पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
विवरण: पैगंबर अय्यूब के जीवन की घटनाएं मूल्यवान सबक सिखाती हैं जो आज के समय मे भी वैसे ही लागू होती है जैसा वो अय्यूब के समय मे थीं।
द्वारा Aisha Stacey (© 2012 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य:
·पैगंबर अय्यूब के जीवन की कई घटनाओं को जानना और उन पर चर्चा करना कि 21वी शताब्दी के मुसलमान होने के नाते हम इन घटनाओं से क्या सीख सकते हैं और अपने जीवन मे क्या लागू कर सकते हैं।
अरबी शब्द:
·अय्यूब - पैगंबर जॉब का अरबी शब्द।
·सब्र - धैर्य और यह एक मूल शब्द से आया है जिसका अर्थ है रुकना या बचना।
·शैतान - यह इस्लाम और अरबी भाषा में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो शैतान यानि बुराई की पहचान को दर्शाता है।
·जिन्न - अल्लाह की एक रचना जो मानवजाति से पहले धुआं रहित आग से बनाई गई थी। उन्हें कभी-कभी आत्मा, बंशी, पोल्टरजिस्ट, प्रेत आदि के रूप में संदर्भित किया जाता है।
अल्लाह के सभी पैगंबरो का जीवन सबक से भरा हुआ है। कुछ सबक आज भी उतने ही लागू होते हैं जितने वे उस युग में थे। पैगंबर सीखने और समझने के सबक और संदेश और कानून के साथ आए थे। कभी-कभी किसी विशेष समय और स्थान के लिए कानून बदले गए थे लेकिन उनका जो मुख्य संदेश था वह एक ही था। उन्होंने अपने लोगों को निर्देश दिया कि वे केवल ईश्वर की उपासना करें, और उसके साथ किसी भी चीज़ या किसी व्यक्ति को उपासना में शामिल न करें। पैगंबरों के जीवन की कहानियां इस्लाम के इस बुनियादी सिद्धांत पर जोर देती हैं कि ईश्वर एक है।
पैगंबर अय्यूब की कहानी दूसरों से थोड़ी अलग है जैसा की हम जानते हैं। उनकी कहानी के माध्यम से, हम मानव जाति के संघर्ष को अधिक व्यक्तिगत स्तर पर देखते हैं। अल्लाह ने हमें अय्यूब के प्रचार के तरीकों के बारे में नहीं बताता या उनके जाती के लोगों ने उनकी चेतावनियों और नसीहत पर कैसी प्रतिक्रिया दी थी। ईश्वर हमें अय्यूब के लोगों के भाग्य के बारे में नहीं बताते हैं। इसके बजाय, ईश्वर हमें अय्यूब के सब्र के बारे में बताता है। सर्वशक्तिमान ईश्वर यह कहकर अय्यूब की प्रशंसा करता है, “वास्तव मे, हमने उसे पाया धैर्यवान। निश्चय, वह बड़ा ध्यानमग्न था।” (क़ुरआन 38:44)
सबक 1
सब्र रखना
इस समय शायद आप सोच रहे हैं कि इस श्रृंखला के पाठों में हमने अब तक जितने भी पैगंबरो के बारे में बताया है, वो सब सब्र रखने वाले थे और निश्चित रूप से आप सही हैं। यह सीखने और पालन करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पाठों में से एक है। हालांकि अल्लाह ने कुछ चीज़ों को बताने के लिए पैगंबर अय्यूब की कहानी का उपयोग किया है जिसे अल्लाह के अन्य पैगंबरो और उनके धैर्य के अध्ययन में लोग अनदेखा कर सकते हैं। अय्यूब की कहानी है सब्र की, इसमें कोई संदेह नहीं है, हालांकि इसमें मिनटों, घंटों या दिनों का धैर्य नहीं है। पैगंबर अय्यूब वर्षों से धैर्यवान थे, यहां तक कि कुछ समय के लिए भी उन्होंने धैर्य नही छोड़ा था। विद्वान वर्षों की संख्या के बारे में भिन्न हैं लेकिन ऐसा लगता है कि सात वर्ष न्यूनतम संख्या है। पैगंबर अय्यूब ने सभी कठिनाइयों को धैर्य के साथ सहन किया। पैगंबर अय्यूब की पीड़ा और अटूट धैर्य के बारे में अधिक जानने के लिए, कृपया देखें:
http://www.islamreligion.com/articles/2721/
सबक 2
क्या हमारी ईमानदारी और अल्लाह की पूजा अल्लाह के आशीर्वाद पर निर्भर है?
सुख और दुख दोनों ही अल्लाह की ओर से परीक्षा हैं। हम परीक्षाओं का सामना करते हैं और हम जीत का अनुभव करते हैं। जब हम अपने जीत के समय में अल्लाह को याद करते हैं, तो क्या हम नुकसान या पीड़ा के समय भी ईमानदारी से पूजा करेंगे। शैतान इसी चीज़ का पता लगाने के लिए कहता है कि अल्लाह ने अय्यूब से उसका धन, स्वास्थ्य और परिवार छीन लिया है। अय्यूब हमेशा दैनिक प्रार्थना करता था और अक्सर अल्लाह को उनके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद देता था, लेकिन शैतान को विश्वास था कि जब अय्यूब को पीड़ा, बीमारी और संकट का सामना करना पड़ेगा तो वह अपने ईश्वर से दूर हो जाएगा। अल्लाह जानता था कि उसका वफादार दास कभी भी अपने विश्वास से दूर नहीं होगा, इसलिए अल्लाह ने शैतान को कई विपत्तियों के साथ अय्यूब को पीड़ित करने की अनुमति दी।
अल्लाह यह बहुत स्पष्ट करता है कि बच्चे और धन इस संक्षिप्त जीवन का आभूषण मात्र है और वह उनके जरिये हमारी परीक्षा लेगा।
धन और पुत्र सांसारिक जीवन की शोभा हैं और शेष रह जाने वाले सत्कर्म ही अच्छे हैं, आपके पालनहार के यहां प्रतिफल में तथा अच्छे हैं, आशा रखने के लिए। (क़ुरआन 18:46)
वह जीवन के इस आभूषण को हमसे उतनी ही आसानी से छीन सकता है जितनी आसानी से वो हमें देता है, इस प्रकार हमें कभी भी इस सांसारिक जीवन पर भरोसा नहीं करना चाहिए, या सुरक्षित महसूस नहीं करना चाहिए। अय्यूब की कहानी में, अल्लाह हमें सिखाता है कि सांसारिक खजाने अंततः बेकार हैं; इसलिए इस भौतिक जीवन के आभूषणों को कभी भी अपने हृदय पर हावी न होने दें और न ही महत्वपूर्ण चीज़ों से नज़रें हटाएं। भौतिक क्षेत्र को वरीयता न दें और अपनी पूजा और श्रद्धा सिर्फ अपने निर्माता के लिए रखें।
सबक 3
अल्लाह की मर्जी के बिना कुछ नहीं होता है।
शैतान को सबक सिखाने के लिए अल्लाह ने पैगंबर अय्यूब के जीवन का इस्तेमाल किया। यह एक सबक है जिससे हम भी लाभ उठा सकते हैं। सबक यह है कि अल्लाह सभी मामलों का नियंत्रक है। इंसान, जिन्न या शैतान साजिश कर सकते हैं, या बस योजना बना सकते हैं, लेकिन उनमें से कोई भी अल्लाह की अनुमति के बिना सफल नहीं हो सकता। जब आप पैगंबर अय्यूब की पूरी कहानी पढ़ेंगे तो आप देखेंगे कि शैतान इस बात को जानता था और उसने पैगंबर अय्यूब की परीक्षा लेने की अनुमति मांगी थी।
पैगंबर अय्यूब को पता था कि जो भी विपत्तियां उन पर आई हैं, वे अल्लाह की अनुमति से हो रही हैं। उन्हें अल्लाह की दया पर भी पूरा भरोसा था, यह जानते हुए कि अगर वह अल्लाह से प्यार करेंगे और उन पर और भी अधिक भरोसा करेंगे, तो विपत्ति के समय में उन्हें अत्यधिक प्रतिफल मिलेगा।
“मुझे रोग लग गया है और तू सबसे अधिक दयावान् है। तो हमने उसकी गुहार सुन ली और दूर कर दिया, जो दुख उसे था और प्रदान कर दिया उसे उसका परिवार तथा उतने ही और उनके साथ, अपनी विशेष दया से तथा शिक्षा के लिए उपासकों की। (क़ुरआन 21:83-84)
अय्यूब की कहानी और उससे हमें जो सबक मिलता है उसे हमेशा याद रखना चाहिए। जब हम शिकायत करते हैं और हमें परेशान करने वाली छोटी-छोटी चीजों के बारे में चिल्लाते हैं और छोटी-छोटी बातो को बड़ी निराशा में बदल देते हैं, तो हमें पैगंबर अय्यूब के अटूट विश्वास और आस्था के बारे में सोचना चाहिए। शैतान हमारे दिमाग, भावनाओं और कमजोरियों के साथ खेलेगा लेकिन हमारी शरण केवल अल्लाह के पास है, जो हमें हमारे धैर्य और दृढ़ता के लिए पुरस्कृत करेगा। हालंकि हम जानते हैं कि हमारा असली इनाम परलोक मे है, लेकिन अल्लाह जो चाहता है वही करता है और हमें इस दुनिया में भी इनाम दे सकता है।
पैगंबर मुहम्मद की परंपरायें पैगंबर अय्यूब की कहानी का अगला भाग है। “एक बार जब पैगंबर अय्यूब नग्न अवस्था में स्नान कर रहे थे, तो अचानक बड़ी संख्या में सोने की टिड्डियां उन पर गिरने लगीं और उन्होंने उन्हें अपने कपड़ों में इकट्ठा करना शुरू कर दिया। उनके रब ने कहा, 'ऐ अय्यूब! क्या मैंने तुम्हें इतना अमीर नहीं बनाया कि जो कुछ तुम अभी देख रहे हो उसे छोड़ दो?' अय्यूब ने कहा, 'हां, ऐ ईश्वर! लेकिन मैं आपके आशीर्वाद को नही छोड़ सकता'”[1]
हालांकि अल्लाह ने पैगंबर अय्यूब पर अनगिनत आशीर्वाद बरसाए, लेकिन उन्होंने किसी भी आशीर्वाद को नज़रअंदाज़ नहीं किया और न ही ये सोचा की ये आशीर्वाद हमेशा के लिए है क्योंकि वह जानते थे कि वो समय आ सकता है जब अल्लाह अपनी मर्जी से अपने आशीर्वाद को रोक सकता है।
हम में से कोई भी अपने ईश्वर के अशीर्वादो को त्यागने या उन्हें हल्के में लेने का जोखिम नहीं उठा सकता है, इस प्रकार हमें याद रखना चाहिए कि अल्लाह जो चाहता है वह करता है और हमें वही देता है जो अंततः हमारे लिए अच्छा है।
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