शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
विवरण: क़ुरआन और पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत से आध्यात्मिक सुरक्षा के लिए सरल दैनिक प्रार्थनाएं।
द्वारा Imam Mufti (© 2012 IslamReligion.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य
·कई आह्वान और उनके लाभ को जानना, जो किसी व्यक्ति को हानि से बचाने में मदद करते हैं।
1. सुबह और शाम के आह्वान
ध्यान रहे कि "सुबह" की शुरुआत फज्र के समय से और "शाम" की शुरुआत असर के समय से होती है। अपने शहर के फज्र और असर का समय जानने के लिए www.islamicfinder.org पर जाएं।
(ए) अल-कुर्सी का छंद (क़ुरआन 2:255)
लिप्यंतरण |
अनुवाद |
अल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवा |
अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं |
अल हय्युल क़य्युम, |
वह जीवित तथा नित्य स्थायी है, |
ला ताखुजुहु सिनातुन वला नौम |
उसे ऊँघ तथा निद्रा नहीं आती |
लहू मा फिस्समावाती वमा फिल अर्ज़ |
आकाश और धरती में जो कुछ है, सब उसी का है |
मन ज़ल लज़ी यशफउ इन्दहु इल्ला बिइज़्निह |
कौन है, जो उसके पास उसकी अनुमति के बिना अनुशंसा (सिफ़ारिश) कर सके? |
यालमु मा बैना ऐदीहिम् व मा-खलफहुम |
जो कुछ उनके समक्ष और जो कुछ उनसे ओझल है, सब जानता है। |
वला युहीतूना बिशैयिम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शाआ |
उसके ज्ञान में से वही जान सकते हैं, जिसे वह चाहे। |
वसिआ कुरसिययुहुस समावाती वल अर्ज़ वला ययुदुहु हिफ्जुहुमा |
उसकी कुर्सी आकाश तथा धरती को समोये हुए है, उन दोनों की रक्षा उसे नहीं थकाती। |
वहुवल अलिय्युल अज़ीम |
वही सर्वोच्च, महान है। |
पैगंबर ने कहा, "जो कोई सुबह उठने पर ये पढ़ेगा, वह शाम को सोने तक जिन्नों से सुरक्षित रहेगा, और जो कोई भी शाम को सोते समय पढ़ेगा, वह सुबह उठने तक जिन्नों से सुरक्षित रहेगा।”[1]
निम्नलिखित तीन सूरह (क़ुरआन के अध्याय) को अरबी में तीन बार पढ़ें। पैगंबर ने कहा, "जो कोई भी इन्हे तीन-तीन बार सुबह और शाम को पढ़ेगा, ये उसके लिए (सुरक्षा के रूप में) हर चीज के खिलाफ पर्याप्त होंगे।”[2]
(बी) Al-Ikhlaas अल-इखलास (क़ुरआन, अध्याय 112)
लिप्यंतरण |
अनुवाद |
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम |
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है। |
कुल् हुवल्लाहु अ-हद |
(ऐ ईश्वर के दूत!) कह दोः अल्लाह अकेला है |
अल्लाहुस्स-मद् |
अल्लाह निरपेक्ष (और सर्वाधार) है |
लम् यलिद् व लम् यूलद् |
न उसकी कोई संतान है और न वह किसी की संतान है। |
व लम् यकुल्लहू कुफुवन् अ-हद |
और न उसके बराबर कोई है।” |
(सी) Al-Falaq अल-फ़लक़ (क़ुरआन, अध्याय 113)
लिप्यंतरण |
अनुवाद |
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम |
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है। |
कुल अऊजु बिरब्बिल फलक |
(ऐ पैगंबर!) कहो कि मैं भोर के पालनहार की शरण लेता हूँ |
मिन शररि मा ख़लक़ |
हर उसकी बुराई से, जिसे उसने पैदा किया |
वमिन शररि ग़ासिकिन इज़ा वकब |
तथा रात्रि की बुराई से, जब उसका अंधेरा छा जाये |
वमिन शररिन नफ़ फ़ासाति फ़िल उक़द |
तथा गाँठ लगाकर उनमें फूँकने वालियों की बुराई से। |
वमिन शररि हासिदिन इज़ा हसद |
तथा द्वेष करने वाले की बुराई से, जब वह द्वेष करे।” |
(डी) An-Naas अल-नास (क़ुरआन, अध्याय 114)
लिप्यंतरण |
अनुवाद |
बिस्मिल्लाह-हिर्रहमा-निर्रहीम |
अल्लाह के नाम से, जो अत्यन्त कृपाशील तथा दयावान् है। |
कुल अऊजु बिरब्बिन नास |
(ऐ पैगंबर!) कहो कि मैं इन्सानों के पालनहार की शरण में आता हूँ |
मलिकिन नास |
जो सारे इन्सानों का स्वामी है |
इलाहिन नास |
जो सारे इन्सानों का पूज्य है |
मिन शर रिल वसवा सिल खन्नास |
भ्रम डालने वाले और छुप जाने वाले (राक्षस) की बुराई से। |
अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नास |
जो लोगों के दिलो में भ्रम डालता रहता है |
मिनल जिन्नति वन नास |
जो जिन्नों में से है और मनुष्यों में से भी।” |
(ई) सुबह और शाम अरबी में तीन-तीन बार पढ़ें:
“Bismillaahil-lathee laa yadhurru ma’as-mihi shay’un fil-ardhi wa laa fis-samaa’i wa Huwas-Samee ‘ul- ‘Aleem” बिस्मिल्ला-हिल्ल-लज़ी ला य-दुर्रू म-अस-मिहि शय'उन फिल-अर्दी व ला फिस-समा-इ व हु-वस-समीउल अलीम
“मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जिसके नाम से न तो धरती पर और न ही आकाश में कोई नुकसान हो सकता है, और वह सब कुछ सुनने वाला, जानने वाला है।”
“जो कोई इसे सुबह तीन बार पढ़ेगा, उस पर शाम तक कोई विपत्ति न होगी, और जो इसे शाम में तीन बार पढ़ेगा, उस पर सुबह तक कोई विपत्ति न पड़ेगी।”[3]
2. सोने से पहले की दुआ
ए)अपनी हथेलियों को आपस में जोड़ लें, और क़ुरआन के इन तीन अध्यायों को पढ़ें जिनका उल्लेख ऊपर किया गया है (अध्याय 112, 113 और 114)। फिर अपने हाथों में फूंक मारें और सिर और चेहरे से शुरू करते हुए अपने शरीर पर जहां तक हो सके वहां तक फेरें। ऐसा तीन बार करें।[4]
बी)अल-कुर्सी (क़ुरआन 2:255) छंद पढ़ें, जिसका उल्लेख ऊपर भी किया गया है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "जो कोई भी सोने से पहले लेट के इसे पढ़ता है, उसके पास अल्लाह की तरफ से एक संरक्षक रहेगा और शैतान उसके पास तब तक नहीं आ पाएगा जब तक वह सुबह न उठ जाये।[5]
3. घर से बाहर निकलने की दुआ
“Bismillaahi, tawakkaltu ‘alallaahi, wa laa hawla wa laa quwwata illaa billaah”
बिस्मिल्लाही तवक्कलतु अलल्लाही वला हौला वला कु-वता इल्ला बिल्लाह
“मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, मैंने अपना भरोसा अल्लाह पर रखा है, अल्लाह के अलावा कोई शक्ति और कोई ताकत नहीं है।”[6]
4. घर में प्रवेश करने की दुआ
“Bismillaahi walajnaa, wa bismillaahi kharajnaa, wa ‘alaa Rabbinaa tawakkalnaa”
बिस्मिल्लाहि व-लजना, व बिस्मिल्लाही ख-रजना, वा आला रब्बीना तवक्कलना
“अल्लाह के नाम से हम प्रवेश करते हैं, अल्लाह के नाम पर हम निकलते हैं, और हम अपने पालनहार पर निर्भर हैं (फिर घर वालों से अस्सलाम व अलैकुम कहें )।”[7]
पैगंबर ने कहा कि घर में प्रवेश करते समय और खाना शुरू करते समय अल्लाह का नाम लेना चाहिए, और यह सुनकर शैतान कहता है: "आज रात हमारे लिए न तो आश्रय है और न ही भोजन।”
5. शौचालय में प्रवेश करने की दुआ
“Bismillaahi Allaahumma innee a’oothu bika minal-khubthi wal khabaa-ith”
बिस्मिल्लाहि अल्लाहुम्मा इन्नी अउज़ोबिका मीनल-खुबती वल खाबा-इत
“मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं। ऐ अल्लाह, मैं नर और मादा अशुद्ध आत्माओं से आपकी सुरक्षा चाहता हूं।”[8]
6. घर को शैतान से बचाने की दुआ
पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "अल्लाह ने आकाश और पृथ्वी को बनाने से दो हजार साल पहले एक किताब बनाई थी, उसमे से सूरह अल-बक़रा के अंतिम दो छंद प्रकट हुए थे। इन दो छंदो को पढ़ने पर कोई भी शैतान तीन रात तक घर के पास नहीं आएगा।”[9] इसलिए कोशिश करें कि हर तीन दिन में एक बार इन दो छंदो को पढ़ें।
अध्याय 2 के अंतिम दो छंद (क़ुरआन 2:285-286):
लिप्यंतरण |
अनुवाद |
आमनर-रसूलु बिमा उनजिला इलैहि मिर-रब्बिही वल-मुअ्मिनून |
दूत ने उस चीज़ पर विश्वास किया, जो उसके लिए अल्लाह की ओर से उतारी गई तथा सब आस्तिकों ने उसपर विश्वास किया। |
कुल्लुन आमना बिल्लाहि व मलाइकतिही व कुतुबिही व रुसुलिही |
उन सब ने अल्लाह तथा उसके स्वर्गदूतों और उसकी सब पुस्तकों एवं दूतों पर विश्वास किया, |
ला नुफर्रिकु बैना अहदिम-मिर-रुसुलिह |
“हम उसके दूतों में से किसी के बीच अन्तर नहीं करते।” |
व कालू समिअ्ना व अताअ्ना गुफरानका रब्बना व इलैकल-मसीर |
हमने सुना और हम आज्ञाकारी हो गये। ऐ हमारे पालनहार! हमें क्षमा कर दे और हमें तेरे ही पास आना है।” |
ला युकल्लिफुल्लाहु नफ्सन इल्ला वुस्अहा |
अल्लाह किसी प्राणी पर उसकी सकत से अधिक भार नहीं रखता। |
लहा मा कसबत व अलैहा मक-तसबत |
जो सदाचार करेगा, उसका लाभ उसी को मिलेगा और जो दुराचार करेगा, उसकी हानि भी उसी को होगी। |
रब्बना ला तुआखिजना इन-नसीना औ अख-तअ्ना |
“ऐ हमारे पालनहार! यदि हम भूल चूक जायें, तो हमें न पकड़। |
रब्बना वला तहमिल अलैना इसरन कमा हमल-तहु अलल-लजिना मिन कबलिना |
ऐ हमारे पालनहार! हमारे ऊपर इतना बोझ न डाल, जितना हमसे पहले के लोगों पर डाला गया। |
रब्बना वला तुहम्मिलना मा ला ताकता लना बिह |
ऐ हमारे पालनहार! और हम पर वह बोझ न डाल, जिसको उठाने की हमारे पास ताकत नहीं। |
वअ्फु अन्ना, वग-फिरलना, वर-हमना |
ऐ हमारे पालनहार! हमारे पापों की अनदेखी कर दे, हमें क्षमा कर दे तथा हमपर दया कर। |
अन्ता मौलाना फन-सुरना अलल कौमिल काफिरीन। |
तू ही हमारा स्वामी है तथा अविश्वासिओं के विरुध्द हमारी सहायता कर।” |
7. घर या किसी अन्य स्थान पर सुरक्षित रहने की दुआ:
जब आप घर पर हों या जब आप आराम कर रहे हों या किसी अन्य स्थान पर हों, जैसे कि कैंपिंग या पिकनिक करते समय, आप पढ़ सकते हैं:
“A’oodhu bikalimaatil-laah al-taammah min sharri ma khalaq”
अऊज़ो बि-कलिमातिल्लाह अल-तम्मा मिन शर्री मा खलक
“मैं सिद्ध वचनों से अल्लाह की पनाह चाहता हूं उस बुराई से जिसे उसने बनाया है”
पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "जो कोई किसी जगह रुकता है और कहता है: 'अऊज़ो बि-कलिमातिल्लाह...', उसे कुछ भी नुकसान नहीं होगा जब तक कि वह उस जगह से आगे नहीं बढ़ता।”[10]
एक अन्य कथन में, एक व्यक्ति ने पैगंबर मुहम्मद से शिकायत की, कि पिछली रात उसे एक बिच्छू ने काट लिया। पैगंबर ने जवाब दिया कि अगर तुमने इस दुआ को पढ़ा होता, तो तुम्हे न काटता। यह दुआ व्यक्ति को होने वाले शारीरिक नुकसान से भी बचाता है।
8. डर लगने पर दुआ
सामान्य तौर पर, यदि कोई व्यक्ति किसी चीज से घबराता है या उसे डर लगता है, तो वह ऊपर नंबर 1 (ए) से 1 (डी) और नंबर 7 में बताई गई दुआओं को पढ़ सकता है।
कुछ लोग लगभग सभी समस्याओं और विपत्तियों का जिम्मेदार असाधारण चीज़ों जैसे जादू टोना, शैतानों आदि को मानते हैं। किसी को इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए और चीजों को उचित तरीके से देखना चाहिए। हालांकि, अगर आसपास होने वाली अलौकिक चीजों के स्पष्ट सबूत हैं, तो निश्चित रूप से इसे गंभीरता से लेना चाहिए और बताई गई प्रार्थनाओं से अपनी रक्षा करना चाहिए।
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