सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
विवरण: तयम्मुम (सुखी वुज़ू) का एक संक्षिप्त अध्ययन, इसे करने की विधि, ये करना कब मान्य है और इसके रद्द होने के कारण।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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आवश्यक शर्तें
·वुज़ू (वूदू)।
उद्देश्य
·तयम्मुम के बारे में जानना - पानी उपलब्ध न होने पर वुज़ू का विकल्प।
·उन स्थितियों को जानना जब तयम्मुम किया जा सकता है।
·तयम्मुम करना सीखना।
·तयम्मुम के लिए इस्तेमाल की जा सकने वाली सतहों को जानना।
·तयम्मुम को रद्द करने वाले कारणों को जानना।
अरबी शब्द
·वूदू - वुज़ू।
·ग़ुस्ल - अनुष्ठान स्नान।
·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।
·तयम्मुम - सुखी वुज़ू।
परिचय
उस स्थिति में आपको क्या करना चाहिए जहां आपको नमाज (अनुष्ठान प्रार्थना) पढ़ना है, फिर भी न तो वुज़ू करने के लिए उपयुक्त पानी है, और न ही समय पर प्रार्थना करने के लिए पानी जल्दी मिल सकता है?
क्या होगा यदि आप बीमार हैं और या तो वुज़ू करने में सक्षम नहीं हैं, या वुज़ू करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे मामले में सही प्रक्रिया क्या है?
इन सामान्य प्रश्नों का उत्तर है "सुखी" वुज़ू करना, जिसे तयम्मुम कहा जाता है। नमाज़ के लिए खुद को तैयार करने के इरादे से अपने चेहरे और हाथों को पोंछने के लिए साफ मिट्टी या धूल का उपयोग करना तयम्मुम कहलाता है, और ये विशेष परिस्थितियों में वुज़ू का विकल्प है।
तयम्मुम बनाने की प्रक्रिया और बुनियादी शर्तों का उल्लेख क़ुरआन और सुन्नत में किया गया है। क़ुरआन कहता है:
“यदि तुम रोगी हो अथवा यात्रा में रहो या शौचालय से हो कर आओ, फिर जल न पाओ, तो पवित्र मिट्टी से तयम्मुम कर लो; उसे अपने मुखों तथा हाथों पर फेर लो। वास्तव में, अल्लाह अति क्षांत (सहिष्णु) क्षमाशील है।” (क़ुरआन 4:43)
पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा:
“मेरे और मेरे राष्ट्र के नमाज पढ़ने के लिए सारी पृथ्वी को एक स्वच्छ स्थान बना दिया गया है। जब भी मेरे राष्ट्र का कोई व्यक्ति नमाज पढ़ना चाहता है, तो उसके पास कुछ ऐसा होता है जिससे वह स्वयं को शुद्ध कर सकता है, अर्थात जमीन।”[1]
तयम्मुम अल्लाह की ओर से मुसलमानों को दिए गए उन पांच अशीर्वादो में से एक है जो उसने पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दुआ और आशीर्वाद हो) से पहले किसी अन्य पैगंबर को नहीं दी। पैगंबर ने कहा:
“मुझे ऐसी पांच चीजें दी गई हैं जो मुझसे पहले किसी को नहीं दी गईं: ...मेरे लिए पृथ्वी को प्रार्थना की जगह बना दिया गया है - जहां मेरे राष्ट्र में से कोई भी और कहीं जहां चाहे वहां प्रार्थना कर सकता है...”[2]
जिन स्थितियों में तयम्मुम किया जाता है
तयम्मुम अपनी मर्जी से और वुज़ू करने में असुविधा के कारण नहीं किया जा सकता है। कुछ ऐसी विशिष्ट स्थितियां हैं जहां इसे किया जा सकता है:
(1) अगर आपको पानी नहीं मिल रहा है या पानी वुज़ू के लिए पर्याप्त नहीं है। तयम्मुम करने से पहले, आपको किसी भी सुलभ जगह से उपयुक्त पानी खोजने का प्रयास करना चाहिए। अगर आपको साफ पानी नहीं मिल रहा है या यह बहुत दूर है, तो आप तयम्मुम कर सकते हैं।
‘पैगंबर मुहम्मद के साथियों में से एक इमरान बिन हुसैन ने कहा, 'हम एक यात्रा के दौरान अल्लाह के दूत के साथ थे। जब वह नमाज पढ़ाते थे, तो एक व्यक्ति अलग रहता था। उन्होंने उससे पूछा, “तुम नमाज क्यों नही पढ़ते हो?” उसने कहा, 'मुझे शुद्ध होने के लिए स्नान की जरूरत है और पर्याप्त पानी नहीं है।' उन्होंने कहा, 'मिट्टी का उपयोग करो, क्योंकि यह पर्याप्त है।'’’’[3]
(2) चोट या बीमारी।
पिछले अनुभव या डॉक्टर की सलाह के आधार पर यदि आपको लगता है कि पानी का उपयोग करने से आपकी बीमारी बढ़ सकती है, तो आप तयम्मुम कर सकते हैं। अस्पताल में भर्ती एक व्यक्ति जो वुज़ू करने में असमर्थ है, तयम्मुम करने के लिए कुछ साफ मिट्टी को एक बैग मे रख के अपने पास रख सकता है।
(3) यदि पानी आपके लिए हानिकारक है क्योंकि यह बहुत ठंडा है और किसी कारण से आप इसे गर्म नहीं कर सकते हैं।
‘अम्र इब्न अल-आस ने बताया कि वह एक अभियान में भाग ले रहा था। एक बेहद ठंडी रात में उसे स्वप्नदोष हुआ, और उसे डर था कि अगर उसने ग़ुस्ल किया तो वह मर जायेगा। उसने अपने साथियों के साथ सुबह की नमाज पढ़ी। फिर वह इसके बारे में पूछने के लिए अल्लाह के दूत के पास गया। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा, "ओ 'अम्र, क्या तुमने अपने साथियों के साथ नमाज पढ़ी, जबकि तुम्हे शुद्ध स्नान की आवश्यकता थी?" अम्र ने पैगंबर से इस छंद का उल्लेख किया, "खुद को मत मारो, अल्लाह तुम पर दया करता है"। पैगंबर बस मुस्कुराए और कुछ नहीं कहा।[4]
(4) यदि पानी आस-पास है, लेकिन आप डर के कारण वहा नहीं जा सकते।
(5) यदि आपके पास पानी है, लेकिन आपको खाना पकाने के लिए इसकी आवश्यकता है, या इसे बाद में उपयोग के लिए सहेज कर रखा है। उदाहरण के लिए, यह स्थिति कैंपिंग के दौरान उत्पन्न हो सकती है। कई साथी अपने पीने के पानी को बचाते थे और तयम्मुम करते थे।
(6) यदि आपको डर है कि जब तक आपको पानी मिलेगा, तब तक नमाज़ का समय समाप्त हो जाएगा।
तयम्मुम कैसे करें
1. आपका इरादा अपने आप को शुद्ध करने और अपवित्रता दूर करने की होनी चाहिए। इरादा दिल में होना चाहिए, इसे बोलना नही चाहिए।
2. 'बिस्मिल्लाह' (मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं) कहो।
3. दोनों हाथों की हथेलियों से जमीन या धूल भरी सतह को हल्के से छुएं।
4. हाथों पर फूंक मारें और लगी हुई मिटटी को हटा दें, ताकि चेहरे पर धूल न लग जाए।
5. पहले हथेलियों को आपस में पोंछे, फिर चेहरे को पोंछे, और फिर हथेलियों को और हाथों के पिछले हिस्से को कलाई तक पोंछ लें।
पैगंबर के साथी अम्मार ने कहा, "हम यौन रूप से अशुद्ध हो गए थे और हमारे पास पानी नहीं था, इसलिए हम मिट्टी में लोटने लगे जैसे कोई जानवर लोटता है और फिर प्रार्थना की।" ये बात पैगंबर को बताई गई और उन्होंने कहा:
“यह तुम्हारे लिए पर्याप्त था,”
... और उन्होंने जमीन पर अपने हांथो को रखा, उनको फूंका, और फिर अपने मुंह और हाथों को उससे पोंछा।”[5]
तयम्मुम के लिए प्रयुक्त मिट्टी
मिट्टी की किसी भी चीज़ से तयम्मुम करना मान्य है:
·साफ मिट्टी या धूल
·कोई भी धूल भरी सतह
·रेत
·यदि एक दीवार जो मिट्टी (चट्टानों या मिट्टी की ईंटों) की बनी है, लेकिन इस पर पेंट या लकड़ी की सतह नहीं होना चाहिए
·किसी भी प्रकार की दीवार जिस पर धूल लगी हो
तयम्मुम करने के बाद आप क्या कर सकते हैं?
आप मूल रूप से वो सब कर सकते हैं जिसके लिए वुज़ू किया जाता है जैसे नमाज पढ़ना (अनुष्ठान प्रार्थना) और क़ुरआन को छूना।
तयम्मुम को क्या रद्द करता है
अगर पानी मौजूद है और वुज़ू के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, तो तयम्मुम रद्द माना जायेगा। इसके अलावा, वह सब कुछ जो वुज़ू को रद्द कर देता है, तयम्मुम को रद्द कर देगा:
(1) गैस निकलना।
(2) पेशाब करना।
(3) शौच करना।
(4) पुरस्थग्रंथि द्रव और वदी (पेशाब के बाद आने वाला गाढ़ा सफेद द्रव) का निकलना।
(5) गहरी नींद।
(6) संभोग, वीर्य का निकलना या महिला कामोन्माद द्रव्य का निकलना।
यदि आप तयम्मुम से नमाज़ पढ़ लेते हैं और बाद मे आपको पानी मिल जाता है, तो आपको उस नमाज़ को दोहराने की ज़रूरत नहीं है भले ही उस नमाज़ का समय बचा हो।
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