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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
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स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
विवरण: यदि सब कुछ ईश्वर ने पहले से ही निर्धारित कर दिया है, तो लोगो की इच्छा की स्वतंत्रता कैसे हुई? इसका उत्तर इस दो भाग वाले पाठ में है।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 24 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,579 (दैनिक औसत: 3)
आवश्यक शर्तें
·इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भाग)।
उद्देश्य
·ईश्वरीय पूर्वनियति (कद्र) पर विश्वास के संबंध में इस्लाम द्वारा निर्धारित महत्व को जानना।
·ईश्वरीय पूर्वनियति के पहले 2 घटकों को जानने में शामिल है, अल्लाह का पूर्वज्ञान पूर्ण और समावेशी है और अल्लाह ने सब कुछ संरक्षित किताब में दर्ज किया है।
अरबी शब्द
·क़द्र – पूर्वनियति।
·अल-लोह अल-महफुज - संरक्षित किताब।
इस्लामी आस्था का छठा और अंतिम अनुच्छेद है ईश्वरीय पूर्वनियति (अरबी में क़द्र) पर विश्वास। ईश्वरीय पूर्वनियति (क़द्र) आस्था का एक अत्यंत महत्वपूर्ण अनुछेद है, और विभिन्न धर्मों के लोग लंबे समय से इस मुद्दे को लेकर आपस में मतभेद रखते हैं।
ईश्वरीय पूर्वनियति अल्लाह का 'छिपा हुआ रहस्य' है जिसकी गहराई मनुष्य नहीं जान सकता है। एक मुसलमान को ईश्वरीय पूर्वनियति के बारे में सही विश्वास रखना सीखना चाहिए और पैगंबर की सलाह पर टिके रहना चाहिए:
“जब ईश्वरीय पूर्वनियति (कद्र) का उल्लेख किया जाये, तो चुप हो जाओ।” (सहीह मुस्लिम)
इसके साथ ही, हमें शांति से रहने के लिए इस विषय के बारे में पर्याप्त जानकारी दी गई है, भले ही हम इसकी जटिलता को न जानते हों। इसलिए, यह विश्वास का एक अनिवार्य पहलू है, और इस विश्वास के महत्व पर जोर देते हुए, पैगंबर मुहम्मद के प्रसिद्ध साथी इब्न उमर ने एक बार कसम खाई और इसे अस्वीकार करने वालों के बारे में कहा था, 'अगर उनमें से कोई एक अल्लाह की राह में उहद पर्वत के बराबर सोना भी ख़र्च करे, तो अल्लाह उनसे ये कभी स्वीकार नहीं करेगा, जब तक कि वे ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास नहीं करते।'
पैगंबर के एक साथी उबादा बिन समित अपनी मृत्यु शय्या पर थे, जब उनके बेटे ने उनसे मुलाकात की और पूछा,
'हे पिता, मुझे सलाह दे कि मैं उस का पालन कर सकूं।'
उबादा ने कहा,
‘'बैठ जाओ। हे मेरे पुत्र, तुम तब तक सच्चे आस्तिक नहीं बनोगे, और तब तक तुम अल्लाह के ज्ञान की वास्तविकता तक नहीं पहुंचोगे जब तक तुम ईश्वरीय पूर्वनियति, उसके अच्छे और बुरे में विश्वास नहीं करोगे।’
तो मैंने कहा,
'हे मेरे पिता, मुझे कैसे पता चलेगा कि ईश्वरीय पूर्वनियति का अच्छा और उसकी बुरा क्या है?'
उसने कहा,
‘जान लो कि जिसने तुम्हें सताया होगा, वह तुम्हें कभी याद नहीं कर सकता; और जो तुम्हें याद करेगा, वह तुम्हें कभी सता नही सकता। ऐ मेरे बेटे, मैंने अल्लाह के पैगंबर को यह कहते सुना कि अल्लाह ने जो पहली चीज़ बनाई वह थी कलम। अल्लाह ने कलम से कहा, 'लिखो'। इसलिए उसने वह सब कुछ लिखा जो न्याय के दिन तक होगा। हे मेरे पुत्र, यदि तुम इस पर विश्वास न करते हुए मर जाओगे, तो तुम नर्क में प्रवेश करोगे।'
अद-दयलामी कहते हैं:
“मैं उबै बिन काब के पास गया और उनसे कहा कि मुझे ईश्वरीय पूर्वनियति के बारे में कुछ संदेह है, इसलिए मुझे कुछ बताओ ताकि अल्लाह मेरे दिल से संदेह निकाल दे। उन्होंने कहा, 'यदि अल्लाह आकाशों और धरती के निवासियों को दण्ड देता, तो वह उन्हें दण्ड देता और वह उनके साथ अन्याय नहीं करता। और यदि वह उन पर दया करेगा, तो यह उनके कर्मों से अच्छा होगा। और यदि तुम उहद पर्वत के समान सोना खर्च करो, तो अल्लाह तब तक स्वीकार नहीं करेगा जब तक कि तुम्हें ईश्वरीय पूर्वनियति पर विश्वास न हो। और यह जान लो कि जिसने तुम्हें सताया होगा, वह तुम्हें कभी याद नहीं कर सकता; और जो तुम्हें याद करेगा, वह तुम्हें कभी सता नही सकता।’”
इसलिए वह अब्दुल्ला इब्न मसूद के पास गया जिसने उसे यही बात बताई। अत: वह हुदैफा बिन अल-यमान[1] के पास गया, उसने उसे यही बात कही। वह जायद बिन थाबित के पास गया, उसने भी उसे यही बात बताई।[2]
ईश्वरीय पूर्वनियति (क़द्र) में यह विश्वास क्या है जिसे इन महान साथियों ने इसे नर्क से मुक्ति माना? वास्तव में क्या विश्वास करना है?
(1) अल्लाह का पूर्वज्ञान पूर्ण और समावेशी है।
(2) अल्लाह ने सरंक्षित किताब में सब कुछ दर्ज कर लिया है।
(3) अल्लाह की इच्छा हमेशा पूरी होती है, और उसकी क्षमता परिपूर्ण है।
(4) अल्लाह ने ही सब कुछ बनाया है।
(1) अल्लाह का पूर्वज्ञान पूर्ण और समावेशी है।
पहला आवश्यक घटक अल्लाह के अचूक पूर्वज्ञान में विश्वास करना है। अल्लाह जानता है कि जीव क्या करेंगे, उसके ज्ञान मे सब कुछ शामिल है। वह अपने प्राचीन और शाश्वत पूर्वज्ञान के आधार पर, जो कुछ भी मौजूद है उसको पूरी तरह जानता है। यह उसके लिए समान है चाहे वह उसके कार्यों से संबंधित हो या उसके दासों के कार्यों से संबंधित हो। वह उनकी स्थिति, आज्ञाकारिता और अवज्ञा, जीविका, जीवन काल, सफलताओं और असफलताओं और उनकी सभी प्रवृत्ति को जानता है। उसको बनाने से पहले, और स्वर्ग और पृथ्वी को भी बनाने से पहले, अल्लाह को सब पता था कि कौन स्वर्ग में जायेगा और कौन नर्क में रहेगा।
“वास्तव में, अल्लाह से कुछ भी छिपा नहीं है, पृथ्वी में या आकाश में।” (क़ुरआन 3:5)
“क्या तुम नहीं जानते कि अल्लाह सब कुछ जानता है जो स्वर्ग और पृथ्वी पर होता है?” (क़ुरआन 22:70)
जो कोई इसे मानने से इंकार करता है वह अल्लाह की पूर्णता से इंकार करता है, क्योंकि ज्ञान के विपरीत या तो अज्ञानता या विस्मृति है। इससे इंकार करने का मतलब यह होगा कि भविष्य की घटनाओं के बारे में अल्लाह को पता नही है; और वह सर्वज्ञ नहीं है। ये दोनों ही कमियां हैं जिनसे अल्लाह मुक्त है। जब फिरौन ने मूसा से पूछा:
“(फिरौन ने कहा:) 'पुरानी पीढ़ियों के बारे में क्या?’
मूसा ने कहा: 'इन बातों का इल्म मेरे परवरदिगार के पास एक किताब (लौहे महफूज़) में (लिखा हुआ) है मेरा परवरदिगार न बहकता है न भूलता है' (क़ुरआन 20:51, 52)
अल्लाह भविष्य से अनजान नहीं है, और न ही वह अतीत का कुछ भी भूलता है।
(2) अल्लाह ने सरंक्षित किताब में सब कुछ दर्ज कर लिया है।
दूसरा आवश्यक घटक यह है कि अल्लाह ने अल-लोह अल-महफुज (संरक्षित किताब) में न्याय के दिन तक होने वाली हर चीज को दर्ज किया है। सभी मनुष्यों के जीवन काल लिखे जाते हैं और उनके भरण-पोषण की मात्रा को बांटा जाता है। सृजित होने से पहले सभी मानवता के लिए अनन्त चयन और निंदा लिखी गई थी। वे अपनी ही इच्छा से बाहर गए; वे अपनी ही इच्छा से गिरे, और उनका गिरना पहले से पता था इसलिए इसे लिखा लिया गया।
ब्रह्मांड में जो कुछ भी बनता है या होता है, वह वहां दर्ज होता है। अल्लाह ने कहा है:
“क्या आप नहीं जानते कि अल्लाह जानता है, जो आकाश तथा धरती में है, ये सब एक किताब में (अंकित) है। वास्तव में, ये अल्लाह के लिए अति सरल है।” (क़ुरआन 22:70)
कभी-कभी पापी यह कहकर पाप को न्यायोचित ठहराने का प्रयास करता है की, "मैंने यह पाप इसलिए किया क्योंकि यह लिखा था।" उसकी सोच में गलती यह है कि मात्र लिखने से उसकी स्वतंत्र इच्छा को छीन लिया गया है और इसका अर्थ है कि उसके कार्यों में उसके पास कोई और विकल्प नहीं था! ऐसे व्यक्ति के लिए उत्तर है, "नहीं। तूने ऐसा किया है, तभी ये लिखा गया है।” मतलब वह चुनने के लिए स्वतंत्र था। जो लिखा गया है वो केवल वह था जो वो करने वाला था, जिसे अपने पूर्वज्ञान द्वारा अल्लाह जानता है, मनुष्य की इच्छा की स्वतंत्र को छीने बिना।
पिछला पाठ: न्याय के दिन में विश्वास
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
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