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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
-
स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
विवरण: आदम की रचना और उसके बाद की घटनाओं पर दो भागो का पाठ। भाग 2 उन घटनाओं पर चर्चा करता है जिनके कारण उन्हें स्वर्ग से निकाला गया।
द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 21 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,478 (दैनिक औसत: 3)
उद्देश्य
·आदम की पत्नी और उनके बच्चों के बारे में जानना।
·आदम को सज्दा करने के लिए शैतान को अल्लाह ने जो आदेश दिया उसके बारे मे जानना।
·यह समझना कि आदम और हव्वा को क्षमा कर दिया गया था और कोई भी दूसरे के पाप के लिए जिम्मेदार नही था।
·मानवजाति को पथभ्रष्ट करने के शैतान के संकल्प और इसके प्रति सचेत रहने की आवश्यकता को समझना।
अरबी शब्द
·इब्लीस - शैतान का अरबी नाम।
·जिन्न - अल्लाह की एक रचना जो मानवजाति से पहले धुआं रहित आग से बनाई गई थी। उन्हें कभी-कभी आत्मा, बंशी, पोल्टरजिस्ट, प्रेत आदि के रूप में संदर्भित किया जाता है।
·तक़वा - अल्लाह का खौफ या डर, धर्मपरायणता, ईश्वर-चेतना। यह बताता है कि व्यक्ति जो कुछ भी करता है उसे अल्लाह देख रहा है।
आदम की पत्नी
आदम को बनाने के तुरंत बाद, अल्लाह ने उनकी पत्नी हव्वा को बनाया। अल्लाह ने सभी मनुष्यों को उनसे पैदा किया (क़ुरआन 49:13)। हव्वा को आदम की पसली से बनाया गया था। पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा, "महिलाओं की अच्छी देखभाल करें, क्योंकि (पहली) महिला एक मुड़ी हुई पसली (आदम की) से बनाई गई थी, और पसली का सबसे घुमावदार भाग उसका ऊपरी सिरा होता है। यदि आप उसे सीधा करने पर जोर दोगे, तो आप उसे तोड़ दोगे और यदि आप उसे छोड़ दोगे, तो यह मुड़ा ही रहेगा। इसलिए महिलाओं का अच्छे से ख्याल रखें।" (बुखारी)
आदम के बच्चे
आदम को पैदा करने के बाद, अल्लाह ने उनके सभी वंशजों को उनकी रीढ़ की हड्डी से बनाया (क़ुरआन 7:172)। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "जब अल्लाह ने आदम को बनाया, तो उसने उसकी पीठ पोंछ दी, उसमें से पुनरुत्थान के दिन तक आदम की संतान के प्रत्येक व्यक्ति को पैदा किया।”[1]
अल्लाह ने स्वर्गदूतो को आदम को सजदा करने का आदेश दिया
आदम में प्राण फूंकने के बाद अल्लाह ने स्वर्गदूतो को आदम का सजदा करने का आदेश दिया। अल्लाह ने उनसे कहा,
“तो जब मैं उसे पूरा बना लूं और उसमें अपनी आत्मा फूंक दूं, तो उसके लिए सज्दे में गिर जाना।” (क़ुरआन 15:29, 38:72)
आदम को जीवन देने के बाद, अल्लाह ने स्वर्गदूतों को आदम के सामने सजदा करने का आदेश दिया,
“और जब हमने स्वर्गदूतो से कहाः आदम को सज्दा करो’” (क़ुरआन 2:34, 17:61, 18:50, 20:116)
जब अल्लाह ने स्वर्गदूतों को आदम का सजदा करने का आदेश दिया, तो उनमे शैतान (या अरबी में इबलीस ) भी था। स्वर्गदूतों ने तुरंत सजदा किया, लेकिन इबलीस ने इनकार कर दिया (क़ुरआन 2:34, 20:116, 15:30-31)। उसका पहला पाप अल्लाह के सज्दे के आदेश की अवज्ञा करना था। इबलीस कभी स्वर्गदूत नहीं था (क़ुरआन 18:50); वह एक जिन्न था जो स्वर्गदूतों के बीच रहता था। उसने अपने व्यवहार के लिए पछतावा और पश्चाताप नही किया। अल्लाह कहता है,
“तो इब्लीस के सिवा सबने सज्दा किया, उसने इन्कार तथा अभिमान किया और काफ़िरों में से हो गया।” (क़ुरआन 2:34)
अल्लाह ने उसे पश्चाताप करने का मौका दिया; हालांकि, इब्लीस अवज्ञा और विद्रोह में डूब गया था। अपने अहंकार को सही ठहराने के लिए, शैतान ने कहा कि वह आदम से बेहतर है क्योंकि आग मिट्टी से बेहतर होती है।
अल्लाह ने इबलीस को सज़ा के तौर पर स्वर्ग से निकाल दिया।
इब्लीस ने माना कि वह अपने पूर्ण अविश्वास और अवज्ञा के लिए तत्काल दंड का पात्र है, लेकिन उसने अनुरोध किया कि उसकी सजा को न्याय के दिन तक स्थगित कर दिया जाए। अल्लाह ने अपने महान ज्ञान से उसके अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
इब्लीस ने मनुष्यो को गुमराह करने की अपनी दुष्ट योजना की घोषणा की। उसने अल्लाह के सामने घमंड से घोषणा की,
“(उसने (इब्लीस ने) कहाः तो जिस प्रकार तूने मुझे कुपथ किया है, मै भी तेरी सीधी राह पर इनकी घात में लगा रहूंगा। फिर उनके पास उनके आगे और पीछे तथा दायें और बायें से आऊंगा और तू उनमें से अधिक्तर को (अपना) कृतज्ञ नहीं पायेगा।’” (क़ुरआन 7:16-17)
इबलीस ने अपने दुर्भाग्य के लिए अल्लाह को दोषी ठहराया, भले ही अल्लाह ने उसकी पसंद की स्वतंत्रता को नहीं छीना था। अल्लाह की बुद्धि ने तय किया कि इबलीस इंसानों के लिए परीक्षण हो और उसे इंसानों पर असाधारण अधिकार दिए, लेकिन इसकी सीमा यह है कि वह अल्लाह के सच्चे सेवकों को वश में नहीं कर पाएगा।
अल्लाह ने इब्लीस को अपनी योजना पर अमल करने की अनुमति दी। जब वह अपनी दुष्ट योजना पूरी कर लेगा, तो वह अपने जिन्न और मनुष्य अनुयायियों के साथ नर्क में रहेगा। (क़ुरआन 7:18)।
आदम और हव्वा स्वर्ग में
अल्लाह ने आदम और हव्वा को स्वर्ग में रहने दिया, जो सबसे अच्छा निवास है। अल्लाह ने उन्हें बिना किसी रोक-टोक के इसके इनामों का आनंद लेने की अनुमति दी। हालांकि, अल्लाह ने उन्हें एक विशिष्ट फल खाने से मना किया,
“और हमने कहाः हे आदम! तुम और तुम्हारी पत्नी स्वर्ग में रहो तथा इसमें से जिस स्थान से चाहो, मनमानी खाओ और इस वृक्ष के समीप न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।’” (क़ुरआन 2:35)
जैसे ही आदम और हव्वा ने स्वर्ग मे रहना शुरू किया, शैतान ने उन पर अपनी चालाकी से छल किया। दोनों मासूम थे और झूठ और धोखे के बारे में नहीं जानते थे। शैतान ने अल्लाह की झूठी शपथ ली और उनकी मासूमियत का इस्तेमाल अपने फायदे के लिए किया। शैतान ने उन्हें सुझाव दिया कि वे स्वर्गदूतों की तरह हो सकते हैं या हमेशा के लिए स्वर्ग मे रह सकते हैं। आदम और हव्वा अपनी इच्छा के आगे झुक गए और शैतान की चाल में पड़ गए और निषिद्ध पेड़ से खा लिया। जैसे ही उन्होंने खाया, उनके निजी अंग उजागर हो गए (क़ुरआन 2:36)। अवज्ञा का एक तत्काल परिणाम तकवा के आध्यात्मिक कपड़ों को उतारना है, इसलिए उनके निजी अंगों को ढकने वाले वस्त्रों को छीन लिया गया था।
उन्हें उनके निजी अंगों को ढकने वाले भौतिक वस्त्रों को छीनने की सजा दी गई थी।
शैतान ने पहले हव्वा को बहकाया था और फिर उसने आदम को निषिद्ध पेड़ से खाने के लिए मना लिया था (बुखारी और मुस्लिम में वर्णित के आधार पर)।
जब शैतान ने उन दोनों को अल्लाह की अवज्ञा करने के लिए बहकाया, तो उन्हें स्वर्ग से निकाल कर पृथ्वी पर रहने के लिए भेज दिया गया था, ताकि उनकी मृत्यु हो सके और पुनरुत्थान के दिन उठाया जा सके।
जैसे ही आदम और हव्वा को अपने पाप की गंभीरता का एहसास हुआ, उन्होंने इसका पछतावा किया और अल्लाह से पश्चाताप करना चाहते थे। अपने पाप के प्रति उनका रवैया शैतान से बिल्कुल अलग था। शैतान ने अपनी अवज्ञा के लिए अल्लाह को दोषी ठहराया था और पछतावा या पश्चाताप करने से इनकार कर दिया था।
अल्लाह ने उन्हें पश्चाताप करने के विशिष्ट शब्द सिखाकर पश्चाताप का मार्ग दिखाया। आदम और उसकी पत्नी द्वारा कहे गए शब्द थे,
“दोनों ने कहाः हे हमारे पालनहार! हमने अपने ऊपर अत्याचार कर लिया और यदि तू हमें क्षमा तथा हमपर दया नहीं करेगा, तो हम अवश्य ही नाश हो जायेंगे।” (क़ुरआन 7:23)
पश्चाताप करने का सबसे अच्छा तरीका पाप और अधर्म को स्वीकार करना है। इस तरह अल्लाह ने आदम और हव्वा को अपना पश्चाताप व्यक्त करना सिखाया।
अल्लाह ने उनका पश्चाताप स्वीकार किया और उनसे कहा कि इंसानों को धरती पर वास करना चाहिए। नेक काम करने वालों को ही स्वर्ग में जाने दिया जाएगा।
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