माहवारी
विवरण: महिलाओं को होने वाले तीन प्रकार के रक्तस्राव के संबंध में इस्लामी नियमों पर एक गहन पाठ। बताये गए नियम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे पूजा के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं से संबंधित हैं।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 24 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,648 (दैनिक औसत: 4)
उद्देश्य
·मासिक धर्म, प्रसवोत्तर रक्तस्राव और असामान्य रक्तस्राव के बीच अंतर करना।
·मासिक धर्म या प्रसव के बाद रक्तस्राव होने पर महिलाओं के लिए निषिद्ध और करने योग्य कार्यो के बारे मे जानना।
·मासिक धर्म की समाप्ति और मासिक धर्म के बाद होने वाले स्राव के बारे मे कैसे जाने।
अरबी शब्द
·ग़ुस्ल - अनुष्ठान स्नान।
·फज्र, जुहर, अस्र, मगरिब, ईशा - इस्लाम में पांच दैनिक प्रार्थनाओं के नाम।
·रकात - प्रार्थना की इकाई।
·दुआ - प्रार्थना, अल्लाह से मांगना।
·जिक्र - (बहुवचन: अज़कार) अल्लाह की याद।
·रमजान - इस्लामी चंद्र कैलेंडर का नौवां महीना। यह वह महीना है जिसमें अनिवार्य उपवास निर्धारित किया गया है।
परिचय
महिलाओं को होने वाले तीन प्रकार के रक्तस्राव के लिए इस्लाम में विशेष नियम हैं, जो कि मासिक धर्म, प्रसवोत्तर रक्तस्राव और असामान्य रक्तस्राव हैं। महिलाओं को प्रत्येक प्रकार से संबंधित नियमों को समझना चाहिए, क्योंकि वे पूजा के महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे कि शुद्धि, प्रार्थना और उपवास से संबंधित हैं। यह पाठ प्रत्येक प्रकार के रक्तस्राव के लिए प्रासंगिक सबसे महत्वपूर्ण नियमों की व्याख्या करने का प्रयास करेगा।
माहवारी
मासिक धर्म योनि के माध्यम से रक्त और ऊतक का निकलना है जो मासिक चक्र पर निकलता है, न कि विशिष्ट घटनाओं जैसे कि जन्म या हाइमन के टूटने के कारण। मासिक धर्म आमतौर पर महीने में एक बार होता है और कई दिनों तक रहता है। मासिक धर्म के प्रवाह के कारण रक्त की हानि महीने दर महीने भिन्न हो सकती है। मासिक धर्म प्रवाह को अवशोषित करने के लिए महिलाएं आमतौर पर सैनिटरी नैपकिन (पैड) या टैम्पोन का उपयोग करती हैं। मासिक धर्म का रक्त लगभग हमेशा गहरे रंग का होता है और चमकीला नहीं।
प्रसव के बाद रक्तस्राव
ऐसा रक्तस्राव प्रसव या गर्भपात के बाद होता है। इसकी कोई न्यूनतम अवधि नहीं है, लेकिन यह चालीस दिनों तक भी चल सकता है। उम्म सलामा ने कहा:
“पैगंबर के जीवनकाल के दौरान, प्रसव के बाद की महिला चालीस दिनों के लिए खुद को अलग कर लेती थी।” (अल-बुखारी)
प्रसव के बाद रक्तस्राव होने पर महिला को चालीस दिनों तक प्रार्थना करने की आज्ञा नहीं है, लेकिन अगर उसके पहले रक्तस्राव बंद हो जाए तो कर सकती है। यदि उस समय से पहले उसका रक्तस्राव बंद हो जाता है, तो उसे ग़ुस्ल (अनुष्ठान स्नान) करना चाहिए और प्रार्थना करना शुरू कर देना चाहिए। यदि चालीस दिनों के बाद भी उसे रक्तस्राव दिखाई देता है, तो अधिकांश विद्वानों का कहना है कि उसे प्रार्थना करना शुरू कर देना चाहिए। प्रसवोत्तर रक्तस्राव का रक्त भी लगभग हमेशा गहरे रंग का होता है।
निषिद्ध कार्य
दैवीय ज्ञान ने रक्तस्राव से जुड़े विभिन्न कारणों से महिलाओं को कुछ धार्मिक कर्तव्यों से छूट दी है। निम्नलिखित उन कार्यो की सूची है जो मासिक धर्म और प्रसव के बाद के रक्तस्राव के दौरान निषिद्ध हैं:
(1) औपचारिक प्रार्थना (नमाज)
मासिक धर्म या प्रसव के बाद रक्तस्राव होने पर महिला को नमाज़ नहीं पढ़नी चाहिए, चाहे वह अनिवार्य हो या स्वैच्छिक, और जो प्रार्थनाएं इस कारण से छूट जाती हैं, उन्हें बाद में पूरा नहीं करना चाहिए।
यदि उसका रक्त प्रवाह एक निश्चित प्रार्थना के समय के बाद शुरू होता है, उदाहरण के लिए अगर जुहर की नमाज के समय के आधे घंटे बाद, तो रक्त प्रवाह समाप्त होने के बाद उसे उस जुहर की नमाज़ को पढ़नी चाहिए, क्योंकि वह उस समय पवित्र थी जब वह नमाज़ उस पर अनिवार्य हुई थी। हालांकि, उसे उन प्रार्थनाओं को पूरा नहीं करना चाहिए जो उससे रक्त प्रवाह के दौरान छूटी थीं।[1]
यदि अनुष्ठान स्नान करने के बाद कम से कम एक रकात (प्रार्थना की इकाई) प्रार्थना करने के लिए पर्याप्त समय बचा है , तो उसे उस प्रार्थना को करना चाहिए, क्योंकि पैगंबर ने कहा:
“जिस व्यक्ति को सूरज उगने से पहले एक इकाई (रकात) पढ़ने का समय मिला, उसे फज्र की नमाज़ पढ़ना चाहिए, और जिसे सूरज डूबने से पहले एक रकात का समय मिला, उसे अस्र की नमाज़ पढ़ना चाहिए।” (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
उदाहरण : यदि वह अस्र के समय रक्तस्राव समाप्त होने के बाद अनुष्ठान स्नान करती है और उसके पास एक रकात पढ़ने का पर्याप्त समय बचा है, तो उसे अस्र की नमाज़ पढ़नी चाहिए।
(2) उपवास
मासिक धर्म या प्रसवोत्तर रक्तस्राव वाली महिला के लिए उपवास करना मना है, चाहे वह रमज़ान के उपवास हो या स्वेच्छा से करने वाले उपवास, लेकिन औपचारिक प्रार्थनाओं के विपरीत उसे रमज़ान के छूटे हुए उपवासों को बाद में पूरा करना चाहिए।
(3) संभोग
मासिक धर्म या प्रसवोत्तर रक्तस्राव के दौरान संभोग करना मना है, हालांकि अन्य प्रकार की अंतरंगता की अनुमति है। जहां तक गुदा मैथुन की बात है तो यह हर समय वर्जित है। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) से पूछा गया था, "मासिक धर्म होने पर मुझे अपनी पत्नी के साथ क्या करने की अनुमति है?" उन्होंने कहा:
“संभोग को छोड़कर अपनी इच्छानुसार करें।” (मुस्लिम)
(4) क़ुरआन की प्रति को छूना
जब कोई अशुद्धता की स्थिति में हो तो क़ुरआन की प्रति को छूना मना है, क्योंकि अल्लाह कहता है:
“… इसे पवित्र लोग ही छूते हैं।” (क़ुरआन 56:79)
पैगंबर ने यमन के लोगों से कहा:
“पवित्र व्यक्ति को छोड़कर किसी को भी क़ुरआन को नहीं छूना चाहिए।” (मलिक, अन-नासाई, इब्न हिब्बान, अल-बयहाकी)
करने योग्य कार्य
(1) याद किया हुआ क़ुरआन पढ़ना।
(2) दुआ (अल्लाह से मांगना)।
(3) अज़कार करना: सुभान-अल्लाह, अल्लाहु अकबर, जैसे अन्य विशिष्ट शब्दों के साथ अल्लाह को याद करना।
(4) हदीस या कोई अन्य इस्लामी किताबें पढ़ना।
यह ध्यान रखना चाहिए कि क़ुरआन के अनुवाद को पढ़ना और छूना जायज़ है, क्योंकि यह अल्लाह का शब्द नहीं है, बल्कि इसके अर्थों का अनुवाद है, भले ही यह अरबी मे हो।
मासिक धर्म की समाप्ति
एक महिला अपने रक्तस्राव की समाप्ति दो चीजों से पता लगा सकती है:
1. सफेद स्राव जो यह इंगित करता है कि रक्तस्राव समाप्त हो गया है।
2. अगर किसी महिला को यह सफेद स्राव नहीं होता है तो पूर्ण सूखापन से पता चलता है। ऐसे में वह सफेद रुई का एक टुकड़ा या कुछ ऐसा ही डालने से पता लगा सकती है कि उसका खून बह रहा है या नहीं; यदि रुई साफ रहती है, तो उसका रक्तस्राव समाप्त हो गया है। यदि यह लाल, पीला या भूरा निकलता है, तो उसका रक्तस्राव समाप्त नहीं हुआ है।
रक्तस्राव समाप्त होने के बाद एक महिला को प्रार्थना करने, उपवास करने या अपने पति के साथ यौन संबंध बनाने से पहले अनुष्ठान स्नान करना चाहिए। वह अपने रक्तस्राव के दौरान स्नान कर सकती है, लेकिन यहां हम एक अलग अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) की बात कर रहे हैं, जो पूजा फिर से शुरू करने के लिए रक्तस्राव समाप्त होने पर करना चाहिए।
स्वयं को शुद्ध करने के बाद खून की बूंदें
उम्म अतिय्याह ने कहा: "हम मासिक धर्म की समाप्ति को दर्शाने वाले सफेद स्राव के बाद पीले और भूरे रंग के स्राव को नहीं मानते थे।" इसी के आधार पर मासिक धर्म से पहले आने वाला यह भूरे रंग का स्राव मासिक धर्म का हिस्सा नहीं है, खासकर अगर यह मासिक धर्म के सामान्य समय से पहले आता है और मासिक धर्म के कोई अन्य लक्षण नहीं हैं जैसे कि ऐंठन, पीठ दर्द, आदि। तो यह उसके लिए बेहतर है कि वो उन प्रार्थना को पूरा करे जो इस समय उसने छोड़ी थी।
यदि किसी महिला का मासिक धर्म समाप्त हो जाता है और उसे सफेद स्राव दिखाई देता है जो दर्शाता है कि उसका मासिक धर्म वास्तव में समाप्त हो गया है, तो उसके बाद दिखाई देने वाला भूरा या पीलापन, या कोई बूंद या गीलापन मासिक धर्म नहीं है, इसलिए वह प्रार्थना, उपवास या अपने पति के साथ संभोग कर सकती है। लेकिन उसे तब तक जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए जब तक कि वह यह न देख ले कि वह शुद्ध है, क्योंकि कुछ महिलाएं रक्तस्राव कम हो जाने पर सफेद स्राव देखे बिना स्नान करने की जल्दबाजी करती हैं।
इसके अलावा, यदि किसी महिला का एक निश्चित दिनों का नियमित चक्र है, तो उसके बाद दिखाई देने वाले किसी भी रक्त को झूठा मासिक धर्म माना जाता है, और उसे अनुष्ठान स्नान करना चाहिए और प्रार्थना करनी चाहिए, भले ही उसने कोई सफेद स्राव देखा हो या न देखा हो। असामान्य रक्तस्राव को भी झूठा माहवारी माना जाता है।
फुटनोट:
[1] पैगंबर ने कहा, "... जब उसे मासिक धर्म हो तो वह प्रार्थना या उपवास नहीं कर सकती है।” (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)
पिछला पाठ: पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
अगला पाठ: इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या