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स्वैच्छिक प्रार्थना

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विवरण: इस पाठ में स्वैच्छिक प्रार्थना यानि नफ्ल की मूल बातें सिखाई जाएंगी।

द्वारा Imam Mufti (© 2013 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

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इस पाठ में स्वैच्छिक नमाज़ यानि नफ्ल की मूल बातें सिखाई जाएंगी।

उद्देश्य

·नफ्ल और फ़र्ज़ नमाज़ में फर्क समझना।

·नफ्ल नमाज़ के लाभों को समझना।

·आमतौर पर की जाने वाली स्वैच्छिक नमाज़ों के बारे में जानना।

अरबी शब्द

·फज्र, ज़ुहर, असर, मगरिब, ईशा - इस्लाम में पांच दैनिक नमाज़ों के नाम।

·फ़र्ज़ - एक अनिवार्य कर्तव्य।

·नफ्ल - नमाज़ का एक स्वैच्छिक कार्य।

·अस-सुनन अर-रावातिब - दैनिक अनिवार्य नमाज़ों से पहले और बाद में पैगंबर द्वारा की गई अतिरिक्त नमाज़ें।

·रकात - प्रार्थना की इकाई।

·तसलीम - नमाज़ के आखिर मे शांति का सलाम।

·दुहा - दिन के समय की जाने वाली वैकल्पिक नमाज़ का नाम।

VoluntaryPrayers.jpgसबसे पहले काम फ़र्ज़ और नफ्ल के बीच का अंतर समझना है। फ़र्ज़ अनिवार्य है, और अल्लाह ने हमें इसे करने का आदेश दिया है, और इसे छोड़ना पाप है और इसके लिए हमें जिम्मेदार ठहराया जाएगा। एक उदाहरण फज्र की नमाज़ की दो रकात है। नफ्ल का शाब्दिक अर्थ है 'अतिरिक्त'। मुसलमान को नफ्ल नमाज़ करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति पर निर्भर है कि वह इसे करे या न करे। यह वैकल्पिक और स्वैच्छिक है। यदि मुसलमान नफ्ल नही करता है तो उसे पाप नही होगा, लेकिन अगर करता है तो उसे पुरस्कृत किया जायेगा। इसलिए नफ्ल नमाज़ करने की सलाह दी जाती है। इस पाठ मे नफ़्ल नमाज़ के उदाहरण बताये जायेंगे।

स्वैच्छिक नमाज़ के बारे में एक सलाह। इसे धीरे-धीरे अपनी दैनिक अनिवार्य प्रार्थनाओं में शामिल करें। आपको सबसे पहले पांच आवश्यक दैनिक नमाज़ों पर ध्यान देना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि आप उन्हें नियमित रूप से और समय पर करें। स्वैच्छिक नमाज़ को चरण दर चरण जोड़ें, खुद पर बोझ न डालें और साथ ही स्वैच्छिक नमाज़ों को न छोड़ें।

नफ़्ल नमाज़ के फ़ायदे

पैगंबर ने कहा: "पुनरुत्थान के दिन लोगों से सबसे पहले नमाज का हिसाब लिया जायेगा। हालांकि हमारा ईश्वर बेहतर जानता है, लेकिन वो स्वर्गदूतो से कहेगा: 'मेरे दासों की नमाज (औपचारिक अनिवार्य प्रार्थना) को देखो कि क्या उसने इसे पूरी तरह से किया है या इसमें लापरवाही की है।' तो अगर उसने इसे पूरी तरह से किया होगा तो यह उसके हिसाब मे जोड़ दिया जाएगा, लेकिन अगर उसने इसमे लापरवाही की होगी, तो अल्लाह कहेगा: 'देखो क्या मेरे दास ने कोई स्वैच्छिक नमाज की है या नहीं।' फिर अगर उसने कोई स्वैच्छिक नमाज की होगी, तो अल्लाह कहेगा: 'मेरे दास की अनिवार्य नमाज में जो कमी है उसको उसकी स्वैच्छिक नमाजो से पूरा करो।' उसके बाद उसके सभी कर्मो की इसी तरह जांच की जाएगी” (अबू दाऊद)।

दो प्रकार के नफ़्ल नमाज़

ए) सामान्य नफ़्ल नमाज़: कोई जब चाहे तब ये नमाज़ पढ़ सकता है और ये बिना किसी कारण या उद्देश्य के हो सकता है, न ही इसकी कोई सीमा निर्धारित है। हालांकि यह ध्यान देना चाहिए कि सामान्य नफ़्ल की नमाज़ उस समय नहीं पढ़नी चाहिए जब स्वैच्छिक नमाज़ पढ़ना निषिद्ध या नापसंद हो।

बी) विशिष्ट नफ़्ल नमाज़: ये नमाज़ किसी खास कारण या उद्देश्य से जुड़ी होती है।

आमतौर पर पढ़ी जाने वाली विशिष्ट नफ्ल नमाजो के उदाहरण

अस-सुनन अर-रावातिब (अक्सर इसे 'सुन्नत नमाज' कहा जाता है)

ये स्वैच्छिक नमाज है जो अनिवार्य नमाजों से जुड़ी होती है और इसकी एक विशिष्ट क्रम और संख्या होती है। आमतौर पर पढ़ी जाने वाली स्वैच्छिक नमाज की सूची नीचे दी गई है:

नमाज का नाम

फ़र्ज़ नमाज़ की रकात

फ़र्ज़ से पहले 'सुन्नत नमाज़' की रकात

फ़र्ज़ के बाद 'सुन्नत नमाज़' की रकात

फज्र

2

2

ज़ुहर

4

4 (2+2)

2

असर

4

मगरिब

3

2

ईशा

4

2

अल्लाह के दूत ने कहा: "जो कोई दिन और रात में बारह रकात पढ़ता है, उसके लिए स्वर्ग में एक घर बनाया जाएगा: ज़ुहर से पहले चार रकात और उसके बाद दो , मगरिब के बाद दो रकात, ईशा के बाद दो रकात और फज्र से पहले दो रकात।" (तिर्मिज़ी)

पैगंबर ने अनिवार्य फज्र की नमाज़ से पहले की दो रकात के बारे मे कहा, "ये मुझे पूरी दुनिया से ज्यादा प्यारे हैं।" (सहीह मुस्लिम)

“पैगंबर ने किसी भी परिस्थिति में ज़ुहर से पहले चार रकात और फज्र से पहले दो रकात की नमाज़ पढ़ना कभी नहीं छोड़ा।" (सहीह अल-बुखारी)

वित्र की नमाज़

पैगंबर ने वित्र की नमाज़ पढ़ी और दूसरों को पढ़ने की सलाह दी। यह एक नफ़्ल है और अत्यधिक पुण्य वाली वैकल्पिक प्रार्थना है, और कुछ विद्वानों के अनुसार यह एक आवश्यक प्रार्थना है।

यह ईशा की नमाज के बाद पढ़ी जाती है और इसे फज्र की नमाज शुरू होने से पहले तक पढ़ सकते हैं।

वित्र की नमाज़ ऐसे पढ़ने की अनुमति है:

1.इसे किसी भी अन्य दो रकात नमाज की तरह पढ़ो और तसलीम के साथ समाप्त करो, और फिर एक और रकात पढ़ो और तसलीम के साथ नमाज़ को समाप्त करो।

2.इसकी तीन रकातों को एक साथ पढ़ो (मग़रिब की तरह दूसरी रकात के बाद बैठे बिना) और फिर तसलीम के साथ नमाज़ समाप्त करो।

3.एक रकात और नमाज़ को तसलीम के साथ समाप्त करना।

तहिया-तुल-मस्जिद (मस्जिद में प्रवेश करने की नमाज़)

यह वो नमाज़ है जिसमे मस्जिद में प्रवेश करने पर दो रकात नफ़्ल पढ़ी जाती है। अल्लाह के दूत ने कहा, "यदि आप में से कोई मस्जिद में प्रवेश करे, तो उसे बैठने से पहले दो रकात नमाज़ पढ़ना चाहिए।" (सहीह अल-बुखारी)

सलात अत-तौबा (पश्चाताप की प्रार्थना)

अल्लाह के दूत ने कहा, "ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो पाप करने पर खुद को शुद्ध करने के लिए दो रकात नमाज़ पढ़े और फिर अल्लाह से माफ़ी मांगे और अल्लाह उसे माफ़ न करे" (अबू दाउद, तिर्मिज़ी, इब्न माजा)

दुहा की नमाज़

अबू ज़र बताता है कि पैगंबर ने कहा: "आपके शरीर के हर हिस्से से प्रतिदिन दान की आवश्यकता होती है। सुभानल्लाह - अल्लाह धन्य है - कहना दान है। अल्हम्दुलिल्लाह - ऐ अल्लाह तेरा शुक्र है - कहना दान है। 'ला इलाहा इल्लल्लाह' - अल्लाह के सिवा कोई सच्चा ईश्वर नही है - कहना दान है।' अल्लाहु अकबर -अल्लाह सबसे महान है - कहना दान है। अच्छा आदेश देना दान है। बुराई खत्म करना दान है। और उसके लिए (दान के रूप में) क्या पर्याप्त है, दुहा की दो रकातें।" (सहीह मुस्लिम)

दुहा का समय तब शुरू होता है जब सूर्य क्षितिज के ऊपर एक भाले की लंबाई तक पहुंचता है और यह समय सूर्य के मध्याह्न तक पहुंचने तक रहता है। इस नमाज़ के लिए तब तक देरी करना बेहतर है जब तक कि सूरज ऊंचा न हो जाए और दिन गर्म न हो जाए।

इस नमाज़ की न्यूनतम रकात की संख्या दो है। यदि कोई चाहे तो अधिक रकात पढ़ सकता है।

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