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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
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स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
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स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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अंतरंग मुद्दे
विवरण: इस्लाम के कानूनों के अनुसार अंतरंग मुद्दों और शयनकक्ष शिष्टाचार के लिए एक संक्षिप्त मार्गदर्शिका।
द्वारा Aisha Stacey (© 2017 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 22 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,407 (दैनिक औसत: 3)
उद्देश्य
·यह समझना कि यौन स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है।
·अंतरंग मुद्दों के हलाल और हराम दोनों पहलू हैं।
अरबी शब्द
·ज़िना - व्यभिचार या व्यश्यावृति जिसमें योनि और गुदा मैथुन होता है, लेकिन यह अन्य प्रकार के अनुचित यौन व्यवहार को भी संदर्भित करता है।
·हलाल - जिसकी अनुमति है, अनुमेय।
·हराम - वर्जित या निषिद्ध।
·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।
·इबादत - पूजा।
·ग़ुस्ल - अनुष्ठान स्नान।
·सहाबा - "सहाबी" का बहुवचन, जिसका अर्थ है पैगंबर के साथी। एक सहाबी, जैसा कि आज आमतौर पर इस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह है जिसने पैगंबर मुहम्मद को देखा, उन पर विश्वास किया और एक मुसलमान के रूप में मर गया।
परिचय
इस्लाम के प्राथमिक स्रोत, क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत, एक साथ जीवन के लिए एक व्यापक मार्गदर्शक हैं। इस प्रकार, इस्लाम एक समग्र धर्म है जो भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आध्यात्मिक आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखता है। अपने स्वास्थ्य की देखभाल करना बहुत महत्वपूर्ण है और इसमें हमारा यौन स्वास्थ्य भी शामिल है। इस्लाम इस विषय से कतराता नहीं है बल्कि इसे खुलकर संबोधित करता है। शारीरिक और भावनात्मक दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए अल्लाह ने संभोग की शारीरिक क्रिया को बनाया और शादी इन जरूरतों को पूरा करने का एक हलाल तरीका है। इसलिए अंतरंग मुद्दों और शयनकक्ष शिष्टाचार की समझ बेहद जरूरी है।
ज़िना
इस्लाम में, अवैध यौन गतिविधियों को ज़िना शब्द से परिभाषित किया गया है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने के घातक परिणाम हैं, और ये पूरी तरह से हराम हैं।
1.ज़िना एक पाप है। इसमें शामिल होने से हमारी शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक स्वस्थ को खतरा होता है। "और व्यभिचार के समीप भी न जाओ, वास्तव में, वह निर्लज्जा तथा बुरी रीति है।" (क़ुरआन 17:32)
2.यौन संचारित रोगों का प्रसार। इन बीमारियों के शारीरिक परिणाम भुगतना जो असुविधा से लेकर खराब प्रजनन क्षमता तक हो सकते हैं।
3.अवांछित गर्भधारण।
4.पारिवारिक विभाजन।
5.बिना किसी प्रतिबद्धता के बने रिश्तों से उत्पन्न होने वाली भावनात्मक कठिनाइयां।
ज़िना में लिप्त व्यक्ति खुद को और अपने जीवनसाथी को काफी नुकसान पहुंचाता है। यदि एक साथी हराम तरीके से अपनी शारीरिक या भावनात्मक जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करता है, तो दूसरा साथी कई तरह से पीड़ित होता है। उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है और उनकी सुरक्षा की भावना क्षीण हो जाती है क्योंकि वे अपने साथी पर विश्वास खो देते हैं। वे भावनात्मक रूप से अस्थिर महसूस करना शुरू कर सकते हैं जैसे कि उनकी दुनिया पलट गई हो। जो व्यक्ति अवैध यौन व्यवहार में लिप्त होता है, उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं, जिसमें शामिल है लेकिन सीमित नहीं है, अपने और अल्लाह के बीच एक रूपक बाधा बनाना, गंभीर पारिवारिक शिथिलता, परिवार और दोस्तों से अलगाव और अपराधबोध और शर्म जैसी दर्दनाक भावनाएं।
विवाह
अल्लाह किसी ऐसी चीज़ को मना नहीं करता है जो प्राकृतिक मानव व्यवहार का हिस्सा हो; वह हमें एक व्यवहार्य विकल्प देता है। विवाह, एक पुरुष और एक महिला के बीच एक अनुबंध, दो लोगों को उनके इबादत और अल्लाह की आज्ञाकारिता में एक होने की अनुमति देता है। जब भी कोई युवा विवाह करने की इच्छा प्रकट करता है तो उसे प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उसकी सहायता की जानी चाहिए। उनके रास्ते में रुकावटें नहीं डालनी चाहिए बल्कि जल्द से जल्द शादी करने में उनकी सहायता करनी चाहिए ताकि वे पाप में न पड़ें। हलाल विवाह पूरी तरह से सामान्य यौन इच्छाओं को पूरा करने का एक साधन है, इसलिए पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) लोगों को शादी करने के लिए प्रोत्साहित करते थे और उनकी उत्कृष्ट सलाह पूरी सुन्नत में पाई जा सकती है।
“तुम में से जिसके पास शादी करने के लिए भौतिक और वित्तीय संसाधन हों, उसे शादी कर लेना चाहिए, क्योंकि यह उसके शर्म की रक्षा करने में मदद करता है, और जो शादी करने में असमर्थ हैं उन्हें उपवास करना चाहिए, क्योंकि उपवास यौन इच्छा को कम कर देता है।”[1]
शादी के अनगिनत फायदे हैं। अल्लाह हमें बताता है कि पति-पत्नी एक दूसरे के लिए कपड़ों की तरह हैं; वे एक दूसरे की रक्षा करते हैं और घनिष्ठ साथी होते हैं। विवाह को विश्वासियों के लिए उनके जीवन में इबादत का सबसे लंबा, सबसे निरंतर कार्य माना जाता है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि जब व्यक्ति शादी कर लेता है, तो मानो उसका आधा धर्म पूरा हो गया है, उन्होंने अपनी सलाह जारी रखी और कहा कि दूसरे आधे के संबंध में अल्लाह से डरो।[2]विवाहित लोग एक-दूसरे के साथ दयालुता और प्रेम से पेश आते हैं। यौन क्रिया का आनंद लेना चाहिए और इसके लिए पैगंबर मुहम्मद ने फोरप्ले को प्रोत्साहित किया है। उन्होंने कहा, “तुम में से कोई भी अपनी पत्नी पर पशु की तरह न टूट पड़े; तुम्हारे बीच एक 'दूत' होना चाहिए।" लोगो ने पूछा, "और दूत का क्या अर्थ है?", और पैगंबर ने उत्तर दिया, "चुंबन और शब्द।”[3]
जैसे-जैसे विवाहित जोड़े एक-दूसरे के अधिकारों और जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं, एक-दूसरे के लिए उनका स्नेह बढ़ता जाता है, और साथ ही उनके पुरस्कार भी। संभोग का कार्य ही एक पुरस्कृत कार्य है। पैगंबर मुहम्मद ने साहबा को समझाया कि वैध यौन कृत्य दान का एक रूप है। सहाबा ने सवाल किया, "जब हम में से कोई अपनी यौन इच्छा पूरी करता है, तो क्या उसे उसके लिए इनाम दिया जाएगा?" और पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "क्या आपको नहीं लगता कि अगर वह अवैध यौन संबंध बनाये तो वह पाप होगा? उसी तरह, यदि वह वैध यौन संबंध बनाएगा, तो उसे प्रतिफल मिलेगा।”[4]
“तुम्हारी पत्नियां तुम्हारे लिए खेतियां हैं। तुम्हें अनुमति है कि जैसे चाहो, अपनी खेतियों में जाओ; परन्तु भविष्य के लिए भी सत्कर्म करो तथा अल्लाह से डरते रहो और विश्वास रखो कि तुम्हें उससे मिलना है…” (क़ुरआन 2:223)
उपरोक्त छंद में अल्लाह समझाता है कि एक विवाहित जोड़ा एक-दूसरे के शरीर का अलग-अलग तरीकों से आनंद लेने के लिए स्वतंत्र है, बशर्ते दोनों भागीदारों की सहमति हो। शादीशुदा जोड़े को एक-दूसरे का हस्तमैथुन करना जायज़ है। मुख मैथुन की अनुमति है लेकिन इससे नुकसान या अप्रतिष्ठा नहीं होनी चाहिए, और अशुद्धियों को निगलना नहीं चाहिए। उनके लिए अपने शरीर के सभी अंगों और अपने जीवनसाथी के शरीर को देखना हलाल है। वास्तव में, एक विवाहित जोड़े के लिए बहुत कम निषेध हैं।
निषेध
1.मासिक धर्म होने पर या प्रसवोत्तर रक्तस्राव के दौरान संभोग से बचना चाहिए। पत्नी के ग़ुस्ल करने के बाद ही संभोग शुरू करना चाहिए।
2.गुदा मैथुन एक बहुत ही गंभीर पाप है। भले ही दोनों साथी इस कृत्य के लिए सहमत हों, फिर भी यह एक पाप है। आपसी सहमति इसे नहीं बदल सकती।
3.उपवास के दौरान जोड़े को संभोग से बचना चाहिए। यदि संभोग न करने से दूसरे साथी को कठिनाई है, तो व्यक्ति को अपने साथी से गैर-अनिवार्य उपवास करने की अनुमति मांगनी चाहिए।
4.शादीशुदा के बिस्तर में होने वाली बातों का खुलासा करना मना है। अंतरंग स्थितियों में रहस्य उजागर होते हैं और आत्माओं को नंगा कर दिया जाता है। इन बातों का खुलासा विकट परिस्थितियों को छोड़कर कभी नहीं करना चाहिए, उदाहरण के लिए एक चिकित्सा आपात स्थिति के मामले में।
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