इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
विवरण: अवराह के नियमों का अगला भाग जो समग्र इस्लामी पहनावे और महरम की एक सरल व्याख्या बताता है।
द्वारा Aisha Stacey (© 2012 IslamReligion.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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पाठ का उद्देश्य:
·यह समझना कि महिलाओं को विभिन्न समूहों के लोगों के सामने क्या ढकना चाहिए।
·महरम संबंधों को समझना।
अरबी शब्द:
·अवराह - शरीर के वे अंग जिन्हें ढक कर रखना चाहिए।
·महरम - वह व्यक्ति जो खून, विवाह या स्तनपान से किसी दूसरे व्यक्ति से संबंधित हो, चाहे पुरुष हो या महिला। किसी महिला/पुरुष को उसके पिता/माता, भतीजे/भतीजी, चाचा/चाची, आदि से शादी करने की अनुमति नहीं है।
·हया - प्राकृतिक या अंतर्निहित शर्म और विनय की भावना।
·हिजाब - हिजाब शब्द के कई अलग-अलग अर्थ हैं, जिनमें छुपाना, छुपना और पर्दा शामिल हैं। यह आमतौर पर एक महिला के हेडस्कार्फ़ को संदर्भित करता है और व्यापक रूप से मामूली कपड़ों और व्यवहार को संदर्भित करता है।
अवराह
अवराह का अर्थ है शरीर के वे अंग हैं जिन्हें ढका जाना चाहिए और यह लोगों के विभिन्न समूहों के लिए अलग-अलग स्थितियों में अलग होता है। पाठ 1 में हमने पुरुषों और महिलाओं दोनों के पहनावे की शर्तों के बारे मे जाना और अवराह को समझा, यानि सार्वजनिक स्थानों पर क्या ढका होना चाहिए। हालांकि, इस्लामी पहनावे को पूरी तरह से लागू करने के लिए कई अन्य स्थितियों को समझना महत्वपूर्ण है जिसमें अवराह महत्वपूर्ण हो जाता है।
पति के सामने पत्नी का अवराह:
पति-पत्नी के बीच कोई अवराह नहीं होता। जब एक महिला अपने पति के साथ अकेली होती है तो उसे खुद की और पति के पसंद के कपड़े पहनने की अनुमति है।
तथा अल्लाह की निशानियों (लक्षणें) में से ये (भी) है कि उत्पन्न किये, तुम्हारे लिए, तुम्हीं में से जोड़े, ताकि तुम शान्ति प्राप्त करो उनके पास तथा उत्पन्न कर दिया तुम्हारे बीच प्रेम तथा दया (क़ुरआन 30:21)
अपने महरम के सामने एक महिला का अवराह:
मेरा महरम कौन है? लिखने और समझने में आसानी के लिए हम एक महिला के महरम की रूपरेखा तैयार करते हैं; हालांकि महरम रिश्ता महिला और पुरुष दोनो के लिए एक समान है। (पिता/माता, बेटा/बेटी आदि)
महरम वह व्यक्ति होता है जिससे शादी करने की अनुमति नही है क्योंकि उनका रिश्ता करीबी खुनी, स्तनपान या वैवाहिक होता है। किसी का जीवनसाथी भी उसका महरम होता है। महरम वह व्यक्ति है जिसके साथ अकेले रहने की अनुमति है।
·एक करीबी खुनी रिश्ता: एक महिला के लिए उसके पिता, दादा, पुत्र, पोते, भाई, चाचा, मामा, भतीजे, भांजे। इसी तरह एक पुरुष के लिए उसकी मां, बेटी, पोती, बहन, चाची, मामी, भतीजी, भांजी।
·स्तनपान: इसमें शामिल है वो सभी पुरुष या महिला जिसने एक ही मां या दाई का स्तनपान किया हो। (और इसमें उसका का भाई या पति भी शामिल है जिसने उस व्यक्ति को स्तनपान कराया था)
·विवाह: जो लोग विवाह के बाद आपके रिश्तेदार बनते हैं जैसे ससुर, सास, सौतेला पिता, सौतेला दादा, सौतेला बेटा।
जब कोई महिला अपने महरमों के साथ होती है, तो इस्लाम के विद्वान इस बात से सहमत हैं कि एक महिला को ढकने के सख्त नियमों का पालन करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि वह बालों, चेहरे, बाजु, हाथ, घुटने के नीचे के पैर को खुला रख सकती है। हालंकि, एक मुस्लिम महिला को हमेशा याद रखना चाहिए कि वह अपनी विनम्रता और हया के लिए जानी जाती है, इसलिए उसे कभी भी बेशर्मी से अपना प्रदर्शन नहीं करना चाहिए।
और विश्वासी स्त्रियों से कहें कि अपनी आंखे नीची रखें (निषिद्ध चीजों को देखने से) और अपने गुप्तांगों की रक्षा करें (अवैध यौन कृत्यों आदि से) और अपनी शोभा का प्रदर्शन न करें, सिवाय उसके जो दिखाई देता है तथा अपनी ओढ़नियां अपने वक्षस्थलों (सीनों) पर डाली रहें, और अपनी शोभा का प्रदर्शन न करें, परन्तु अपने पतियों के लिए अथवा अपने पिताओं अथवा अपने ससुरों के लिए अथवा अपने पुत्रों अथवा अपने पति के पुत्रों के लिए अथवा अपने भाईयों अथवा भतीजों अथवा अपने भांजों के लिए अथवा अपनी स्त्रियों अथवा अपने दास-दासियों अथवा ऐसे अधीन पुरुषों के लिए, जो किसी और प्रकार का प्रयोजन न रखते हों अथवा उन बच्चों के लिए, जो स्त्रियों की गुप्त बातें ने जानते हों… (क़ुरआन 24:31)
अन्य मुस्लिम महिलाओं के सामने एक महिला का अवराह:
एक महिला को अन्य मुस्लिम महिलाओं के सामने शालीनता से कपड़े पहनने चाहिए; वह आमतौर पर जो खुला रखती है उसे खुला रख सकती जैसे बाल, हाथ, पैर। जहां तक उसके शरीर के अन्य अंगो जैसे जांघों और स्तन का सवाल है, इन्हें खुला नहीं रखना चाहिए।
यद्यपि उसे सुंदर और प्रशंसापूर्ण वाले कपड़े पहनने और श्रृंगार करने की अनुमति है, उसे अपने व्यवहार और पोशाक में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए जो उसकी स्थिति के अनुकूल हो और अन्य महिलाओं के हया को ठेस न पहुंचे।
यदि कोई मुस्लिम महिला ऐसी जगह हो जहां अन्य महिलाएं नैतिक रूप से खराब मानी जाती हैं, तो उसे अवराह के उन्हीं नियमों का पालन करना चाहिए जो सार्वजनिक रूप से लागू होते हैं। (वह नियम जो हमने हिजाब की शर्तों के रूप में सीखा है।)
गैर-मुस्लिम महिलाओं के सामने एक महिला की अवराह:
यह कुछ विद्वानों के बीच असहमति का मामला है। कुछ का कहना है कि इसमें वही नियम लागु होने चाहिए जो मुस्लिम महिलाओं के लिए हैं, हालांकि अन्य कहते हैं कि एक महिला को गैर-मुस्लिम महिलाओं के बीच ढकने के सख्त नियमों का पालन करना चाहिए।
पैगंबर के समय में यहूदी महिलाएं और मूर्तियों की पूजा करने वाली महिलाएं विभिन्न कारणों से पैगंबर की पत्नियों के साथ शामिल होती थीं। यह कहीं भी नही लिखा है कि पैगंबर की पत्नियां जो सबसे अच्छी और सबसे पवित्र महिलाएं थी, उन्होंने खुद को उस स्थिति में ढका था।[1]
जब एक महिला यह तय करे कि गैर-मुस्लिम महिलाओं के सामने ढकने के किस नियम का पालन करना है, तो उसे याद रखना चाहिए कि गैर-मुस्लिम महिलाएं इस बात से अनजान हो सकती हैं कि किसी मुस्लिम महिला की सुंदरता का वर्णन किसी पुरुष को नहीं करना चाहिए।
इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि वह प्रत्येक भिन्न स्थिति के आधार पर अपना निर्णय लें। मुस्लिम महिलाओं को हमेशा ऐसे कपड़े पहनने चाहिए जो सबसे पहले उसकी मर्यादा और गरिमा को व्यक्त करें। यदि किसी सभा में अज्ञात महिलाएं हों तो शायद ढकने के सख्त नियम का पालन करना बेहतर होगा।
अपने बच्चों के सामने एक औरत का अवराह:
यदि बच्चा शिशु है या अवराह और लैंगिकता का अर्थ समझने में असमर्थ है तो वह अन्य मुस्लिम महिलाओं के समान खुला रखने के नियम का पालन कर सकती है। लेकिन अगर बच्चा पुरुष है और उस उम्र का है जिसमे वह अवराह का अर्थ और पुरुषों और महिलाओं के बीच के अंतर को समझता है, तो महिलाओं का अवराह वही है जो अन्य पुरुष महरमों के लिए है।
सभी पुरुष और महिला मुसलमानों को हर समय हया (विनम्रता) की भावना बनाए रखनी चाहिए क्योंकि हया आस्था का हिस्सा है। व्यक्ति का पहनावा आमतौर पर उसकी शीलता को दर्शाता है।
पैगंबर ने कहा, "आस्था में साठ से अधिक शाखाएं (अर्थात भाग) शामिल हैं। और हया आस्था का हिस्सा है।”[2]
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