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जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी

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विवरण: लोगों के सात समूहों का परिचय जिनपर न्याय के दिन छाया होगी और शुरुआती तीन के बारे मे अधिक विस्तृत जानकारी।

द्वारा Aisha Stacey (© 2014 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 22 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,351 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य:

·उन कार्यों को जानना जो लोगों को उन समूहों में शामिल करेगा जिन्हें न्याय के दिन छाया मे रखा जाएगा।

अरबी शब्द:

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

·आयात - (एकवचन - आयत ) आयत शब्द के कई अर्थ हो सकते हैं। इसका लगभग हमेशा अल्लाह से सबूत के बारे में इस्तेमाल किया जाता है। इसके अर्थों मे शामिल है सबूत, छंद, सबक, संकेत और रहस्योद्घाटन।

·शैतान - यह इस्लाम और अरबी भाषा में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो शैतान यानि बुराई की पहचान को दर्शाता है।

ThoseShaded01.jpgन्याय के दिन सूर्य को नीचे लाया जाएगा। पैगंबर मुहम्मद ने हमें बताया है कि, "सूर्य को पृथ्वी के करीब लाया जाएगा और उसकी दुरी पृथ्वी से केवल एक मील की होगी और कर्मों के स्तर के अनुसार लोगों का पसीना निकलेगा…”.[1] लोग एक साथ खड़े होंगे, भयभीत और गर्मी के प्रभाव से पीड़ित होंगे। कुछ भाग्यशाली लोगों के लिए ये पीड़ा कुछ सेकेंडो की ही रहेगी, दूसरों को ऐसा लगने लगेगा कि वे आधे जीवन या उससे अधिक समय तक सूरज की चिलचिलाती किरणों में खड़े रहे हैं। "न्याय के दिन की घटनाएं"[2]शीर्षक वाले पाठ मे अधिक विस्तार से वर्णन है कि लोग उस दिन क्या अनुभव करेंगे। उसमे संक्षेप में उल्लेख किया गया है कि सात प्रकार के लोग होंगे जो छाया में रहेंगे; अल्लाह के सिंहासन की छाया। इन पाठों में हम लोगों के उन समूहों को अधिक विस्तार से जानेंगे।

पैगंबर मुहम्मद अपने अनुयायियों से न्याय के दिन के बारे में बात करते थे। पैगंबर चाहते थे कि उनका अनुसरण करने वाले उस समय और आज के समय के लोग उस आने वाले समय के लिए तैयार रहें। एक प्रसिद्ध और बहुत उद्धृत हदीस में उन्होंने हमें अल्लाह की असीम दया और सात प्रकार के लोगों के बारे मे बताया जो न्याय के दिन छाया में शांति से खड़े होंगे।

“अल्लाह सात [प्रकार के लोगों] को उस दिन छाया देगा जब उसकी (सिंहासन की) छाया के अलावा कोई छाया नहीं होगी: एक न्यायप्रिय शासक; एक युवा जो अल्लाह की उपासना में बड़ा हुआ; वह व्यक्ति जिसका दिल मस्जिदों से जुड़ा था; वह दो जो अल्लाह की खातिर एक दूसरे से प्यार करते थे, उसके लिए मिलते और उसी पर अलग होते थे; वह पुरुष जिसे सुंदरता और उसके पद के लिए महिला (अवैध संभोग के लिए) बुलाती थी, लेकिन यह जवाब देता था, 'मैं अल्लाह से डरता हूं'; वह मनुष्य जो दान देता था और उसको ऐसे छिपाता था कि उसका बायां हाथ नहीं जान पाए कि उसके दाहिना हाथ ने क्या दान दिया है; और अंत में वह व्यक्ति जिसने अकेले में अल्लाह को याद किया और रोया।”[3]

इससे पहले कि हम आगे बढ़ें, यह उल्लेखनीय है कि ज्यादातर परिस्थितियों में जब क़ुरआन और हदीस दोनों में 'व्यक्ति' का उल्लेख किया गया है तो यह पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए है; सिवाय जहां महिलाओं या पुरुषों को अलग से और विशेष रूप से संबोधित किया गया है।

1.न्यायप्रिय शासक।

सहिष्णुता, क्षमा और सम्मान के साथ-साथ न्याय इस्लाम की एक मौलिक अवधारणा है। न्याय का अर्थ है प्रत्येक व्यक्ति को वह अधिकार देना जिसका वह हकदार है चाहे वो विश्वासी हो या अविश्वासी, रिश्तेदार हो या अजनबी, मित्र हो या शत्रु। यह एक अवधारणा है जिसे हर मुसलमान को लागू करना चाहिए, न कि केवल शासक को। ईश्वर न्याय पर जोर देता है, और इस्लाम सभी प्रकार के अन्याय और उत्पीड़न की निंदा करता है।

“…तथा किसी गिरोह की शत्रुता तुम्हें इसपर न उभार दे कि न्याय न करो। वह (अर्थातः सबके साथ न्याय) अल्लाह से डरने के अधिक समीप है।” (क़ुरआन: 5:8)

“…तथा अल्लाह संसार वासियों पर अत्याचार नहीं करना चाहता।” (क़ुरआन 3:108)

न्यायप्रिय होना शासक को बहुत दबाव में डाल सकता है, उसे अपने इरादों और कार्यों से सावधान रहना चाहिए और वह अपने अधिकार के तहत किए गए कार्यों के लिए जिम्मेदार भी होता है।

2.एक युवा जो अल्लाह की उपासना में बड़ा हुआ।

युवा सबसे ऊर्जावान और उत्साही होते हैं। उनके पास जीवन के लिए एक उत्साह होता है और भविष्य को देखते हैं, योजना बनाते हैं और एक लंबे और फलदायी जीवन की नींव रखते हैं। उनकी जीवटता और जोश अल्लाह की ओर से महान आशीर्वाद हैं और जो लोग इस समय का बुद्धिमानी से अल्लाह का ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपयोग करते हैं और ऐसे कार्य करते हैं जिन्हें वे जीवन में बाद में करने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाएगा। उन पुरस्कारों में से उस दिन छाया मे रहना है जब कोई भी छाया मे नहीं रहेगा। हालांकि युवावस्था वह समय भी होता है जब व्यक्ति जीवन के प्रलोभनों और शैतान की चालों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील होता है। विशेष रूप से युवाओं के लिए कई सांसारिक विकर्षण हैं, इसलिए उन्हें पुरस्कार पर अपनी नजर रखनी चाहिए और उन सभी चीजों से भ्रमित नहीं होना चाहिए जो चमकती हैं और जिनमें कोई सार नहीं है।

इसके बारे मे हमें एक अन्य हदीस में बताया गया है जहां पैगंबर मुहम्मद कहते हैं, "पांच मामलों का लाभ उठाएं, अन्य पांच मामलों से पहले: अपनी जवानी का इससे पहले कि आप बूढ़े हो जाएं; और अपने स्वास्थ्य का इससे पहले कि आप बीमार हो जाएं; और अपने धन का इससे पहले कि आप कंगाल हो जाएं; और अपने खाली समय का इससे पहले कि आप व्यस्त हो जाएं; और अपने जीवन का इससे पहले कि आपकी मृत्यु हो जाए।[4]

3.वह व्यक्ति जिसका दिल मस्जिदों से जुड़ा है।

मस्जिद में नमाज पढ़ने का बड़ा इनाम है। विभिन्न हदीसों में हमें इसके बारे मे बताया गया है। मस्जिद में नमाज पढ़ने वाले को घर में नमाज पढ़ने से 27 गुना ज्यादा इनाम मिलता है।[5] पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि वह व्यक्ति जो ... "मस्जिद की ओर एक कदम बढ़ाता है, उसका एक रैंक बढ़ा दिया जाता है और उसका एक पाप मिटा दिया जाता है। फिर जब वह नमाज़ पढ़ता है, तो स्वर्गदूत उसके नमाज़ पढ़ने तक के समय तक प्रार्थना करते हैं और कहते हैं, 'ऐ अल्लाह इस पर आशीर्वाद भेजो, ऐ अल्लाह इस पर दया करो’…” [6]

इसका मतलब यह इनकार करना नहीं है कि विश्वासियों के लिए पूरी पृथ्वी (बहुत कम अपवादों के साथ) उनकी प्रार्थना स्थल है[7]; हालांकि मस्जिद समुदाय का दिल है। यह न केवल पूजा का स्थान है बल्कि एक मिलन स्थल, एक शिक्षण संस्थान, सामाजिक गतिविधियों का स्थान और विश्राम स्थल भी है।

4.वह दो जो अल्लाह की खातिर एक-दूसरे से प्यार करते हैं, उसी के लिए मिलते हैं और उसी पर अलग होते हैं।

अल्लाह की खातिर एक दूसरे से प्यार करना अल्लाह को खुश करने, इनाम पाने और इस्लाम में निहित अवधारणाओं के अनुसार जीने का एक और तरीका है। इसका अर्थ है कि एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से उसकी धर्मपरायणता के कारण प्रेम करता है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दूसरा व्यक्ति अमीर है या गरीब या वे किस राष्ट्रीयता के हैं या उनकी त्वचा किस रंग की है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे क्या पहनते हैं या वे कहां रहते हैं, बस यह मायने रखता है कि उनका अल्लाह और इस्लाम से लगाव है। एक आस्तिक मतभेदों के प्रति सहनशील होता है और दूसरों का सम्मान करता है। अल्लाह की खातिर उस व्यक्ति से प्यार करना जो अल्लाह से प्यार करता है।



फुटनोट:

[1] सहीह मुस्लिम और अबू दाऊद।

[3] सहीह अल-बुखारी और सहीह मुस्लिम

[4] ईमान अहमद

[5] सहीह अल-बुखारी और सहीह मुस्लिम

[6] सहीह अल-बुखारी

[7] इबिद

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