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जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)

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विवरण: ये दो पाठ जिक्र के माध्यम से अल्लाह से जुड़ने की एक विशेष इस्लामी अवधारणा के अर्थ और लाभों पर चर्चा करेंगे।

द्वारा Aisha Stacey (© 2015 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 27 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,383 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·दैनिक जीवन के अपार पुरस्कार पाने के लिए अज़कार के 10 आसान शब्द सीखना।

अरबी शब्द

जिक्र - (बहुवचन: अज़कार) अल्लाह को याद करना।

निम्नलिखित अज़कार की एक छोटी सूची है जिसे आप अपनी दिनचर्या मे शामिल कर सकते हैं।

1. क़ुरआन पढ़ना : सबसे अच्छा जिक्र

इनाम:

Dhikr_(Remembering_Allah)-Meaning___Blessings_(Part_2_of_2)_._001.jpgआपको प्रत्येक अक्षर पढ़ने पर 10 इनाम दिया जायेगा। इस इनाम के कारण क़ुरआन पढ़ने को अपने जीवन की सर्वोच्च प्राथमिकता बनाना चाहिए।

2. सुभानअल्लाही वा बि-हम्दिही (हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए है)

ईनाम:

1.जब यह हर सुबह और शाम को 100 बार पढ़ा जाता है, तो इसका गुण इतना महान है कि इस व्यक्ति से बेहतर कोई और नहीं है, सिवाय उसके जिसने ऐसा ही या इससे अधिक पढ़ा हो।[1]

2.हर बार ये पढ़ने पर स्वर्ग मे (पढ़ने वाले के लिए) एक पेड़ लगाया जाएगा।[2]

3.जो कोई दिन में 100 बार ये पढ़ेगा, उसके पाप माफ़ कर दिये जाएंगे, भले ही वे समुद्र के झाग के बराबर हों।[3]

4.इसे 100 बार पढ़ने पर 100 अच्छे कर्म मिलेंगे या 1000 पाप उनके खाते से मिटा दिए जाएंगे।[4]

3.अलहम्दुलिल्लाह (सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए है)

ईनाम:

1.ये शब्द सर्वोत्तम दुआ है।[5]

2.ये अच्छे कर्मों का पलड़ा भरते हैं।[6]

3.इन शब्दो का प्रतिफल पृथ्वी और स्वर्ग के बीच के स्थान को भर देगा।[7]

4. ला हवला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाह (अल्लाह के अलावा कोई ताकत या शक्ति नहीं है)

ईनाम:

ये शब्द स्वर्ग का खजाना है।[8]

5.सुभानअल्लाह (अल्लाह हर ऐब से मुक्त है) [33 बार], अल्हम्दुलिल्लाह (सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए है) [33 बार], अल्लाहु अकबर (अल्लाह सबसे महान है) [34 बार]

इसे औपचारिक नमाज़ के बाद और सोने से पहले पढ़ना चाहिए।

ईनाम:

हम जानते हैं कि यह जिक्र प्रत्येक औपचारिक नमाज़ के बाद पढ़ा जाता है, लेकिन जब पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) की बेटी फातिमा ने अपने पिता से एक नौकर से घर के कामों में मदद करने का अनुरोध किया, तो पैगंबर ने उन्हें नौकर देने के बजाय यह जिक्र सिखाया और कहा कि इसे पढ़ने पर नौकर रखने से बेहतर परिणाम मिलेगा।

6.अस्तग़्फ़िरुल्लाह (मै अल्लाह से माफ़ी मांगता हूं)

ईनाम:

1.अल्लाह आपको संतान और धन प्रदान करेगा।" (क़ुरआन 72:10-12)

2.अल्लाह तुम्हारी शक्ति में अधिक शक्ति प्रदान करेगा” (क़ुरआन 11:52)

3.अल्लाह एक निर्धारित अवधि तक अच्छा लाभ पहुंचाएगा” (क़ुरआन 11:3)

4.यह उस दिल के लिए इलाज है जो विचारो मे व्यस्त रहता है। (सहीह मुस्लिम की एक हदीस पर आधारित)[9]

7. सुभानअल्लाह, व अल्हम्दुलिल्लाह, व ला इलाहा इल्लल्लाह, व अल्लाहु अकबर (अल्लाह हर ऐब से मुक्त है, सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए हैं, अल्लाह के सिवा कोई सच्चा ईश्वर नही है, अल्लाह सबसे महान है)

ईनाम:

1.ये शब्द पैगंबर मुहम्मद को हर उस चीज से ज्यादा प्रिय थे जिस पर सूर्य की रौशनी पड़ती थी।[10]

2.इन शब्दों को पढ़ना हर जोड़ के लिए दान देने जैसा है।[11]

8. सुभानअल्लाह, व अल्हम्दुलिल्लाह, व ला इलाहा इल्लल्लाह, व अल्लाहु अकबर, व ला हवला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाह (अल्लाह हर ऐब से मुक्त है, सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए हैं, अल्लाह के सिवा कोई सच्चा ईश्वर नही है, अल्लाह सबसे महान है, अल्लाह के अलावा कोई ताकत या शक्ति नहीं है)

ईनाम:

1.इन शब्दों को दोहराना उस व्यक्ति के लिए पर्याप्त है जो क़ुरआन के बारे में कुछ भी नहीं सीख सकता है।[12]

2.ये शब्द "अच्छे कर्म है जो चलते रहते हैं"[13]

3.पैगंबर इब्राहिम (अब्राहम) ने पैगंबर मुहम्मद से कहा कि स्वर्ग की भूमि शुद्ध है, इसका पानी मीठा है, और इसका विस्तार बहुत विशाल है और उपरोक्त शब्द इसके पौधे हैं। [14]

9. ला इलाहा इल्लल्लाह, अल्लाहु अकबर, व ला हवला व ला कुव्वता इल्ला बिल्लाह (अल्लाह के सिवा कोई सच्चा ईश्वर नही है, अल्लाह सबसे महान है, अल्लाह के अलावा कोई ताकत या शक्ति नहीं है)

ईनाम:

जो कोई भी इन शब्दों को पढ़ता है उसके पाप क्षमा कर दिए जाते हैं, भले ही वे समुद्र के झाग के बराबर हों।[15]

10. सुभानअल्लाह व बि-हम्दिही, सुभानअल्लाह अल-अज़ीम (अल्लाह हर ऐब से मुक्त है, हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह के लिए है, सर्वोच्च अल्लाह की जयकार हो)

ईनाम:

पैगंबर ने कहा: "दो शब्द जो जुबान के लिए आसान हैं, तराजु पर भारी हैं, और सबसे दयालु के लिए प्रिय हैं…”[16]



फुटनोट:

[1] सहीह मुस्लिम

[2] तिर्मिज़ी

[3] सहीह अल-बुखारी

[4] सहीह मुस्लिम

[5] सहीह मुस्लिम

[6] सहीह मुस्लिम

[7] सहीह मुस्लिम

[8] सहीह अल-बुखारी

[9] 'मेरा दिल व्यस्त हो जाता है (विचारों से) इसलिए मैं अल्लाह से दिन में 100 बार माफी मांगता हूं।' (मुस्लिम)

[10] सहीह मुस्लिम

[11] सहीह मुस्लिम

[12] अबू दाउद

[13] अल-बाकियातुस-सालीहात (नसाई)

[14] तिर्मिज़ी

[15] तिर्मिज़ी

[16] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

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