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कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना

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विवरण: कब्र में पूछे जाने वाले प्रश्नों के लेख का दूसरा भाग।

द्वारा Aisha Stacey (© 2014 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

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उद्देश्य:

·कब्र में पूछे जाने वाले प्रश्नों को जानना।

अरबी शब्द:

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

QuestioninginGrave2.jpgअविश्वासियों के लिए यह समय बहुत अलग होगा। स्वर्गदूत एक अविश्वासी के पास आएंगे, "... उनके चेहरे काले होंगे, वे एक टाट लेके आएंगे, और वे उसके चारो ओर बैठ जायेंगे जहां तक ​​उसकी नजरे देख सकेगी। तब मृत्यु का दूत आएगा और उसके सिर के पास बैठेगा और कहेगा, 'ऐ दुष्ट आत्मा, अल्लाह के रोष और क्रोध के लिए बाहर आ।' तब उसकी आत्मा उसके शरीर के भीतर फैल जाएगी, और फिर उसकी आत्मा उसकी नसों को काटते हुए बाहर निकलेगी जैसे गीले ऊन से कोई चाकू गुजरता है। जब मौत का दूत आत्मा को पकड़ लेगा तो वे उसे एक पल के लिए भी अपने हाथ में नहीं रखेगा और उसे उस टाट में रख देगा जिसमे से ऐसी दुर्गंध आती होगी जैसे कि पृथ्वी पर किसी मृत सड़े शरीर की दुर्गंध आती है। फिर वे आसमान पर चढ़ेंगे, और सबसे निचले आसमान तक पहुंचने से पहले स्वर्गदूतों के जितने भी समूह उसके पास से गुजरेंगे और पूछेंगे, 'यह दुष्ट आत्मा कौन है?' और वे उसका सबसे बुरा नाम जिससे वह दुनिया में बुलाया जाता था लेकर कहेंगे, 'ये फलां है, और फलां का पुत्र है।' वे आसमान को खुलने के लिए कहेंगे और इसे नहीं खोला जायेगा।" फिर अल्लाह नर्क की सबसे निचली गहराई में उसकी जगह को दर्ज करेगा।

एक बार जब आत्मा शरीर मे दोबारा जाएगी, तो दो स्वर्गदूत कब्र मे मृत व्यक्ति के पास जायेंगे। एक प्रामाणिक हदीस में पैगंबर मुहम्मद हमें बताते हैं कि ये स्वर्गदूत काले और नीले रंग के हैं और उनके नाम मुनकर और नकीर है। स्वर्गदूत तीन प्रश्न पूछेंगे जो किसी व्यक्ति की आस्था की पुष्टि करेंगे और साथ ही उनकी पवित्रता या दुष्टता को उजागर करेंगे। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण चरण है क्योंकि यह परलोक में व्यक्ति के पूरे जीवन को निर्धारित करेगा। स्वर्गदूत पूछेंगे कि तुम्हारा रब कौन है, तुम्हारा धर्म क्या है और तुम्हारा पैगंबर कौन है? या जैसा कि कुछ हदीसों में कहा गया है कि सवाल यह होगा कि यह आदमी कौन है जो तुम्हारे बीच भेजा गया था? जैसा कि आप देख सकते हैं कि ये प्रश्न आस्था के मामलों से संबंधित हैं। यदि कोई व्यक्ति उत्तर देगा, मेरा रब अल्लाह है, मेरा धर्म इस्लाम है, मेरा पैगंबर मुहम्मद है ... तो आसमान से एक आवाज आएगी, "मेरे दास ने सच कहा है, तो उसके लिए स्वर्ग से एक बिस्तर तैयार करो और उसे स्वर्ग से कपड़े पहनाओ, और उसके लिए स्वर्ग का द्वार खोल दो।” यदि मृतक प्रश्नों का सही उत्तर नहीं देता है, तो आसमान से एक आवाज आएगी, "उसके लिए नर्क से एक बिस्तर तैयार करो और उसे नर्क से कपड़े पहनाओ, और उसके लिए नर्क का द्वार खोल दो।

ये सवाल इस बात की पुष्टि करते हैं कि मृत्यु के बाद से व्यक्ति ने क्या समझा है। अच्छे को वास्तव में पुरस्कृत किया जाएगा और बुरे को दंडित किया जाएगा। और इस प्रकार विश्वासी को तुरंत एक दरवाजा खुलने के साथ पुरस्कृत किया जायेगा जो उसकी कब्र में प्रकट होगा। खुले हुए दरवाजे से व्यक्ति स्वर्ग में अपनी भव्यता और उपहारों को देख सकेगा। उसके अच्छे कर्म उसके पास एक अच्छे कपड़े पहने, सुंदर, सूक्ष्म रूप से सुगंधित व्यक्ति के रूप में आएंगे। जहां तक आंख देख सकेगी, कब्र को उतना चौड़ा कर दिया जाएगा, उसमे पूरी रोशनी और हरियाली होगी; वह अपने परिवार को अपने अच्छे भाग्य के बारे में बताने के लिए तरसेगा। विश्वासी अपनी कब्र में चैन से सोएगा। पैगंबर मुहम्मद ने हदीस में बताया है कि आस्तिक से कहा जाएगा कि वह नर्क में अपनी जगह देखें और समझें कि इसे स्वर्ग की जगह से बदल दिया गया है। "तो वह उन दोनों को देखेगा। तब उसकी कब्र उसके लिये सत्तर हाथ चौड़ी की जाएगी, और वह पुनरुत्थान के दिन तक हरियाली से भरी रहेगी।

इसके विपरीत, अवज्ञाकारियों की कब्र अन्धकार से भर दी जाएगी। अविश्वासी की सजा उसके बुरे कामों से शुरू होगी जो एक घृणित दिखने वाले आदमी का रूप लेगी और एक दरवाजा खुलेगा जिसके माध्यम से वह नर्क की कुरूपता देख सकेगा।

उपहार और सजा शक्तिशाली प्रेरक हैं और न्याय का दिन आने तक एक असीमित समय तक दंड झेलने का विचार एक डरावनी बात है।

पैगंबर ने कहा "जब आप में से कोई भी मर जाता है, तो उसे हर सुबह और शाम को अपना शाश्वत निवास दिखाया जाता है। यदि वह स्वर्ग के लोगों में से एक है, तो वह स्वर्ग के लोगों में से एक है, और यदि वह नर्क के लोगों में से एक है, तो वह नर्क के लोगों में से एक है, और उससे कहा जाता है, 'यह तुम्हारा ठिकाना है तब तक के लिए जब तक अल्लाह तुम्हें नये के दिन न उठा दे।”

उन शब्दों को सुनने की कल्पना करो। यह तुम्हारा ठिकाना है जब तक कि अल्लाह तुम्हें न्याय के दिन न उठा दे। यह क्षण या तो खुशी से भरा हो सकता है या निराशा से भरा हो सकता है, समय लंबा या छोटा हो सकता है, जैसा कि अल्लाह चाहेगा। हमें चेतावनी दी गई है और उस दिन की घटनाओं को हमारे लिए स्पष्ट रूप से निर्धारित किया गया है। हममें से जो बुद्धिमान हैं वे ध्यान रखेंगे।

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