पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
विवरण: ये दो पाठ वध किए गए मांस के इस्लामी नियमों और विनियमों और पश्चिमी बूचड़खानों में प्रचलित प्रथाओं पर प्रकाश डालेंगे, और मांस कहां से खरीदें, इसका मार्गदर्शन देंगे।
द्वारा Imam Mufti (© 2015 IslamReligion.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य
·भोजन के इस्लामी नियमों को सीखने के महत्व को समझना।
·वध की इस्लामी प्रक्रिया और वध के इस्लामी नियमों के पीछे के ज्ञान को समझना।
अरबी शब्द
·क़िबला - जिस दिशा की और मुंह कर के औपचारिक प्रार्थना (नमाज) करी जाती है।
·हलाल - अनुमेय।
भोजन के इस्लामी नियमों को सीखने का महत्व
मुसलमान को किराने की दुकानों में बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थों और मांस और पश्चिमी देशो मे रेस्तरां में मांस खाने के सवाल पर बहुत भ्रम है। जानवरों के वध का मामला कोई सांसारिक मुद्दा नहीं है जिसमें कोई व्यक्ति अपनी इच्छानुसार कार्य कर सकता है, बल्कि इसे पूजा का कार्य माना जाता है। अल्लाह के दूत (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा:
“जो कोई हमारे क़िबला की ओर मुंह करके नमाज़ पढ़ता है और हमारे नियमानुसार वध किये गए पशु को खाता है, वह विश्वासी है और वो अल्लाह और उसके दूत के संरक्षण में है।”[1]
अल्लाह के दूत की यह हदीस स्पष्ट है: जानवरों का वध इस्लाम में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पैगंबर ने नमाज़ पढ़ने और क़िबला की ओर मुंह करने को जानवरों के वध के साथ जोड़ा है।
भोजन की दो श्रेणियां
सब्जियां और फल
स्वाभाविक रूप से, न तो फल और न ही सब्जियों में कोई विशेष वध नियम हैं। विद्वानों की सहमति से वे सब हलाल और अनुमेय हैं, ये बात सोचे बिना कि इसे किसने उगाया या इसका मालिक कौन है, जब तक यह खाने के लिए स्वस्थ है और अशुद्धता से सुरक्षित है। इसलिए मुसलमान उन्हें किसी अन्य धर्म के लोगों से सबंधित होने पर भी खा सकता है।
जानवरों के मांस को आगे दो श्रेणियों में बांटा गया है: समुद्री भोजन और स्थलीय जानवर।
समुद्री भोजन
विद्वानों की सहमति से समुद्री भोजन सामान्य रूप से हलाल होता है, भले ही यह कहीं भी बड़ा हुआ हो या किसी ने भी इसे पकड़ा हो। चूंकि मछली के लिए विशेष वध प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए इन्हे वैध माना जाता है। इसमें अधिकांश विद्वानों के अनुसार झींगा शामिल हैं। निम्नलिखित छोड़ कर:
·मगरमच्छ
·मेंढ़क
·ऊदबिलाव और कछुए (लेकिन ये वध करने के बाद हलाल हैं)
पालतू जानवरों का प्रतिबंधित मांस
एक जंगली जानवर, यानी गैर-पालतू जानवर, को खाने की अनुमति है यदि शिकार की सभी शर्ते पूरी हो।
पालतू जानवरों के मांस खाने की अनुमति है, बस यह शर्त है कि उसका वध इस्लामी दिशानिर्देशों के अनुसार किया गया हो। यदि यह निम्नलिखित छंद में उल्लिखित श्रेणियों में से एक में आता है, तो यह निषिद्ध हो जाता है:
“तुमपर मुर्दार ह़राम (अवैध) कर दिया गया है तथा (बहता हुआ) रक्त, सूअर का मांस, जिसपर अल्लाह से अन्य का नाम पुकारा गया हो,...” (क़ुरआन 5:3)
इब्न 'अब्बास ने बताया कि अल्लाह के दूत ने उन सभी मांसाहारी जानवरों के खाने पर रोक लगा दी थी जिनके दांत कुत्ते के दांतो जैसे होते हैं जो मांस फाड़ने के लिए बने हैं (अर्थात शिकार के जानवर, जैसे कुत्ते और लोमड़ी), और नाखुनो वाले सभी पक्षी (जैसे चील और बाज़)।[2]
वध के लिए इस्लामी प्रक्रिया
·क्या काटा जाना चाहिए:
·गले की दो नसें (गर्दन की बड़ी रक्त वाहिकाएं)
·गला (सांस लेने वाली पाइप; श्वासनली)
·अन्नप्रणाली (भोजन और पानी के पारित होने के लिए ट्यूब; अन्ननाल)
·जानवर का खून निकालने वाले किसी भी हथियार की अनुमति है, चाहे वह स्टील, लोहे, तेज पत्थर या लकड़ी से बना हो, हड्डी, दांत या नाखून को छोड़कर। हथियार तेज होना चाहिए। किसी को कुंद हथियार का उपयोग करने की सलाह नही दी जाती है ताकि जानवर व्यथित न हो या अनावश्यक पीड़ा से न गुजरे।
वध के इस्लामी नियमों के पीछे ज्ञान
वध करने के इस्लामी नियमों के पीछे ज्ञान पशु के जीवन को सबसे कम समय और कम से कम दर्दनाक तरीके से लेना है; एक धारदार हथियार का उपयोग करना और गला काटने की आवश्यकताएं इस छोर से संबंधित हैं। दांतों या नाखूनों का उपयोग करके गला काटना मना है क्योंकि इससे जानवर को ज्यादा दर्द होगा और उसका गला घुटने की भी संभावना है। पैगंबर ने चाकू को तेज करने और जानवर को आराम से रखने की सिफारिश करते हुए कहा, अल्लाह ने हर चीज में दया का आदेश दिया है, "और जब आप वध करते हैं, तो पहले चाकू को तेज करके और जानवर को आराम से रखकर इसे सबसे अच्छे तरीके से करें।”[3]
क्या बिस्मिल्लाह पढ़ना एक शर्त है?
सबसे पहला, यह प्रथा इस्लाम से पहले मूर्तिपूजकों की प्रथा का उल्टा है, जो जानवरों का वध करते समय अपने गैर-मौजूद देवताओं के नामों का उल्लेख करते थे।
दूसरा, जानवर इंसानों की तरह ही अल्लाह के प्राणी हैं, और वे जीवित प्राणी हैं। इसलिए, इन जानवरों की जान लेने से पहले 'बिस्मिल्लाह' कहना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रथा अल्लाह से अनुमति प्राप्त करने के समान है। जानवर का वध करते समय अल्लाह के नाम का उल्लेख करना ईश्वरीय अनुमति की घोषणा है, जैसे कि जानवर को मारने वाला कह रहा हो, "मेरा यह कार्य ब्रह्मांड के खिलाफ आक्रामकता का कार्य नहीं है और न ही इस प्राणी पर अत्याचार का कार्य है, लेकिन मैं अल्लाह के नाम पर वध कर रहा हूं, अल्लाह के नाम पर शिकार कर रहा हूं, और अल्लाह के नाम पर खाऊंगा।”
अधिकांश मुस्लिम विद्वानों के अनुसार बिस्मिल्लाह पढ़ना आवश्यक है अन्यथा मांस वर्जित हो जायेगा। यह क़ुरआन के छंद 6:121, 5:4, 22:34, 22:36, 6:138, 6:119 पर आधारित है। पैगंबर ने कहा, ''इसलिए अल्लाह का नाम लेकर वध करो।’[4]
वध करने के योग्य कौन है?
एक मुसलमान, यहूदी या ईसाई वध करने के योग्य हैं। अधिकांश विद्वानों के अनुसार, एक यहूदी या ईसाई द्वारा वध किए गए मांस को उसी मानदंड को पूरा करना चाहिए जो एक मुसलमान के लिए है। यदि वह उस मानदंड को पूरा नहीं करता है, तो मांस को 'मृत जानवर' या कुछ ऐसा ही माना जाएगा।
आम आपत्ति
कुछ लोग कहते हैं कि जब तक पवित्रशास्त्र के लोग वध किये गए जानवर (बिजली के झटके, आदि से मारना) को हलाल मानते हैं और वे इसे अपने धर्म में अनुमेय मानते हैं, तो यह मुसलमानों के लिए भी हलाल है।
यह गलत है क्योंकि:
(ए) अल्लाह ने हमे वो जानवर खाने से मना किया है जिसे गला घोंटकर मारा गया हो (उदाहरण के लिए रस्सी बांधकर), या डंडे से पीट-पीटकर मारा गया हो जैसा कि क़ुरआन 5:3 में कहा गया है और सभी मुस्लिम विद्वान इसके निषेध के बारे में सहमत हैं। तो एक यहूदी या ईसाई द्वारा उचित वध के बिना मारे गए जानवर को निषिद्ध माना जाएगा और मांस को सूअर का मांस खाने की तरह ही मना किया जाएगा और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि किसी मुसलमान ने या किसी अन्य ने जानवर का गला घोंटा हो या पीट-पीटकर मारा हो। क़ुरआन 5:3 के अनुसार यह वर्जित है।
(बी) ईसाई सूअर का मांस खाते हैं, फिर भी कोई भी विद्वान इसकी अनुमति नहीं देता है। इसी तरह, किसी यहूदी या ईसाई द्वारा गर्दन तोड़कर या किसी अन्य तरीके से मारे गए जानवर जो वध के इस्लामी मानदंडों को पूरा नहीं करता है, उसे मना किया गया है। क्यों? क्योंकि सूअर का मांस, सड़ा हुआ मास, गला घोंटकर या पीट-पीटकर मारा गया जानवर इन सभी को क़ुरआन 5:3 के एक ही आयत में अल्लाह ने वर्जित कर दिया है। इस छंद ने सुअर, गला घोंटकर मारे गए जानवर, या पीट-पीटकर/बिजली से मारे गए जानवर, या सिर कुचल के मारे गए जानवर को एक समान ही बताया है।
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