लोड हो रहा है...
फ़ॉन्ट का आकारv: इस लेख के फ़ॉन्ट का आकार बढ़ाएं फ़ॉन्ट का डिफ़ॉल्ट आकार इस लेख के फॉन्ट का साइज घटाएं
लेख टूल पर जाएं

जानवरों के प्रति व्यवहार

रेटिंग:

विवरण: जानवरों के प्रति दया पर इस्लामी परिप्रेक्ष्य।

द्वारा Imam Mufti (© 2013 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 23 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,437 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·यह जानना कि जानवरो के साथ व्यवहार पुरस्कार या पाप अर्जित कर सकता है।

·जानवरों के प्रति दयालु व्यवहार और दुर्व्यवहार पर इस्लामी दृष्टिकोण को समझना।

·इस बात को समझना कि अल्लाह द्वारा कुछ मानवीय दिशानिर्देशों का पालन करके ही किसी जानवर को मारने की अनुमति है।

·इस बात को समझना कि इस्लाम में नुक़सान पहुंचाने वाले जानवरों को मारने की अनुमति है।

अरबी शब्द

·ज़ब्ह - मुसलमानों के खाने के लिए उपयुक्त समझे जाने वाले जानवरों का इस्लामी अनुष्ठान वध।

क्या इस्लाम हमें जानवरों को दोस्त समझना सिखाता है या वे केवल हमारे उपयोग के लिए उत्पाद हैं? क्या जानवरों को अधिकार है कि उनके प्रति किसी विशेष प्रकार का व्यवहार हो? यदि मनुष्य का जानवरों के प्रति कोई कर्तव्य है, तो वो क्या है?

दुनिया के सबसे पुराने पशु कल्याण समूह, रॉयल सोसाइटी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ क्रुएल्टी टू एनिमल्स से बहुत पहले, इस्लाम ने जानवरों के प्रति दयालुता निर्धारित की और पशु क्रूरता को पाप के स्तर तक बढ़ा दिया - एक ऐसा कार्य जो निर्माता को नाराज करता है।

कोई मनुष्य किसी जानवर के साथ कैसा व्यवहार करता है, इसके लिए अल्लाह उसको जिम्मेदार ठहराएगा। किसी जानवर के साथ व्यवहार अल्लाह की ओर से इनाम का स्रोत या सजा का स्रोत हो सकता है। लोगों ने अल्लाह के पैगंबर से पूछा, 'अल्लाह के दूत, क्या जानवरों के साथ व्यवहार में हमारे लिए कोई इनाम है?' पैगंबर ने कहा, 'किसी भी जीवित प्राणी की सेवा करना इनाम का कार्य है।'

दया के पैगंबर ने कहा,

“एक आदमी को चलते-चलते प्यास लगी और उसने एक कुएं मे नीचे उतर कर पानी पिया। जब वह बाहर आया तो उसने देखा कि एक कुत्ता अत्यधिक प्यास के कारण हांफ रहा है और कीचड़ खा रहा है। उस आदमी ने सोंचा, 'जैसे मै प्यासा था, यह (कुत्ता) भी वैसे ही प्यासा है!' इसलिए वह (कुएं में नीचे उतर कर) अपने जूते में पानी भरकर अपने दांतो से पकड़ कर कुएं के बाहर आया और कुत्ते को पानी पिलाया। अल्लाह ने उसे उसके (अच्छे) काम के लिए पुरस्कृत किया और उसे माफ कर दिया।” लोगों ने पूछा, "ऐ अल्लाह के दूत! क्या जानवरों की सेवा करने पर हमें कोई प्रतिफल मिलेगा?” उन्होंने उत्तर दिया, "हां, किसी भी जीवित प्राणी की सेवा करने का पुरस्कार है"। (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)

अल्लाह के पैगंबर ने कहा, "जब एक कुत्ता एक कुएं के चारों ओर घूम रहा था और प्यास से मरने वाला था, तब इज़राइल की जाति की एक वेश्या ने उसे देखा। उसने अपना जूता उतारा और उसमें पानी भर कर कुत्ते को पीने के लिए दिया। तो अल्लाह ने उस अच्छे काम के लिए उसे माफ कर दिया।” (सहीह अल-बुखारी)

जानवरो के साथ दुर्व्यवहार करने पर मनुष्य नर्क भी जा सकता है। 'एक औरत एक बिल्ली के कारण नर्क मे गई, उसने बिल्ली को बांध रखा था और उसे खाना नहीं दे रही थी, और न ही उसे पृथ्वी से कुछ खाने दे रही थी।' (सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम)

एक बार पैगंबर अंसार (मदीना के मूल निवासी) के एक बगीचे मे गए। एक ऊंट ने पैगंबर को देखा और रोने लगा। अल्लाह के पैगंबर उसके पास गए और उसके सिर को तब तक सहलाया जब तक वह शांत न हो गया और फिर पैगंबर उसके मालिक को ढूंढने लगे। पैगंबर ने मालिक से कहा, 'क्या आप इस जानवर के संबंध में अल्लाह से नहीं डरते जिसे अल्लाह ने आपके अधिकार में रखा है? उसने मुझ से शिकायत की है कि तुम उसे भूखा रखते हो और उस पर भारी बोझ लादते हो, जिससे वह थक जाता है।(अबू दाऊद)

एक अन्य अवसर पर, एक आदमी ने एक चिड़िया के घोंसले से एक अंडा निकाल लिया और इसकी वजह से चिड़िया की मां पैगंबर के सिर के चारों ओर घूमने लगी। पैगंबर ने पूछा कि अंडा लेकर उसकी मां को किसने चोट पहुंचाई है। उस आदमी के मिलने पर जिसने ये किया था, पैगंबर ने उसे निर्देश दिया, 'इसे पक्षी पर दया करके वापस रख दो।' (अदब अल-मुफरद मे सहीह अल-बुखारी)

पैगंबर ने घोषणा की थी, 'जो दया नहीं करेगा उस पर दया नहीं की जाएगी।' (सहीह अल-बुखारी)

इसके साथ ही जानवरों को मनुष्य के फायदे के लिए बनाया गया है। अल्लाह ने इंसानों को उनके लिए बनाई की गई अच्छी चीजों में से खाने की अनुमति दी है और इसमें कुछ जानवरों का मांस भी शामिल है। ऐसा करने के लिए, इस्लाम ने अनुष्ठान वध (अरबी में ज़ब्ह कहा जाता है) के लिए मानवीय दिशानिर्देश निर्धारित किए हैं। इस्लाम चाहता है कि जानवर को मारने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला औजार बेहद तेज हो। एक और दिशानिर्देश यह है कि किसी जानवर को अन्य जानवरों के सामने न मारा जाए। अल्लाह के दूत ने कहा, 'जो कोई उस जानवर पर भी दया करेगा जिसे वह मारने वाला है, उस पर न्याय के दिन दया की जाएगी।' (अदब अल-मुफरद में सहीह अल-बुखारी).

अल्लाह ने मुसलमानों को जिन जानवरों को खाने के अनुमति दी है उनके मानवीय वध के अलावा, हानिकारक जानवरों जैसे कि पागल कुत्ते, भेड़िये, जहरीले सांप, बिच्छू और चूहों को मारने की भी अनुमति है। फिर भी, उन्हें क्रूरता से नहीं मारा जाना चाहिए और उनकी पीड़ा लंबी नहीं होनी चाहिए।

संक्षेप में, एक मुसलमान को जानवरों के प्रति व्यवहार में निम्नलिखित शिष्टाचार का पालन करना चाहिए:

1.उन्हें खिलाएं और पीने के लिए पानी दें।

2.जानवर के साथ दया का व्यवहार करें।

3.वध किये जाने वाले जानवर को आराम से रखो और उस जानवर के प्रति मानवीय व्यवहार के लिए इस्लामी कानून में निर्धारित दिशा-निर्देशों का पालन करो।

4.कभी भी किसी जानवर को यातना न दें, उसे क्षत-विक्षत न करें या उसे आग से न जलाएं।

पाठ उपकरण
बेकार श्रेष्ठ
असफल! बाद में पुन: प्रयास। आपकी रेटिंग के लिए धन्यवाद।
हमें प्रतिक्रिया दे या कोई प्रश्न पूछें

इस पाठ पर टिप्पणी करें: जानवरों के प्रति व्यवहार

तारांकित (*) फील्ड आवश्यक हैं।'

उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। यहाँ.
अन्य पाठ स्तर 6