क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
विवरण: इस्लाम अपनाने पर अपना नाम बदलने के बारे में संक्षिप्त चर्चा।
द्वारा Aisha Stacey (© 2012 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 22 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,888 (दैनिक औसत: 4)
उद्देश्य:
·नया नाम चुनने के लाभों या गुणों पर चर्चा करना।
·यह समझना कि नया नाम रखना कब बेहतर होगा।
·उस कमी को पहचानना जिससे नाम बदलना चाहिए।
अरबी शब्द:
·हज - मक्का की तीर्थयात्रा, जहां तीर्थयात्री कुछ अनुष्ठानों की एक श्रृंखला का पालन करते हैं। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।
·काबा - मक्का शहर में स्थित घन के आकार की एक संरचना। यह एक केंद्र बिंदु है जिसकी ओर सभी मुसलमान प्रार्थना करते समय अपना रुख करते हैं।
·सूरह - क़ुरआन का अध्याय।
·उमरा - सऊदी अरब के मक्का शहर में अल्लाह के पवित्र घर की तीर्थयात्रा। इसे अक्सर छोटी तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष के किसी भी समय किया जा सकता है।
बहुत से लोग जो इस्लाम में परिवर्तित होते हैं, एक नए जीवन, नई शुरुआत और एक नए धर्म की शुरुआत को दर्शाने के लिए अपना नाम बदलने का विकल्प चुनते हैं। हालांकि हमें यह याद रखना चाहिए कि बहुत विशिष्ट परिस्थितियों को छोड़कर व्यक्ति के लिए अपना नाम बदलना अनिवार्य नहीं है। व्यक्ति किसी भी तरह से अपना नाम बदलने के लिए बाध्य नहीं है जब तक कि उसका नाम अल्लाह के अलावा किसी अन्य व्यक्ति या अन्य चीज़ की गुलामी को न दर्शाये या इसका निषिद्ध अर्थ न हो। हालांकि, इस्लाम हमें बताता है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने नाम से जुड़े अर्थों से प्रभावित होगा, और इसलिए हमें अपने बच्चों का "अच्छा" नाम रखना चाहिए। यह उतना ही सच है जब कोई व्यक्ति इस्लाम में परिवर्तित होता है। उन्हें कम से कम अपने नाम के अर्थ पर विचार करना चाहिए और ध्यान देना चाहिए कि यह क्या दर्शाता है। बेशक हम इसे पसंद करें या न करें, नामों का अर्थ होता है और वे इस नाम के व्यक्ति के बारे में छवियों या पूर्व धारणाओं को जन्म देते हैं। यही मुख्य कारण था कि पैगंबर मुहम्मद ने कुछ लोगों को अपना नाम बदलने का सुझाव दिया था। इसलिए आइए हम इस्लाम अपनाने पर अपना नाम चुनने और बदलने पर चर्चा करें।
निषिद्ध नाम
ऐसे नामों को चुनना मना है जो सिर्फ अल्लाह के लिए है। इसमें अल-अहद (सिर्फ एक), अस-समद (वह जिस पर सभी अपनी जीविका के साधनों के लिए निर्भर हैं), अल-ख़ालिक़ (निर्माता), अल-रज्जाक (प्रदाता) और अल-जब्बार जैसे नाम शामिल हैं। [1] उन सभी नामों का उपयोग करने के लिए मना किया गया है जो अल्लाह के अलावा किसी भी चीज़ या किसी व्यक्ति की गुलामी दर्शाता है, जैसे कि 'अब्दुल-'उज़्ज़ा (एक मूर्तिपूजक देव अल-'उज्जा का दास), 'अब्दुल-काबा (काबा का दास), अब्दुल-अली (अली का गुलाम), अब्दुल-हुसैन (हुसैन का गुलाम)। मूर्तियों या देवताओं से संबंधित नामों का उपयोग करना भी मना है, या ऐसा नाम जिसका मूल स्पष्ट रूप से मूर्तिपूजक हो।
नापसंद नाम
नामों की कई ऐसी श्रेणियां हैं जिसे नापसंद किया जाता है, भले ही ये पूरी तरह से प्रतिबंधित नही हैं। इनमें ऐसे नाम शामिल हैं जिनके बुरे या अरुचिकर अर्थ हैं, या जो अजीब लगते हैं, या शर्मिंदगी का कारण बनते हैं। इस तरह के नाम पैगंबर मुहम्मद के आदेश के विपरीत हैं जिन्होंने हमें अच्छे नाम रखने को कहा। उन नामों को रखना भी मना है जो उत्तेजक या सेक्सी हैं या जो पाप और अल्लाह की अवज्ञा की भावना व्यक्त करते हैं। स्वर्गदूतों या क़ुरआन के छंद पर नाम रखने पर इस्लाम के विद्वानों के बीच कुछ मतभेद हैं।
अरबी या गैर-अरबी नाम
इस्लाम अरब और गैर-अरब दोनो जगह आया, इसलिए एक नए मुस्लिम को अरबी नाम रखना जरूरी नहीं है, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि नाम बदसूरत नहीं होना चाहिए या इसका अर्थ इस्लाम के खिलाफ नहीं होना चाहिए। यदि गैर-अरबी नाम का अच्छा अर्थ है, तो इसका उपयोग करने में कुछ भी गलत नहीं है। कई फारसियों और बाइज़ेंटाइन लोगो ने इस्लाम धर्म अपनाया और अपना नाम नही बदला। वास्तव में कई पैगंबरो के नाम अरबी नहीं थे क्योंकि वे अरब के नहीं थे। फिर भी सभी पैगंबरो के अच्छे नाम थे और उन्होंने अपने बच्चों को अच्छे नाम दिए, जो उन्होंने अपने विशेष रीति-रिवाजों और परंपराओं से लिए थे। उदाहरणों में इसहाक (ईसाक), मूसा (मोसेस) और हारून (एरोन) शामिल हैं।
अच्छे नाम
पैगंबर मुहम्मद ने यह स्पष्ट कर दिया कि माता-पिता (और जो लोग इस्लाम में परिवर्तित होने पर अपना नाम बदलते हैं) को अच्छे नामों का उपयोग करना चाहिए। माता-पिता को अपने बच्चे के लिए एक अच्छा नाम चुनना चाहिए, और यह उस समाज में अजीब या विचित्र नहीं होना चाहिए जिसमें वे रहते हैं, क्योंकि अजीब नाम होने से नाम का या उस नाम वाले व्यक्ति का उपहास किया जा सकता है। पैगंबर मुहम्मद की प्यारी पत्नी आयशा ने हमें बताया कि पैगंबर बुरे नामो को बदल देते थे।[2] पैगंबर मुहम्मद के साथी उमर की एक बेटी का नाम आसिया (अवज्ञाकारी) था और पैगंबर ने उसका नाम बदलकर जमीला (सुंदर) कर दिया था।[3]
अच्छे नामों की पांच अलग-अलग श्रेणियां हैं। पहले में अब्दुल्ला और 'अब्दुर-रहमान' नाम शामिल हैं। यह बताया गया है कि पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "अल्लाह के नामों में सबसे प्रिय अब्दुल्ला और 'अब्दुर-रहमान हैं।"[4] दूसरी श्रेणी मे वे सभी नाम शामिल है जो अल्लाह की दासता और पूजा को व्यक्त करते हैं, जैसे 'अब्दुल-अज़ीज़, 'अब्दुर-रहीम,' अब्दुल-मलिक, 'अब्दुस-सलाम, आदि। तीसरी श्रेणी पैगंबर के नाम हैं और चौथी, धर्मी लोगों के नाम विशेष रूप से पैगंबर मुहम्मद के साथियो के नाम। अंत में, पांचवी श्रेणी में शामिल है कोई भी ऐसा नाम जिसका एक अच्छा और सुखद अर्थ है।
आधिकारिक तौर पर किसी का नाम बदलना
यदि आधिकारिक दस्तावेजों और अभिलेखों में किसी का नाम बदलने में बड़ी असुविधा होती है, तो परिवार और परिचितों के बीच इसे बदलना पर्याप्त होगा। ऐसी स्थिति में दोस्तों, परिचितों और आम जनता द्वारा उसे उसके नए नाम से बुलाया जाता है, जबकि आधिकारिक दस्तावेजों में दिए गए मूल नाम को बरकरार रखा जाता है। यह समस्या पैदा नहीं करता है और पूरी तरह से स्वीकार्य है। बहुत से लोग अनावश्यक रूप से चिंता करते हैं कि गैर-अरबी या गैर-मुस्लिम ध्वनि वाले नाम हज या उमरा करने मे हस्तक्षेप करेंगे। ऐसी बात नही है। किसी व्यक्ति के हज या उमरा की वैधता का उनके नाम से कोई लेना-देना नहीं है। हज या उमरा के लिए प्रवेश वीजा का आवेदन करते समय, स्थानीय इस्लामिक केंद्र से इस बात का प्रमाण पत्र लेना पर्याप्त होगा कि व्यक्ति ने इस्लाम धर्म अपना लिया है।[5]
वंश का संरक्षण
यह आवश्यक है कि व्यक्ति अपने वंश का श्रेय अपने जैविक पिता को दे, चाहे वह मुस्लिम हो या नहीं। पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि, "जो कोई जानबूझकर अपने पिता के अलावा किसी और से संबंधित होने का दावा करता है, उसे स्वर्ग से वंचित कर दिया जाएगा।“[6] इसलिए यदि कोई व्यक्ति अपने नए धर्म के अनुरूप अपना नाम बदलने का फैसला करता है, तो उसे अपना उपनाम नही बदलना चाहिए।
बेशक किसी को नाम बदलने में कठिनाई हो सकती है, हर व्यक्ति और उनकी परिस्थितियां अलग-अलग होती हैं, हालंकि इस्लाम धर्म आसानी के लिए बनाया गया है। उपरोक्त रूपरेखा से यह देखा जा सकता है कि समझौता लगभग हमेशा संभव होता है। किसी के नाम का निषिद्ध अर्थ होने के अलावा, प्रत्येक स्थिति को उसके व्यक्तिगत गुणों के आधार पर आंका जान चाहिए।
इंटरनेट पर नामों की सूची खोजना बहुत आसान है और आप निम्नलिखित साइटों से शुरुआत कर सकते हैं:
पिछला पाठ: पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
अगला पाठ: पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)