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अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)

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विवरण: क्या करें जब मृत्यु हमारे करीब हो या हमारा जानने वाला कोई मर जाये तो उसके तुरंत बाद क्या करना चाहिए।

द्वारा Aisha Stacey (© 2017 IslamReligion.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 22 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,336 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·मृत्यु से संबंधित प्रामाणिक सुन्नत, मरने वाले व्यक्ति और अंतिम संस्कार के बारे में जानना।

अरबी शब्द

·अल्हम्दुलिल्लाह - सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए है। यह कहकर हम आभारी होते हैं और हम स्वीकार करते हैं कि सब कुछ अल्लाह की ओर से है।

·दुआ - याचना, प्रार्थना, अल्लाह से कुछ मांगना।

·क़िबला - जिस दिशा की और मुंह कर के औपचारिक प्रार्थना (नमाज) करी जाती है।

·काबा - मक्का शहर में स्थित घन के आकार की एक संरचना। यह एक केंद्र बिंदु है जिसकी ओर सभी मुसलमान प्रार्थना करते समय अपना रुख करते हैं।

·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।

·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री अनुष्ठानों का एक सेट करता है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।

·एहराम - ऐसी स्थिति जिसमें किसी को कुछ ऐसे काम करने की मनाही होती है जो अन्य समय में वैध होता है। उम्रह और हज के संस्कार करते समय यह आवश्यक है।

·उम्रह - सऊदी अरब के मक्का शहर में अल्लाह के पवित्र घर की तीर्थयात्रा। अक्सर इसे छोटी तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष के किसी भी समय किया जा सकता है।

मृत्यु निश्चित है

Funeral-Rites-(part-1-of-2).jpgक़ुरआन में अल्लाह हमें बताता है कि हर कोई मौत का स्वाद चखेगा (क़ुरआन 3:185)। हम में से प्रत्येक को मृत्यु आएगी, यह अनिवार्य है। यह शायद जीवन की एकमात्र ऐसी चीज़ है जिसके लिए हम निश्चित हैं। मृत्यु भयावह और डरावनी है और इसका सामना हर जीवित प्राणी को करना है। यह युवा, बूढ़े, अमीर, गरीब, मजबूत और कमजोर सब के लिए है। तुम भाग नहीं सकते और तुम छिप नहीं सकते। ईश्वर कहता है कि मौत "जिससे आप भागते हो" आपको मिलकर रहेगी (क़ुरआन 62:8) और पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने हमें "सुखों के विनाशक, मृत्यु"[1] को याद करने के लिए प्रोत्साहित किया।

हां, मृत्यु अनिवार्य है लेकिन कुछ चीजें हैं जिससे एक विश्वासी इसकी तैयारी कर सकता है। इस्लाम ने हमें मरने वाले व्यक्ति के लिए, किसी प्रियजन की मृत्यु के समय उपस्थिति रहने वाले के लिए और दफनाने वाले लोगो के लिए निर्देश दिया है। ये निर्देश सुनिश्चित करते हैं कि मरने वालों और मर चुके लोगों के अधिकारों का सम्मान किया जाए और उनके साथ सावधानी से व्यवहार किया जाए।

जब मौत हमारे करीब हो

मृत्यु अचानक और बिना किसी चेतावनी के आ सकती है या किसी व्यक्ति और उसके प्रियजनों को खुद को तैयार करने के लिए समय देकर यह अधिक धीरे-धीरे आ सकती है। मृत्यु का सामना करने वाले को पांच महत्वपूर्ण चीजें करने की कोशिश करनी चाहिए।

1.धैर्य रखें।

मृत्यु का समय कुछ ऐसा है जिस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। किसी भी कष्ट का सामना करने के लिए विश्वासियों को निश्चित होना चाहिए कि अल्लाह ने उसके लिए कुछ अच्छा करने का आदेश दिया है। हालांकि, वह अच्छा शायद इस दुनिया के सुखों में से है या यह परलोक में हो सकता है।

2.कराहने और शिकायत करने से बचें।

हालांकि, अकेले में रोना और ईश्वर से शिकायत करने की अनुमति है। इस्लाम हमे बताता है कि अल्लाह के सामने रोना और अपने सभी डर, दर्द, पीड़ा और परेशानियों को उनके सामने रखना स्वीकार्य है। पैगंबर याकूब ने यह मानक तब स्थापित किया जब उन्होंने अपने दो विश्वासयोग्य पुत्रों के खोने पर अल्लाह को याद किया। उन्होंने कहा कि "मैं सिर्फ अल्लाह से अपने दुख और दर्द की शिकायत करता हूं।” (क़ुरआन 12:86)

3.भय और आशा की अवस्थाओं के बीच बने रहने का प्रयास करें।

अपने गुनाहों की सजा से डरो लेकिन अल्लाह की माफ़ी और दया की उम्मीद रखो। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, कि ये दो चीजें, भय और आशा, किसी व्यक्ति के दिल में ईश्वर की आज्ञा के बिना कभी भी वह नही आ सकता जिसकी वह आशा करता है और जिस चीज से वह डरता है अल्लाह उससे उसे आश्रय देता है।[2]

4.मामलों का निपटारा करें।

विश्वासी को आश्वस्त करना चाहिए कि उसके सभी मामले सही हैं। उसे एक वसीयत लिखनी चाहिए, और उसे अपने किसी भी ऋण का निपटान या व्यवस्था करनी चाहिए।

5.अंतिम संस्कार की तैयारी करें।

अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से अंतिम संस्कार करते समय पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत का पालन करने के लिए कहें।

जब मृत्यु किसी प्रियजन के करीब हो

मरने वाले व्यक्ति के परिवार और दोस्तों के लिए कई महत्वपूर्ण चीजें हैं।

1.रोगी से मिलने जाएं।

2.सुनिश्चित करें कि उन्हें उचित चिकित्सा उपचार मिल रहा है।

3.इस दुख और भय के समय में रोगी से शांति से बात करें, उन्हें सांत्वना और परामर्श दें।

4.रोगी के साथ और रोगी के लिए प्रार्थना करें। अच्छे दयालु शब्द कहें और दुआ करें । कुछ भी नकारात्मक कहने से बचना चाहिए क्योंकि पैगंबर मुहम्मद ने हमें बताया कि स्वर्गदूत बीमार के बिस्तर पर मौजूद होते हैं और वहां जो कुछ भी कहा जाता है उस पर आमीन कहते हैं।[3]

5.रोगी की इच्छा को पूरा करने का प्रयास करें जो उसके डॉक्टर के निर्देशों के विरुद्ध न हो। शायद कोई विशेष भोजन या पेय है जो वह चाहता है या वह अपने आस-पास आराम चाहता है। उसे दोस्तों या परिवार से संपर्क करने या उनसे मिलने की आवश्यकता हो सकती है।

यदि कोई विश्वासी किसी गैर-मुस्लिम रोगी से मिलने जाता है तो उसे अल्लाह से मदद लेनी चाहिए और उस व्यक्ति को इस्लाम स्वीकार करने के लिए आमंत्रित करना चाहिए।

जब मृत्यु करीब हो

मरने वाला व्यक्ति उन चीजों को देख सकता है जो हम नहीं देख सकते। हो सकता है कि वह अपने आप से या अपने आस-पास इकट्ठा होने वाले स्वर्गदूतों से बड़बड़ाये। वह बहुत कमजोर हो सकता है, ऐसा लग सकता है कि वह बार-बार सो रहा है या जाग रहा है, या बेहोश हो रहा है और होश मे आ रहा है। उसके बिस्तर के आस-पास के लोगो को सौम्य और शांत रहना चाहिए और सकारात्मक बोलना और दुआ करना याद रखना चाहिए। यदि इससे असुविधा नहीं होती है, तो मरने वाले व्यक्ति को क़िबला की ओर मुंह करके या तो अपनी दाहिनी ओर या अपनी पीठ पर लेटना चाहिए। उसकी सहायता करनी चाहिए और धीमी आवाज़ मे ला इलाहा इल्लल्लाह (अल्लाह के सिवा कोई ईश्वर नही है) कहने के लिए प्रेरित करना चाहिए, इस उम्मीद के साथ कि ये उसके आखिरी शब्द होंगे। मरने वाले व्यक्ति के होठों को गीला रखने या उसके मुंह में पानी की कुछ बूंदें डालने से उसकी पीड़ा कम हो सकती है। अंत में, मरने वाले को कभी अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।

मृत्यु के तुरंत बाद क्या करें?

1.मृतक की आंखें बंद करके और दुआ करना चाहिए।

2.उसके हाथों और पैरों को सख्त होने से बचाने के लिए समय-समय पर उन्हें सीधा करना चाहिए।

3.उसके कपड़े उतारकर पूरे शरीर को एक साफ चादर से ढक दें। यदि व्यक्ति हज या उम्रह के लिए एहराम की स्थिति मे था तो उसका चेहरा और सिर खुला छोड़ देना चाहिए।

4.मृतक के कर्ज को उसके अपने रुपए या किसी रिश्तेदार या दोस्त के द्वारा चुकाने की व्यवस्था करें।

5.याद रखें कि मृतक को चूमने की अनुमति है।

6.शरीर को धोने, कफन पहनाने और दफनाने के लिए तैयार करने में जल्दबाजी करें।

किसी प्रियजन की मृत्यु को देखकर या इसकी खबर सुनकर विश्वासी को शांत रहने और धैर्य रखने की कोशिश करनी चाहिए। अल्लाह को याद करने और अल्हम्दुलिल्लाह कहने से दर्द और दुख मे कमी होती है। उदास और अभिभूत होना सामान्य है और रोने की निश्चित रूप से अनुमति है। हालांकि, चीखना, छाती पीटना, बाल खींचना या किसी के कपड़े फाड़ना सही नही है।



फुटनोट:

[1] अन-नसाई, अत-तिर्मिज़ी, इब्न माजा और अहमद। शेख अल-अल्बानी द्वारा प्रमाणित।

[2] इब्न माजा और अत-तिर्मिज़ी

[3] सहीह मुस्लिम

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