लोड हो रहा है...
फ़ॉन्ट का आकारv: इस लेख के फ़ॉन्ट का आकार बढ़ाएं फ़ॉन्ट का डिफ़ॉल्ट आकार इस लेख के फॉन्ट का साइज घटाएं
लेख टूल पर जाएं

मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना

रेटिंग:

विवरण: यह पाठ कुछ उन असाधारण परिस्थितियों पर प्रकाश डालता है जिसमें इस्लामी कानून में छूट दी गई है।

द्वारा Imam Mufti

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 24 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,666 (दैनिक औसत: 4)


आवश्यक शर्तें

·नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 भाग)

उद्देश्य

·मोजे के ऊपर पोंछने का अर्थ, परिस्थिति और विधि जानना।

·छूटी हुई प्रार्थनाओं को पूरा करने का तरीका जानना।

·एक यात्री की प्रार्थना के बारे मे जानना।

अरबी शब्द

·फज्र, जुहर, अस्र, मगरिब, ईशा - इस्लाम में पांच दैनिक प्रार्थनाओं के नाम।

·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।

·वूदू - वुज़ू।

·ग़ुस्ल – अनुष्ठान स्नान

·अज़ान - मुसलमानों को पांच अनिवार्य प्रार्थनाओं के लिए बुलाने का एक इस्लामी तरीका।

·इक़ामाह - यह शब्द प्रार्थना के दूसरे आह्वान को संदर्भित करता है जो प्रार्थना शुरू होने से ठीक पहले दिया जाता है।

·मसह - वुज़ू करते समय पैर धोने के बजाय मोज़े के ऊपर पोंछना।

·रकात - प्रार्थना की इकाई।

·क़जा' - छूटी हुई प्रार्थनाओं को पूरा करना।

वुज़ू करते समय एक मुसलमान को अपने पैर धोने होते हैं। कुछ परिस्थितियों में इस्लामी कानून पैर धोने में छूट देता है और मुसलमान को मोज़े के ऊपर पोंछने की अनुमति देता है। इसे अरबी में मसह कहते हैं।

मोज़े के ऊपर पोंछना

मोज़े के ऊपर पोंछने के मान्य होने के लिए निम्नलिखित तीन शर्तें पूरी होनी चाहिए:

(1) आपने पिछली बार वुज़ू या ग़ुस्ल (अनुष्ठान स्नान) में पैर धोने के बाद मोज़े पहने हों।

(2) मोज़े टखने सहित पूरे पैर को ढाका होना चाहिए।

(3) आप मोज़े के ऊपर केवल उस समयावधि तक पोंछ सकते हैं जिस समयावधि तक ऐसा करने की अनुमति है।

(4) आपने वुज़ू टूटने के बाद मोज़े न उतारे हों।

मोज़े के ऊपर पोंछने की समयावधि

यदि आप यात्रा नहीं कर रहे हैं, तो आप चौबीस घंटे तक अपने मोजे के ऊपर पोंछ सकते हैं। यदि आप यात्रा कर रहे हैं, तो आप ऐसा तीन दिनों तक कर सकते हैं; यानी बहत्तर घंटे। समयावधि समाप्त होने पर, आपको अपने मोज़े उतारने होंगे और एक नए वुज़ू के लिए अपने पैरों को धोना होगा।

यदि चौबीस घंटे या तीन दिन (यदि यात्रा कर रहे हैं) के अंत में आपका वुज़ू बचा हुआ है, तो आपको तब तक वुज़ू करने की आवश्यकता नहीं है जब तक कि आपका वुज़ू न टूट जाये। 24-घंटे/72 घंटे का समय तब शुरू होता है जब आप पहली बार अपने मोज़े के ऊपर पोंछते हैं। जो चीज़े नियमित वुज़ू को तोड़ती हैं वही मोज़े के ऊपर पोंछने से किए गए वुज़ू को तोड़ती हैं। उदाहरण के लिए, नींद आपके वुज़ू को तोड़ देगी, लेकिन स्वप्नदोष होने से आपको स्नान (ग़ुस्ल) करना होगा। यात्रा करते समय मोज़े पर पोंछना अनिवार्य नहीं है, और यह नियम पुरुषों और महिलाओं दोनों पर लागू होता है।

तरीका

मोज़े के ऊपर पोंछने की विधि है कि गीले हाथों को मोज़े के ऊपर से फेरा जाए। मोज़े के तलवे नहीं पोंछे जाते। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप मोज़े को पोंछने के लिए किस हाथ का उपयोग करते हैं, लेकिन दोनों मोजों को एक साथ पोंछना बेहतर है।

मोजे के लिए बताई गई शर्तों के अनुसार आप उन जूतों के ऊपर भी पोंछ सकते हैं जो टखने के ऊपर तक आते हैं। मोज़े की तरह, यदि आप अपने वुज़ू को तोड़ने के बाद जूते निकालते हैं, तो आप उनके ऊपर पोंछ नहीं सकते हैं, बल्कि इस मामले में, आपको उनके नीचे के मोज़े के ऊपर पोंछना होगा।

छूटी हुई प्रार्थनाएं पूरा करना

जानबूझकर या अनजाने में छूटी हुई प्रार्थना को अरबी में कज़ा कहते हैं। हम सिर्फ अनजाने मे छूटी हुई नमाज़ को पूरा करने पर चर्चा करेंगे। यदि किसी व्यक्ति से नमाज़ छूट जाती है, तो उसे बाद मे याद आने पर नमाज पढ़ना होगा, चाहे उसे कितनी ही देर बाद याद आये। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा:

“यदि किसी की नमाज़ छूट जाए तो उसे याद आने पर नमाज़ पढ़नी चाहिए। इसका प्रायश्चित सिर्फ नमाज़ है।”[1]

उदाहरण के लिए, यदि आपको अस्र के समय याद आया कि आपने जुहर की नमाज नहीं पढ़ी, तो आपको पहले जुहर की नमाज पढ़ना चाहिए और फिर अस्र की नमाज।

तरीका

अगर आप नमाज़ के समय सो गए हैं, यानी उस नमाज़ का समय बीत चुका है और आप सोये हुए हैं, तो आपको जागने पर वुज़ू करना चाहिए और नमाज पढ़ना चाहिए। एक रात पैगंबर के साथ यात्रा के दौरान, कुछ लोगों ने कहा, 'अगर रात के आखिरी घंटों के दौरान पैगंबर हमारे साथ आराम करे तो।' उन्होंने जवाब दिया, 'मुझे डर है कि तुम सो जाओगे और फज्र की नमाज छूट जाएगी।' बिलाल ने कहा, 'मैं आपको जगा दूंगा।' सब सो गए और बिलाल भी सो गए! जब सूरज उगने लगा तो पैगंबर जागे और कहा, 'ऐ बिलाल, आपकी बातो का क्या हुआ?' उसने जवाब दिया, 'मैं कभी इतना नहीं सोया!' पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा,'अल्लाह जब चाहता है हमारी आत्माओं को ले लेता है और जब चाहता है उन्हें वापस कर देता है। ऐ बिलाल, उठो और नमाज के लिए अज़ान दो।' पैगंबर ने तब वुज़ू किया और जब सूरज पूरी तरह से उग गया, तो वह खड़े हुए और नमाज पढ़ी।[2]

यात्री की प्रार्थना

इस्लामी कानून एक यात्री के लिए नमाज को दो तरह से आसान बनाता है:

नमाज़ को छोटा करके: चार रकात नमाज़ को दो रकअत तक छोटा कर दिया जाता है।

नमाज़ को जोड़ कर: जुहर को अस्र के साथ जोड़ा जा सकता है, मग़रिब को ईशा के साथ जोड़ा जा सकता है। हालांकि, प्रार्थनाओं को किसी अन्य तरीके से नहीं जोड़ा जा सकता है। फज्र को ईशा से नहीं जोड़ा जा सकता, फज्र को जुहर से नहीं जोड़ा जा सकता। अस्र को मगरिब से नहीं जोड़ा जा सकता।

परिस्थितियां

जब कोई यात्रा कर रहा हो तो प्रार्थना को छोटा किया जा सकता है। आप प्रार्थना को तब तक छोटा नहीं कर सकते हैं जब तक कि आपने वास्तव में अपने शहर की सीमा को नहीं छोड़ा हो। आप कितने समय तक नमाज़ को छोटा कर सकते हैं, इसकी कोई समय सीमा नहीं है। हालांकि अधिकांश विद्वान चार दिन और चार रात की अनुमति देते हैं। खराब मौसम के कारण मस्जिद में नमाज़ को जोड़ा जा सकता है (लेकिन छोटा नहीं किया जा सकता) ताकि नमाज़ियों को मौसम खराब होने पर मस्जिद में वापस न आना पड़े।

तरीका

नमाज को जोड़ने के दो तरीके हैं।

पहला, जुहर की नमाज़ समय पर पढ़ी जाती है और इसके साथ अस्र को जोड़ा जाता है। इसका मतलब यह है कि जुहर के समय में अस्र की नमाज समय से पहले पढ़ी जाती है। इसी तरह मग़रिब के समय ईशा की नमाज़ पढ़ी जाती है। मगरिब के समय में ईशा की नमाज समय से पहले पढ़ी जाती है।

दूसरा, जुहर की नमाज को देर कर के अस्र के साथ पढ़ा जाता है और मग़रिब की नमाज को देर कर के ईशा के साथ पढ़ा जाता है। इन दोनों ही मामलों में अस्र और ईशा की नमाज़ उनके समय में पढ़ी जाती है, लेकिन ज़ुहर और मग़रिब की नमाज़ को अगली नमाज़ के समय पढ़ा जाता है।

एक अज़ान और दो इक़ामाह के साथ नमाज़ को जोड़ा जाता है। अज़ान दी जाती है, उसके बाद इक़ामाह कहा जाता है और उसके बाद पहली नमाज़ पढ़ी जाती है। फिर पहली नमाज़ पढ़ने के तुरंत बाद, दूसरा इक़ामाह कहा जाता है, और उसके बाद दूसरी नमाज़ पढ़ी जाती है।



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी

[2] सहीह अल-बुखारी

प्रश्नोत्तरी और त्वरित नेविगेशन
पाठ उपकरण
बेकार श्रेष्ठ
असफल! बाद में पुन: प्रयास। आपकी रेटिंग के लिए धन्यवाद।
हमें प्रतिक्रिया दे या कोई प्रश्न पूछें

इस पाठ पर टिप्पणी करें: मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना

तारांकित (*) फील्ड आवश्यक हैं।'

उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। यहाँ.
अन्य पाठ स्तर 3