संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
विवरण: इस्लाम के संप्रदायों का परिचय। भाग 2 इनके कुछ संकेतों पर चर्चा करता है और पश्चिम में कुछ व्यापक संप्रदायों का संक्षिप्त विवरण देता है।
द्वारा Imam Mufti (© 2012 IslamReligion.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 23 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,494 (दैनिक औसत: 3)
पाठ का उद्देश्य
·संप्रदायों में मौजूद कुछ संकेतों को समझना।
·पश्चिम में कुछ अधिक व्यापक संप्रदायों को जानना।
अरबी शब्द
·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।
·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री अनुष्ठानों का एक सेट करता है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।
·सहाबा - "सहाबी" का बहुवचन, जिसका अर्थ है पैगंबर के साथी। एक सहाबी, जैसा कि आज आमतौर पर इस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह है जिसने पैगंबर मुहम्मद को देखा, उन पर विश्वास किया और एक मुसलमान के रूप में मर गया।
·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।
विकृत संप्रदाय के लक्षण
हालांकि यह पता लगाने का कोई आसान तरीका नहीं है कि कौन किस संप्रदाय का है, निम्नलिखित कुछ दिशानिर्देश हैं जिससे सावधानी बरतनी चाहिए:
1.क़ुरआन और सुन्नत पर आधारित प्रमाण और साक्ष्यों की अवहेलना करना।
2.पैगंबर के सहाबा (साथियों) के बारे में बुरा बोलना।
3.व्यक्तिगत इच्छाओं का पालन करना और उन्हें क़ुरआन और सुन्नत से ऊपर रखना।
4.इस्लामिक एकेश्वरवाद को न मानना और ऐसा करने वालों से नफरत करना।
5.मुसलमानों के बीच विभाजन करना।
6.पैगंबर मुहम्मद की शिक्षाओं (सुन्नत) को खारिज करना, और दावा करना कि क़ुरआन पर्याप्त है।
7.प्यार, सम्मान और आज्ञाकारिता के मामले में किसी अन्य व्यक्ति (आमतौर पर संप्रदाय के नेता) को पैगंबर मुहम्मद के समान स्तर पर रखना।
8.इस्लाम के विद्वानों से नफरत करना।
पश्चिम में प्रभावशाली संप्रदायों के उदाहरण
जैसा कि पहले बताया गया है, सभी संप्रदाय एक समान नहीं हैं। यहां तक कि एक संप्रदाय के भीतर भी कई ऐसे उप संप्रदाय हैं जो उनकी शिक्षाओं में बहुत भिन्न हैं। इसे ध्यान में रखते हुए कुछ संप्रदायों की नीचे संक्षिप्त में चर्चा की गई है:
1.अहमदी[1]
अहमदी या कादियानी भारतीय मूल का एक मिशनरी-उन्मुख संप्रदाय है, जिसकी स्थापना मिर्जा गुलाम अहमद (1839-1908) ने की थी। वर्तमान में कादियानि कई देशों में फैले हुए हैं, खासकर अधिकांश पश्चिमी देशों मे। पुरे विश्व मे उनकी संख्या का अनुमान 10 मिलियन से अधिक है। भले ही उनका मुख्यालय पाकिस्तान में है, लेकिन लंदन, यूके में उनकी मजबूत उपस्थिति है।
2.इस्माइली
इन्हे "सेवेनर शिया" के रूप में भी जाना जाता है। इस्माइली क़ुरआन और मुख्य सुन्नी इस्लामी परंपरा में पाए जाने वाले सभी प्रकार की प्रार्थनाओं को अस्वीकार करते हैं। यह उन्हें प्रार्थना, उपवास और हज जैसे दायित्वों से मुक्त करता है। ये ज्यादातर पाकिस्तान, उत्तर-पश्चिम भारत और चीनी प्रांत सिन-कियांग में पाए जाते हैं। इसका एक उप-संप्रदाय खोजस मुख्य रूप से भारत के गुजरात राज्य में पाया जाता है। पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका में भी खोजस के समुदाय हैं। ये पश्चिमी देशों में भी पाए जाते हैं। अधिकांश इस्माइली व्यवसायी अपनी दुकान में प्रमुख स्थान पर अपने लीडर प्रिंस करीम आगा खान की तस्वीर लगाते हैं।
3.बहाई[2]
बहाई लोग बहाउल्लाह ('ईश्वर की महिमा') (1817-1892) की शिक्षा का पालन करते हैं। वे मानवता की एकता और पुरुषों और महिलाओं की पूर्ण समानता की बात करके अनुयायियों को आकर्षित करते हैं। बहाई खुद को एक विश्व सरकार की स्थापना की दिशा में काम करता हुआ मानते हैं जो अत्यधिक धन और गरीबी को मिटा देगी। बहउल्लाह के लेखन को पवित्र माना जाता है। यह अनुमान लगाया गया है कि आज दुनिया में 3 से 4 मिलियन बहाई हैं, जो दुनिया के अधिकांश देशों में फैले हुए हैं, जिनकी संख्या भारत में सबसे अधिक है। ईरान में बहाई लगभग 300,000 अनुयायियों के साथ सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह बना हुआ है। अंतर्राष्ट्रीय बहाई केंद्र इज़राइल में है।
4.शिया[3]
"द्वादशी शिया" का मानना है कि पैगंबर की मृत्यु के बाद, इमामत (मुस्लिम समुदाय का राजनीतिक और धार्मिक नेतृत्व) पैगंबर के चचेरे भाई और दामाद 'अली' को मिली थी और एक दैवीय अधिकार के रूप में उनके वंशजों को।
5.नेशन ऑफ इस्लाम[4]
नेशन ऑफ इस्लाम की स्थापना 1930 में डेट्रॉइट में वालेस मुहम्मद ने की थी। इस समूह का मानना है कि फर्द मुहम्मद नामक व्यक्ति "पृथ्वी पर ईश्वर" था। यह एलिजाह मुहम्मद को "सत्य का दूत" मानते है। एलिजाह मुहम्मद के बेटे वारिथ दीन मोहम्मद ने समूह को सुन्नी इस्लाम की मुख्यधारा के करीब लाया। कुछ असंतुष्ट सदस्यों का नेतृत्व लुई फराखान ने किया, जिसने 1978 में एलिजाह की समान शिक्षाओं के साथ समूह को पुनर्जीवित किया। वे समूह में सिर्फ अश्वेत जातीयता के लोगों को अनुमति देते हैं और मानते हैं कि वे पृथ्वी पर मूल जाति हैं। वे अमेरिका में जेल प्रणाली में विशेष रूप से लोकप्रिय हैं।
6.सबमिटर्स
मिस्र के एक कंप्यूटर वैज्ञानिक डॉ. रशद खलीफा द्वारा स्थापित। सबमिटर्स रशद खलीफा को ईश्वर का दूत मानते हैं। वे क़ुरआन के दो छंदो को नहीं मानते, "19 के चमत्कार" का प्रचार करते हैं और पैगंबर मुहम्मद की हदीस और सुन्नत को खारिज करते हैं। वे टक्सन, एरिज़ोना, यूएस में स्थित हैं, और इंटरनेट पर प्रमुख हैं। उनकी गलत मान्यताओं के कारण उन्हें पूरी तरह से इस्लाम से बाहर माना जाता है।
7.सूफी[5]
सबसे विवादास्पद और भ्रमित करने वाला "संप्रदाय" सूफी है। सिर्फ पश्चिम में 1000 से अधिक सूफी संप्रदाय हैं। वे एक बहुत ही विविध समूह हैं। कुछ सुन्नी मुसलमान कुछ सूफी विचारों को अपनाते हैं, जबकि अन्य सूफी आदेशों का प्राचीन रहस्यमय आदेशों से घनिष्ठ संबंध है। फिर भी दूसरे संप्रदयों ने अपनी शिक्षाओं को विकसित किया है और उन्हें पश्चिमी लोगों के अनुकूल बनाया है। फिर भी अन्य लोग केवल "सूफी" शब्द का प्रयोग करते हैं, लेकिन घोषणा करते हैं कि उनका इस्लाम या किसी भी धर्म से कोई संबंध नहीं है।
आम तौर पर ये इस्लामी आध्यात्मिकता को गलत समझते हैं और कई प्रमुख इस्लामी अवधारणाओं में गलतियां करते हैं जैसे ईश्वर में पूरा विश्वास तथा पैगंबर से प्यार, और मरे हुए पवित्र मुसलमानों की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। अनुष्ठानों के संदर्भ में, कुछ लोग "इस्लामी जाप मंडल" ("ज़िक्र" मंडलियां) करते हैं, तुर्की के दरवेशों की तरह धार्मिक नृत्य करते हैं, और पैगंबर मुहम्मद के जन्मदिन को उत्सुकता से मनाते हैं।
फुटनोट:
[1] अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं: http://www.islamreligion.com/articles/1736/
[2] अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं: http://www.islamreligion.com/articles/309/
[3] अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं: http://www.islamreligion.com/articles/490/
[4] अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं: http://www.islamreligion.com/articles/656/
[5] अधिक जानकारी के लिए आप इस लिंक पर जा सकते हैं: http://www.islamreligion.com/articles/1388/
पिछला पाठ: संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
अगला पाठ: शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)