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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
-
स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
-
स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
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स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
विवरण: धोना, कफन पहनाना, दफनाना और सांत्वना देना।
द्वारा Aisha Stacey (© 2017 IslamReligion.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य
·मृतक को दफनाने की इस्लामी पद्धति को समझना।
अरबी शब्द
·दुआ - याचना, प्रार्थना, अल्लाह से कुछ मांगना।
·क़िबला - जिस दिशा की और मुंह कर के औपचारिक प्रार्थना (नमाज) करी जाती है।
·जिक्र - (बहुवचन: अज़कार) अल्लाह को याद करना।
·फ़र्ज़ किफ़ायाह - एक ऐसा कार्य जो पूरे मुस्लिम समुदाय के लिए अनिवार्य है, और कम से कम एक व्यक्ति को करना चाहिए।
·सलात उल-जनाज़ा - अंतिम संस्कार की नमाज़।
·तकबीर - "अल्लाहु अकबर" कहना।
·तसलीम - शांति का वह सलाम जिससे नमाज़ पूरी होती है।
शव को दफनाने के लिए तैयार करना
इस्लाम ने हमे शव को दफनाने के लिए तैयार करने का निर्देश दिया है। मरे हुए विश्वासी के शरीर को धोना फ़र्ज़ किफ़ायाह, जिसका अर्थ है कि यह एक सामूहिक दायित्व है। यदि यह करना है तो मुस्लिम समुदाय की तरफ से किया जाना चाहिए। शरीर को धोने में विफलता केवल परिजन या परिवार के लिए एक विफलता नहीं है; यह पूरे समुदाय की विफलता है।
मृतक को उसी लिंग के करीबी परिवार के सदस्यों द्वारा धोया जाना चाहिए। यदि कोई रिश्तेदार उपलब्ध नहीं है तो यह करने के लिए सबसे भरोसेमंद और धर्मपरायण व्यक्ति होना चाहिए। आजकल शरीर को धोने का काम अक्सर किसी इस्लामिक केंद्र या मस्जिद, या सरकारी सुविधा के मुर्दाघर में योग्य मुसलमानों पर छोड़ दिया जाता है।
विश्वासी मृतक को एक सम्मानजनक तरीके से धोना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि शरीर को हमेशा आराम और सावधानी से संभाला जाए। शव को धोने वाला…
1.भरोसेमंद होना चाहिए और वह जो देखता है उसके बारे मे बात नही करना चाहिए।
2.मुर्दे को धोने का इस्लामिक तरीका जानता हो।
3.शरीर पर टिप्पणी न करें।
4.मृतक के समान लिंग का हो। यदि मृतक विवाहित है, तो पति या पत्नी शव को धो सकते हैं। यदि मृतक एक बच्चा है तो माता-पिता धो सकते हैं या किसी भी लिंग का व्यक्ति धो सकता है।
कफन पहनाना
मृतक को धोने के बाद शरीर को कफन पहनाना चाहिए; वह कपड़ा जिसे एक मृत मुसलमान को दफनाने के लिए लपेटा जाता है। कुछ स्थानों पर, परिषद के उप-नियमों के कारण अक्सर ताबूत का उपयोग अनिवार्य होता है। इन मामलों मे शव को ताबूत मे रखने से पहले कफन में लपेटा जाना चाहिए। कफन पूरे शरीर को ढकने वाला होना चाहिए, साफ होना चाहिए और सस्ती सफेद सामग्री से बना होना चाहिए। पुरुषों के लिए रेशम के कपड़े से बचना चाहिए और कफन को सुगंधित करने की अनुमति है।
अंतिम संस्कार की नमाज़
मुसलमान के अंतिम संस्कार की नमाज़ को सलात उल-जनाज़ा कहा जाता है और यह फ़र्ज़ किफ़ायाह है। यानी अंतिम संस्कार की नमाज पढ़ने के लिए मुस्लिम समुदाय बाध्य है। हालांकि यह अनिवार्य नहीं है कि एक समूह हो, यदि एक भी व्यक्ति नमाज़ पढता है तो दायित्व पूरा हो जाता है। मुसलमानों को इस नमाज़ मे भाग लेने मे कभी संकोच नहीं करना चाहिए चाहे वे मृतक या उसके परिवार को जानते हों या नहीं। मृतक और सभी मुसलमानों के लिए क्षमा और दया की प्रार्थना करने के लिए नमाज़ पढ़ी जाती है। सलात उल-जनाज़ा मस्जिद के बाहर पढ़नी चाहिए और शरीर को नमाज़ पढ़ने वालो के सामने रखना चाहिए। नमाज़ के लिए सामान्य परिस्थितियां एक जैसी हैं, हालांकि नमाज़ में काफी अंतर है। तकबीर और तसलीम को छोड़कर, यह नमाज़ चुपचाप पढ़ी जाती है, और इसमे कोई झुकना या सजदा नही होता है।
दफ़नाना
मृत्यु और दफ़नाने के बीच जितना संभव हो उतना कम समय लेना चाहिए, और मृतक को सामान्य परिस्थितियों में, उस इलाके में दफनाना चाहिए जहां वह रहता था, बजाय इसके कि उसे दूसरे शहर या देश मे ले जाया जाए। अंतिम संस्कार की नमाज के बाद शव को मुस्लिम कब्रिस्तान या किसी कब्रिस्तान के मुस्लिम वर्ग में जाना चाहिए। तेज चलने की सलाह दी जाती है। अंतिम संस्कार के जुलूस में शामिल होने वालों को जोर से रोना या जिक्र नही करना चाहिए। महिलाओं को आमतौर पर अंतिम संस्कार के जुलूस में शामिल होने की अनुमति नही होती है।
मुस्लिम कब्रों और कब्रिस्तानों की विशेषता उनकी सादगी से है। क़ब्र को क़िबला के लंबवत खोदना चाहिए, और शव को दाईं करवट करके उसका मुंह क़िबला की तरफ रखना चाहिए। शव को कब्र मे डालने के बाद, शव के ऊपर लकड़ी या पत्थरों की एक परत डालनी चाहिए ताकि कब्र भरने पर मिट्टी सीधे शव पर न पड़े। उसके बाद शोक मानाने वाले को तीन मुट्ठी मिट्टी कब्र मे डालनी चाहिए।
ध्यान रखने योग्य बातें-
1.पढ़ने के लिए कोई विशेष जिक्र नहीं है।
2.कब्रिस्तान में क़ुरआन नहीं पढ़ना चाहिए।
3.मृतक को लाभ पहुंचाने के लिए कब्र के चारों ओर फूल, भोजन, पानी या पैसा डालने की कोई इस्लामी शिक्षा नही है।
4.दफनाने से पहले या बाद मे किसी जानवर की बलि देने की कोई व्यवस्था नहीं है।
स्थान को याद रखने के लिए कब्र पर एक निशान बनाने या पत्थर रखने की अनुमति है। और दफनाने के बाद, मृतक के रिश्तेदार कब्रिस्तान मे दुआ करने के लिए रुक सकते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय स्वर्गदूत मृतक से सवाल पूछ रहे होते हैं।[1]
सांत्वना देना
सांत्वना देना दयालुता का एक महत्वपूर्ण कार्य है। इसमें प्रभावित लोगों के दुख को साझा करना और उनको आराम पहुंचाना शामिल है। सांत्वना देने के लिए समय की कोई सीमा नहीं है, हालांकि, शब्दों को सावधानी से चुनना चाहिए और कोमल होना चाहिए, धैर्य को प्रोत्साहित करना और अल्लाह की इच्छा को स्वीकार करना चाहिए। शोक संतप्त के घर जाते समय व्यक्ति को केवल थोड़े समय के लिए रुकना चाहिए, लेकिन यदि उससे सहायता मांगी जाए और देर तक रुकने की जरुरत हो तो उसे देर तक रुकना चाहिए। दुखी परिवार के कुछ बोझ को कम करने के लिए आमतौर पर मित्र और पड़ोसी भोजन तैयार करते हैं।
इस्लामी विद्वानों का कहना है कि यदि कोई मुसलमान दूसरे मुसलमान के प्रति संवेदना प्रकट करता है तो उसे कहना चाहिए, "हम सब अल्लाह के हैं और हम उसी की ओर लौटेंगे।" पैगंबर मुहम्मद (उन पर ईश्वर की दया और आशीर्वाद हो) की इस दुआ के अलावा, इसी के समान कोई दुआ करने की अनुमति है, "ऐ अल्लाह! क्षमा करें (मृतक का नाम लें), निर्देशित लोगों के बीच उसकी स्थिति को ऊंचा करें और उस परिवार की देखभाल करें जिसे वह अपने पीछे छोड़ कर गया है। ऐ ब्रह्मांड के ईश्वर, हमें और उसे क्षमा करें, उसे उसकी कब्र मे आराम दें और उसके रहने (कब्र में) को आसान करें।”[2] यदि कोई गैर-मुस्लिम के प्रति संवेदना देना चाहता है, तो उसे कहना चाहिए कि "हम सब अल्लाह के हैं और हम उसी की ओर लौटेंगे," और किसी भी तरह की संवेदना को जोड़ें जो धार्मिक अर्थों से मुक्त हों।
जब एक गैर-मुस्लिम रिश्तेदार मर जाए
एक मुसलमान अपने गैर-मुस्लिम रिश्तेदार के लिए अंतिम संस्कार की व्यवस्था कर सकता है यदि इस कर्तव्य को निभाने के लिए कोई और नहीं है। यद्यपि यह विद्वानों के विवाद का विषय है, आम तौर पर गैर-मुस्लिम रिश्तेदारों के अंतिम संस्कार में शामिल होने की भी अनुमति है, बशर्ते आप शरिया के खिलाफ कोई कार्य न करें। यह अच्छे पारिवारिक संबंधों को बनाए रखने और रिश्तेदारों को इस्लाम मे निहित सर्वोत्तम शिष्टाचार दिखाने का हिस्सा है। एक मुसलमान को अपने मृत गैर-मुस्लिम रिश्तेदारों या दोस्तों के लिए क्षमा[3] के लिए प्रार्थना करने की अनुमति नहीं है, लेकिन इसके बजाय उसे आराम और दया की आशा के लिए अल्लाह की ओर मुड़ना चाहिए।
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