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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
-
स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
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स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
विवरण: पैगंबर मुहम्मद के पैगंबर बनने से पहले और बाद के चरित्र और नैतिकता पर दो भागो वाला पाठ।
द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 25 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 3,389 (दैनिक औसत: 4)
उद्देश्य
·इस बात को समझना कि पैगंबर मुहम्मद सभी मनुष्यों के अनुसरण करने के लिए एक उदाहरण थे।
·अल्लाह द्वारा पैगंबर बनाए जाने से पहले उनके चरित्र के बारे मे जानना।
·पैगंबर मुहम्मद की ईमानदारी और धैर्य के बारे में जानना।
अरबी शब्द
·अमीन - भरोसेमंद।
·सादिक - सच्चा।
पैगंबर बनने से पहले
रहस्योद्घाटन मिलने से पहले पैगंबर एक भरोसेमंद और ईमानदार व्यक्ति थे। उन्होंने कभी किसी के साथ विश्वासघात नहीं किया, न ही झूठ बोला और न ही धोखा दिया। वह लोगों मे 'अल-अमीन', या 'विश्वसनीय' के रूप में जाने जाते थे। जब लोग यात्रा पे जाते थे तो उन्हें अपना कीमती सामान सौंप देते थे। उन्हें 'अस-सादिक' या 'सच्चा' के नाम से भी जाना जाता था क्योंकि उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला। उनका स्वभाव अच्छा था, वो अच्छा बोलते थे और लोगों की मदद करना पसंद करते थे। लोग उनसे प्यार करते थे और उनका सम्मान करते थे और वो सुंदर शिष्टाचार के धनी थे। पैगंबर बनने से पहले, उन्होंने शराब नहीं पी, मूर्ति की आराधना नहीं की और न ही उसकी शपथ ली।
पैगंबर बनने के बाद
अल्लाह कहता है:
“तथा निश्चय ही आप बड़े सुशील हैं।” (क़ुरआन 68:4)
पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) सभी मनुष्यों के अनुसरण करने के लिए एक उदाहरण थे। उनकी पत्नी आयशा से उनके शिष्टाचार के बारे में पूछा गया, और उन्होंने कहा,
“उनके शिष्टाचार क़ुरआन थे।”
उनके कहने का मतलब था कि पैगंबर क़ुरआन के कानूनों, आदेशों और निषेधों का पालन करते थे। पैगंबर ने अपने बारे में कहा:
“अल्लाह ने मुझे अच्छे आचरण और अच्छे कर्म करने के लिए भेजा है।”[1]
मलिक के पुत्र अनस ने दस वर्ष तक पैगंबर की सेवा की थी। अनस दिन भर उनके साथ रहते और उनके तौर-तरीकों जानते थे। अनस बताते हैं:
“पैगंबर ने किसी की कसम नहीं खाई, न ही वह असभ्य थे, और न ही उन्होंने किसी को शाप दिया था। यदि वह किसी को डांटना चाहते, तो कहते: 'उसे क्या हुआ, उसके चेहरे पर धूल पड़ जाए!’”[2]
ईमानदारी और विश्वसनीयता
पैगंबर मुहम्मद अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। मक्का के अधर्मी जो खुले तौर पर उनके शत्रु थे, अपना कीमती सामान उनके पास रखते थे क्योंकि उन दिनों बैंक नहीं होते थे। उनकी ईमानदारी की परीक्षा तब हुई जब मक्का के अन्यजातियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनके साथियों को प्रताड़ित किया और उन्हें उनके घरों से निकाल दिया। उन्होंने अपने चचेरे भाई अली को मदीना जाने की योजना को तीन दिनों के लिए स्थगित करने का आदेश दिया ताकि लोगों को उनके क़ीमती सामान वापस कर सकें।
उनकी ईमानदारी का एक और उदाहरण हुदैबियाह[3] के संघर्ष विराम में देखने को मिला। संधि की शर्तें यह थी कि जो कोई भी पैगंबर को छोड़ देगा, वह वापस उनके पास नहीं जाएगा, लेकिन जो व्यक्ति मक्का छोड़ेगा उन्हें वापस कर दिया जाएगा। अबू जंदल नाम का एक व्यक्ति मक्का के अन्यजातियों से बचने में कामयाब रहा और पैगंबर के साथ शामिल हो गया। मूर्तिपूजकों ने पैगंबर मुहम्मद से अपनी प्रतिज्ञा का सम्मान करने और आदमी को वापस करने के लिए कहा। अल्लाह के दूत ने कहा:
“ऐ अबू जंदल! धैर्य रखो और अल्लाह से धैर्य देने की प्रार्थना करो। अल्लाह निश्चित रूप से आपकी और उन लोगों की मदद करेगा जो सताए गए हैं और आपके लिए इसे आसान बना देगा। हमने उनके साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, और हम निश्चित रूप से धोखा या विश्वासघात नहीं करते हैं।”[4]
धैर्य और सहनशीलता
अनस ने कहा:
“एक बार मैं अल्लाह के दूत के साथ जा रहा था, उस समय उन्होंने यमनी लबादा पहना हुआ था जिसमें खुरदुरे किनारों वाला कॉलर था। एक बेडौइन ने उन्हें जोर से पकड़ लिया। मैंने उनकी गर्दन के किनारे को देखा और देखा कि लबादे की धार उनकी गर्दन पर एक निशान छोड़ गई है। बेडौइन ने कहा, 'ऐ मुहम्मद! अल्लाह की दौलत मे से कुछ जो तुम्हारे पास है मुझे दे दो।' अल्लाह के दूत ने बेडौइन की ओर देखा, मुस्कुराये और आदेश दिया कि उसे (कुछ पैसे) दिए जाएं।”[5]
उनके धैर्य के एक और उदाहरण की कहानी है यहूदी रब्बी ज़ैद बिन सना। ज़ैद ने अल्लाह के दूत को क़र्ज़ के तौर पर कुछ दिया था। उसने खुद कहा,
“क़र्ज़ लौटाने से दो-तीन दिन पहले अल्लाह के दूत अंसार के एक आदमी की अंत्येष्टि में शामिल हो रहे थे। अबू बक्र, उमर, उस्मान और कुछ अन्य साथी पैगंबर के साथ थे। अंतिम संस्कार की प्रार्थना के बाद वह एक दीवार के पास बैठ गए, और मैं उनकी ओर गया, उन्हें उनके लबादे के किनारों से पकड़ लिया, और उन्हें कठोर तरीके से देखा, और कहा: 'ऐ मुहम्मद! क्या तुम मुझे मेरा कर्ज नहीं चुकाओगे? अब्दुल मुत्तलिब के परिवार कर्ज चुकाने में देरी नहीं करते!’
मैंने उमर इब्न अल-खत्ताब को देखा - उनकी आंखे गुस्से से फूल गईं थी! उसने मेरी तरफ देखा और कहा: 'अल्लाह के दुश्मन, क्या तुम उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हो?! उसकी कसम जिसने इन्हे सत्य के साथ भेजा, यदि स्वर्ग मे प्रवेश न करने का भय न होता, तो मैं अपनी तलवार से तुम्हारा सिर काट देता! पैगंबर ने उमर को शांतिपूर्ण तरीके से देखा, और कहा: 'ऐ उमर, आपने जो किया वह करने के बजाय आपको हमें ईमानदारी से परामर्श देना चाहिए था! ऐ उमर, जाओ और इसे इसका कर्ज चुका दो, और इसे अतिरिक्त दो क्योंकि तुमने इसे डराया था!’”
ज़ैद ने कहा: "उमर मेरे साथ गए, और मेरा कर्ज चुकाया, और मुझे इसके अतिरिक्त बीस सा[6]खजूर दिए। मैंने उससे पूछा: 'यह क्या है?' उसने कहा: 'अल्लाह के दूत ने मुझे इसे देने का आदेश दिया है, क्योंकि मैंने तुम्हें डरा दिया था।'" ज़ैद ने फिर उमर से पूछा: "ऐ उमर, क्या तुम जानते हो कि मैं कौन हूं?" उमर ने कहा: "नहीं, मैं नहीं जनता - तुम कौन हो?" ज़ैद ने कहा: "मैं ज़ैद इब्न सना हूं।" उमर ने पूछा: "रब्बी?" ज़ैद ने उत्तर दिया: "हां, रब्बी।" उमर ने फिर उससे पूछा: "जो तुमने पैगंबर को कहा वो क्यों कहा और जो उनके साथ किया वह क्यों किया?" ज़ैद ने उत्तर दिया: "ऐ उमर, मैंने अल्लाह के दूत के चेहरे पर पैगंबरी की दो निशानियां छोड़कर सभी निशानियां देखे हैं - (पहला) उनका धैर्य और दृढ़ता उनके क्रोध से पहले है और दूसरा, कोई उनके प्रति जितना कठोर होता है, वह और अधिकत दयालु और अधिक धैर्यवान हो जाते हैं, और मैं अब संतुष्ट हूं। ऐ उमर, मैं आपको गवाह बनाता हूं कि मैं गवाही देता हूं और संतुष्ट हूं कि केवल अल्लाह के अलावा कोई सच्चा ईश्वर पूजा के योग्य नहीं है, और मेरा धर्म इस्लाम है और मुहम्मद मेरे पैगंबर हैं। मैं आपको इसका भी गवाह बनाता हूं कि मैं मदीना के सबसे धनी लोगों में से हूं और मैं अपनी आधी संपत्ति अल्लाह के लिए मुसलमानों को देता हूं।” उमर ने कहा: "आप अपने धन को सभी मुसलमानों में वितरित नहीं कर पाएंगे, इसलिए कहो, 'मैं इसे मुहम्मद के कुछ अनुयायियों को वितरित करूंगा।" ज़ैद और उमर दोनों अल्लाह के दूत के पास लौट आए। ज़ैद ने उनसे कहा: "मैं गवाही देता हूं कि केवल अल्लाह के अलावा कोई सच्चा ईश्वर पूजा के योग्य नहीं है, और यह कि मुहम्मद अल्लाह के दास और दूत हैं।" 'जैद ने पैगंबर पर विश्वास किया, और कई लड़ाइयां लड़ी और फिर ताबूक की लड़ाई मे दुश्मनो का सामना करते हुए मारे गए - अल्लाह ज़ैद पर दया करे।[7]
उनकी क्षमा और दृढ़ता का एक महान उदाहरण तब स्पष्ट होता है जब उन्होंने मक्का की विजय के बाद लोगों को क्षमा कर दिया। जब अल्लाह के दूत ने उन लोगों को इकट्ठा किया जिन्होंने ने पैगंबर और उनके साथियों को गालियां दी थी, नुकसान पहुंचाया था और यातनाएं दी थी, और उन्हें मक्का शहर से बाहर निकाल दिया था, तो पैगंबर ने कहा:
“तुम्हें क्या लगता है कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगा?" उन्होंने उत्तर दिया: “आप कुछ हितकर ही करेंगे; आप एक दयालु और उदार भाई हैं, और एक दयालु और उदार भतीजे हैं!" पैगंबर ने कहा: "जाओ - तुम अपनी इच्छानुसार करने के लिए स्वतंत्र हो।”[8]
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- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
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- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
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- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
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- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
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- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
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- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
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- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
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