इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
विवरण: जानना कि पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत ब्याज के बारे में क्या बताती है और सुझाव कि आधुनिक जीवन में रिबा के सामान्य रूपों से कैसे बचा जाए।
द्वारा Imam Mufti (© 2014 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 26 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 3,533 (दैनिक औसत: 5)
उद्देश्य:
·रिबा पर क़ुरआन के कई छंदों को समझना।
·यह जानना कि पैगंबर मुहम्मद ने रिबा के बारे में क्या-क्या कहा था।
·रिबा से बचने के बारे में कुछ सुझाव जानना।
·रिबा के कुछ विकल्पों के बारे में जानना।
अरबी शब्द:
·रिबा - ब्याज।
·शरिया - इस्लामी कानून।
·शिर्क - एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ है अल्लाह के साथ भागीदारों को जोड़ना, या अल्लाह के अलावा किसी अन्य को दैवीय बताना, या यह विश्वास करना कि अल्लाह के सिवा किसी अन्य में शक्ति है या वो नुकसान या फायदा पहुंचा सकता है।
·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।
·ज़कात - अनिवार्य दान
क़ुरआन में रीबा (जारी)
ब्याज बनाम ज़कात
“और जो तुम ब्याज देते हो, ताकि अधिक हो जाये लोगों के धनों में मिलकर, तो वह अधिक नहीं होता अल्लाह के यहां तथा तुम जो ज़कात देते हो, चाहते हुए अल्लाह की प्रसन्नता, तो वही लोग सफल होने वाले हैं। (क़ुरआन 30:39)
लोगों के धन का अन्यायपूर्ण उपभोग करना ब्याज है
“यहूदियों के (इसी) अत्याचार के कारण हमने उनपर स्वच्छ खाद्य पदार्थों को ह़राम (वर्जित) कर दिया, जो उनके लिए ह़लाल (वैध) थे तथा उनके बहुधा अल्लाह की राह से रोकने के कारण। तथा उनके ब्याज लेने के कारण जबकि उन्हें उससे रोका गया था और उनके लोगों का धन अवैध रूप से खाने के कारण। हमने उनमें से काफ़िरों के लिए दुःखदायी यातना तैयार कर रखी है। (क़ुरआन 4:160-161)
ब्याज का उपभोग करके धन संचय का निषेध
“ऐ विश्वासिओं! कई-कई गुणा करके ब्याज न खाओ तथा अल्लाह से डरो, ताकि सफल हो जाओ।” (क़ुरआन 3:130)
ब्याज बनाम दान, ब्याज खाने वाला न्याय के दिन
“जो लोग ब्याज खाते हैं, ऐसे उठेंगे जैसे वह उठता है, जिसे शैतान ने छूकर उनमत्त कर दिया हो। उनकी ये दशा इस कारण होगी कि उन्होंने कहा कि व्यापार भी तो ब्याज ही जैसा है, जबकि अल्लाह ने व्यापार को ह़लाल (वैध), तथा ब्याज को ह़राम (अवैध) कर दिया है। अब जिसके पास उसके पालनहार की ओर से निर्देश आ गया और इस कारण उससे रुक गया, तो जो कुछ पहले लिया, वह उसी का हो गया तथा उसका मामला अल्लाह के ह़वाले है और जो (लोग) फिर वही करें, तो वही नर्क के हैं, जो उसमें सदावासी होंगे। अल्लाह ब्याज को मिटाता है और दानों को बढ़ाता है और अल्लाह किसी कृतघ्न, घोर पापी से प्रेम नहीं करता।” (क़ुरआन 2:275-276)
जैसे ही अल्लाह का मार्गदर्शन आप तक पहुंचे ब्याज छोड़ दें, रिबा लेने वालों पर अल्लाह की ओर से युद्ध की घोषणा
“ऐ विश्वासिओं! अल्लाह से डरो और जो ब्याज शेष रह गया है, उसे छोड़ दो, यदि तुम ईमान रखने वाले हो तो। और यदि तुमने ऐसा नहीं किया, तो अल्लाह तथा उसके दूत से युध्द के लिए तैयार हो जाओ और यदि तुम तौबा (क्षमा याचना) कर लो, तो तुम्हारे लिए तुम्हारा मूलधन है। न तुम अत्याचार करो, न तुमपर अत्याचार किया जाये। और यदि तुम्हारा ऋणि असुविधा में हो, तो उसे सुविधा तक अवसर दो और अगर क्षमा कर दो (अर्थात दान कर दो) तो ये तुम्हारे लिए अधिक अच्छा है, यदि तुम समझो तो। तथा उस दिन से डरो, जिसमें तुम अल्लाह की ओर फेरे जाओगे, फिर प्रत्येक प्राणी को उसकी कमाई का भरपूर प्रतिकार दिया जायेगा तथा किसी पर अत्याचार न होगा।” (क़ुरआन 2:278-281)
रिबा पर पैगंबर मुहम्मद के कथन
1. पैगंबर ने कहा:
“पिछली रात मैंने (स्वप्न में) दो मनुष्य देखे जो मेरे पास आए और मुझे एक पवित्र भूमि में ले गए। जब तक हम खून की एक नदी तक नहीं पहुंचे, जिसमें एक आदमी खड़ा था, और नदी के किनारे एक और आदमी था, जिसके सामने कुछ पत्थर थे। नदी का आदमी उसकी ओर आया, और जब उसने बाहर निकलना चाहा, तो दूसरे आदमी ने उसके मुंह में एक पत्थर फेंका और उसे वापस वहीं भेज दिया जहां से उसने शुरू किया था। जब भी उसने बाहर निकलने की कोशिश की, दूसरे आदमी ने उसके मुंह में एक पत्थर फेंका और उसे वापस भेज दिया। मैंने कहा, 'यह क्या है?' उन्होंने कहा, जिसे आपने नदी में देखा, वह रिबा खाने वाला था।’”[1]
2 . पैगंबर ने कहा:
‘सात विनाशकारी पापों से बचो।’
उन्होंने कहा: ऐ अल्लाह के दूत, वे क्या हैं? पैगंबर ने कहा:
‘शिर्क, टोना, उसको मारना जिसे अल्लाह ने हमें मारने से मना किया है, रिबा खाना, अनाथों की संपत्ति का उपभोग करना, युद्ध के मैदान से भागना, और पवित्र, निर्दोष विश्वास करने वाली महिलाओं की निंदा करना।’[2]
3 . अल्लाह के दूत ने दस प्रकार के लोगों को शापित किया:
“रिबा खाने वाला, रिबा का भुगतान करने वाला, इसे लिखने वाला, वह इसकी गवाही देने वाले दो, इसे वैध बनाने वाला, जिसके लिए इसे वैध बनाया गया, दान को रोकने वाला, टैटू करने वाला और टैटू करवाने वाला।”[3]
इसलिए, ब्याज के सभी व्यवहार निषिद्ध हैं।
आपको क्या करना चाहिये?
1 . ब्याज पर आधारित किसी भी लेन-देन में सीधे शामिल होने से बचें, विशेष रूप से नौकरी में।
समाधान: यदि आपकी नौकरी मे ब्याज संबंधित कार्य है, तो दूसरी नौकरी ढूंढे।
2 . किसी बैंक या क्रेडिट यूनियन में ब्याज वाले चेकिंग खाते से दूर रहें।
समाधान: बैंक आमतौर पर चेकिंग और बचत खातों पर कम ब्याज देते हैं। अर्जित ब्याज को बिना किसी पुरस्कार की उम्मीद के गरीबों को दान कर देना चाहिए, बल्कि अवैध धन से छुटकारा पाने की सोच होनी चाहिए। आप अपनी स्थानीय मस्जिद से भी संपर्क कर सकते हैं और उस पैसे से उनके लिए टॉयलेट पेपर आदि खरीद सकते हैं।
3 . व्यापार के लिए ब्याज पर बैंक से कर्ज न लें।
समाधान: नीचे दिए गए इस्लामी वित्तपोषण विकल्प देखें।
4 . क्रेडिट कार्ड ऋण से बचें।
समाधान: मासिक विवरण मिलते ही अपने क्रेडिट कार्ड पर बकाया पूरी राशि का भुगतान करें ताकि आपको उस पर ब्याज का भुगतान न करना पड़े। आप प्री-पेड क्रेडिट कार्ड लेने का विकल्प भी चुन सकते हैं, जो कि ज्यादातर बड़े बैंक ऑफर करते हैं।
5 . ब्याज पर घर या कार खरीदने से बचें। वह गाडी या घर गिरवी न रखें जिसमें आपको ब्याज देना पड़े।
समाधान: पहला, आप किराए पर रह सकते हैं, पैसे बचा सकते हैं और फौजदारी पर घर खरीद सकते हैं। दूसरा, आप नीचे दिए गए इस्लामी वित्तपोषण विकल्पों पर विचार कर सकते हैं। तीसरा, कभी-कभी कोई बिल्डर बिना किसी ब्याज के घर बेचता है। आप एक नई या लगभग नई कार को लीज (किराए) पर ले सकते हैं। आप पुरानी कार भी खरीद सकते हैं। यदि आप एक वाहन खरीदना चाहते हैं तो आप 'इन-हाउस फाइनेंस' पर भी विचार कर सकते हैं जो 0% पर होता है। हमेशा फाइन-प्रिंट पढ़ें और इन अनुबंधों की जांच करते समय पूरा समय लें।
6 . छात्र ऋण लेने से बचें।
समाधान: अधिक छात्रवृत्तियां और सहायता प्राप्त करें, काम करने के लिए एक सेमेस्टर की छुट्टी लें, या एक छोटा कोर्स लें और स्कूल जाते समय अधिक काम करें। यदि आपको ऐसा करने में कठिनाई हो रही है, तो कृपया अपने विकल्पों के बारे में किसी विद्वान से सलाह लें।
इस्लामी वित्तपोषण विकल्प
यूके इस्लामिक होम फाइनेंसिंग
मंज़िल हाउस फाइनेंसिंग प्रोग्राम इस्लामिक इन्वेस्टमेंट बैंक यूनिट (IIBU) का है जो कुवैत बैंक का हिस्सा है।
एचएसबीसी की अमनाह हाउस फाइनेंसिंग स्कीम।
यूएस इस्लामिक होम एंड बिजनेस फाइनेंसिंग
www.guidanceresidential.com: शरिया-अनुपालन गृह वित्त पोषण के सबसे बड़े अमेरिकी प्रदाता में से एक है, जिसने पिछले 10 वर्षों में अमेरिकी-मुस्लिम गृहस्वामियों को घरेलू वित्तपोषण में 3 बिलियन डॉलर से अधिक प्रदान किया है।
www.devonbank.com: अमेरिका में आस्था-आधारित आवासीय और वाणिज्यिक वित्तपोषण प्रदाता। उनके उत्पादों में अचल संपत्ति की खरीद, पुनर्वित्त, निर्माण, और ऋण की लाइनों के साथ-साथ व्यापार और व्यापार वस्तुओं के वित्तपोषण के साथ-साथ अचल संपत्ति वित्तपोषण शामिल है। वे वर्तमान में इलिनोइस, इंडियाना, विस्कॉन्सिन, मिनेसोटा, कैलिफोर्निया, उत्तरी कैरोलिना और टेक्सास में सेवाएं देते हैं।
www.myuif.com: यूआईएफ यूनिवर्सिटी बैंक और बंधक वैकल्पिक उत्पादों के माध्यम से शरिया-अनुपालन बचत खातों के साथ-साथ मुराबाहा और इजारा कार्यक्रमों के माध्यम से शरिया-अनुपालन वाणिज्यिक अचल संपत्ति वित्तपोषण और गृह वित्तपोषण दे कर मुस्लिम समुदाय की जरूरतों को पूरा करते हैं।
पिछला पाठ: इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
अगला पाठ: सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास