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उम्रह (2 का भाग 2)

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विवरण: हर नए मुसलमान को अनिवार्य रूप से उम्रह और हज दोनों के एक स्तंभ एहराम की स्थिति के बारे में पता होना चाहिए, इसका एक आसान मार्गदर्शन।

द्वारा Abdurrahman Murad (© 2013 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 31 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,471 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य:

·इहराम की स्थिति से संबंधित महत्वपूर्ण कारकों को जानना।

·उन लोकप्रिय मान्यताओं से बचना जो इस्लाम में प्रमाणित नहीं हैं।

·ज्ञान की गहरी भावना से उम्रह पूरा करना।

अरबी शब्द

·उम्रह - सऊदी अरब के मक्का शहर में अल्लाह के पवित्र घर की तीर्थयात्रा। अक्सर इसे छोटी तीर्थयात्रा के रूप में जाना जाता है। इसे वर्ष के किसी भी समय किया जा सकता है।

·मीक़ात - वो जगह जहां कोई एहराम के वस्त्र पहनता है और एहराम की स्थिति में प्रवेश करता है।

·तलबियाह - तीर्थयात्रा के दौरान मुसलमानों द्वारा किया जाने वाला जप।

·महदथुरत - वो कार्य जिन्हे एहराम की स्थिति में करने की अनुमति नही है।

·मुबाशरत - यह महिला के साथ शारीरिक संपर्क (त्वचा से त्वचा) है।

·एहराम - ऐसी स्थिति जिसमें किसी को कुछ ऐसे काम करने की मनाही होती है जो अन्य समय में वैध होता है। उम्रह और हज के संस्कार करते समय यह आवश्यक है।

·काबा - मक्का शहर में स्थित घन के आकार की एक संरचना। यह एक केंद्र बिंदु है जिसकी ओर सभी मुसलमान प्रार्थना करते समय अपना रुख करते हैं।

·सई - यह सफा और मरवा की पहाड़ियों के बीच चलना और दौड़ना है।

·तवाफ़ - काबा के चारों ओर परिक्रमा। यह सात सर्किट में किया जाता है।

·रकात - नमाज़ की इकाई।

पिछले पाठ में हमने उम्रह की शर्तों और इसे करने की प्रक्रिया के बारे मे बताया था। जैसा कि पहले भाग में बताया गया है, एहराम की स्थिति में आना इस महान अनुष्ठान का एक स्तंभ है। चूंकि यह उम्रह और हज का एक बहुत ही अनिवार्य हिस्सा है, इसलिए इस स्थिति मे 'क्या करना है' और 'क्या नही करना है' इस पर और प्रकाश डालना आवश्यक है।

प्रशंसनीय आचरण

1.एहराम की स्थिति में जाने से पहले अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) करना बेहतर होता है।

2.एहराम की स्थिति में प्रवेश करने से पहले नाखूनों को काटना, मूंछों को छोटा करना और बगल और जनेंद्रियों के बालों को उखाड़ना/शेव करना।

3.अनिवार्य नमाज़ के बाद एहराम की स्थिति में प्रवेश करना।[1]

4.तलबियाह कहना: 'लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक... ' एहराम की स्थिति में आने के बाद। पुरुषों को यह ऊंची आवाज मे कहना चाहिए और महिलाएं इसे धीमी आवाज़ मे कह सकती हैं।

आचरण जिनसे बचना चाहिए

जिन आचरण से बचना चाहिए उन्हें एहराम का 'महदथुरत' कहा जाता है। ये कार्य उस व्यक्ति के लिए वैध नहीं हैं जो एहराम की स्थिति में होता है। इन्हे तीन श्रेणियों में बांटा गया है; एक सिर्फ पुरुषों के लिए, एक सिर्फ महिलाओं के लिए और एक पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए।

इहराम की स्थिति मे पुरुषों और महिलाओं के लिए निषिद्ध:

1.शरीर के किसी भी हिस्से के बाल काटना या शेव करना।

2.हांथ या पैर के नाखूनों को काटना।

3.परफ्यूम लगाना, भले ही खुशबू कितनी भी काम क्यों न हो।

4.जंगली जानवर का शिकार करना।

5.यौन क्रिया करके विवाह पूर्ण बनाना।

6.मुबाशरत (यानी किसी महिला के साथ त्वचा से त्वचा का संपर्क बनाना) या ऐसा काम करना जिससे यह हो सकता है जैसे कि चुंबन या प्यार करना।

7.संभोग।

सिर्फ पुरुषों के लिए निषिद्ध:

1.सिर को टोपी या पगड़ी से ढकने की अनुमति नही है। छाते, वाहन की छाया या तंबू में बैठने की अनुमति है।

2.आमतौर पर पहने जाने वाले सिले हुए कपड़े पहनने की अनुमति नही है, जैसे अंडर-पैंट, टी-शर्ट और इसी प्रकार के अन्य कपड़े।

सिर्फ महिलाओं के लिए निषिद्ध:

महिला को अपना चेहरा तब तक नहीं ढंकना चाहिए जब तक कि कोई पुरुष उसके पास से न गुजरें। वह इस्लामिक पोशाक के अनुसार कुछ भी पहन सकती है, और उसे अपने बालों को ढंकना चाहिए और उसे दस्ताने नहीं पहनने चाहिए।

अनजाने में महदथुरत कर लेना

अगर कोई अनजाने में इनमें से एक कर लेता है तो उसे माफ कर दिया जाता है। जो कोई भी इहराम की स्थिति में आने के बाद उपरोक्त में से एक भी महदथुरत जानबूझकर करता है तो मानो उसने पाप किया, और उसे तीन दिन का उपवास करना होगा या छह गरीब/जरूरतमंद व्यक्तियों को खाना खिलाना होगा।

वैध आचरण

1.नहाना।

2.अंगूठी पहनना।

3.बेल्ट पहनना।

4.सैंडल पहनना।

5.छतरी का उपयोग करना।

6.पट्टी का उपयोग करना।

7.बस की सवारी करना।

8.घड़ी पहनना।

9.धूप का चश्मा पहनना।

अप्रमाणिक आचरण

पुरे वर्ष उम्रह के लिए सभी क्षेत्रों से आने वाले लोगों की भारी संख्या के कारण, यह महत्वपूर्ण है कि कोई भी कुछ लोगों द्वारा किये जाने वाले लोकप्रिय मान्यताओं का पालन न करे। इस्लाम आसानी का धर्म है, कठिनाई का नहीं! महान अल्लाह कहता है:

“और इसी प्रकार हमने तुम्हें मध्यवर्ती उम्मत (समुदाय) बना दिया” (क़ुरआन 2:143)

इस छंद की रौशनी मे, हम यहां कुछ अजीब मान्यताओं का उल्लेख करेंगे जिसका पालन कुछ लोग करते हैं। व्यक्ति को इनसे सतर्क रहना चाहिए और उनके जैसा नही बनना चाहिए:

1.यह मानना कि आपको उम्रह करने के लिए एक विशेष चप्पल की आवश्यकता है।

2.मीक़ात के स्थान से पहले एहराम की स्थिति में जाना।

3.एक समूह में एक स्वर से तलबियाह का जप करना।

4.काले पत्थर के सामने जाने पर अपने हाथों को ऊपर उठाना, जैसा कि प्रार्थना में किया जाता है।

5.तवाफ (काबा के चारों ओर की परिक्रमा) के दौरान दाहिने हाथ को बाएं हाथ के ऊपर रखना।

6.काबा के प्रत्येक कोने पर एक विशिष्ट नमाज़ पढ़ना।

7.यमनी कोने को चूमना[2].

8.काबा की दीवारों को कपड़े से या एहराम के वस्त्र से पोंछकर आशीर्वाद लेना।

9.इब्राहिम के मक़ाम (इब्राहिम का स्थान) को चूमना और छूना।

10.सई करने के बाद दो रकात नमाज़ पढ़ना।

एक मुसलमान के लिए हमेशा हमारे प्यारे पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) के उदाहरण का पालन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि सफलता इसी मे निहित है।



फुटनोट:

[1]एहराम के लिए कोई विशेष नमाज़ नहीं है। मुसलमान के लिए अनिवार्य नमाज़ पांच दैनिक नमाज़ है।

[2]तवाफ करते समय काले पत्थर से पहले जो कोना आता है।

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