अन्य मस्जिद में पहले जुहर की नमाज़ पढ़ ली, फिर आप किसी अन्य मस्जिद में जाते हैं जहां जुहर की अज़ान हो जाए। यह एक नफ़ल (अतिरिक्त/वैकल्पिक) नमाज मानी जाएगी, भले ही आप इसे समूह में पढ़ें। आपका इरादा नफ़ल नमाज़ का होगा, जबकि अन्य इसे अनिवार्य जुहर की नमाज़ के इरादे से पढ़ेंगे।
17. अज़ान को सुनना और पुकारने वाले के बाद उसे दोहराना उचित है। सब कुछ दोहराएं, सिवाय इसके कि जब वह कहे:
“हय्या 'अलस-सलाह" (आओ नमाज की ओर) और
“हय्या अलल-फलाह" (आओ कामयाबी की ओर)।
यहां आपको कहना चाहिए: "ला हवला व ला कुव्वता 'इल्ला बिल्लाह" (अल्लाह के अलावा कोई शक्तिशाली नही है और कोई ताकत नही है)। (बुखारी, मुस्लिम)
अज़ान को दोहराना एक पुरस्कृत कार्य है, हालांकि यह वैकल्पिक है।
18. मुसलमान को मस्जिद से बाहर निकलते समय पहले अपना बायां पैर निकालना चाहिए और वह कहना चाहिए जो पैगंबर मुहम्मद कहते थे:
“अल्लाहुम्मा इन्नी अस-अलुका मिन फज़लिका।”
“ऐ अल्लाह, मैं आपकी कृपा चाहता हूं।" (सहीह मुस्लिम)
यह प्रार्थना वैकल्पिक है, हालांकि इसे पढ़ना एक पुरस्कृत कार्य है।
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
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मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
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