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इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा

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विवरण: पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करने के सुझाव और उपद्रवी या बुरे पड़ोसियों से निपटने का तरीका।

द्वारा Aisha Stacey (© 2014 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 27 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,443 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·आसान और इस्लामी रूप से सही तरीके से पड़ोसियों के अधिकारों को पूरा करना सीखना।

·यह समझना कि एक बुरे पड़ोसी के साथ व्यवहार में कभी भी उसकी चुगली या उसके साथ अन्य बुरा व्यवहार नही करना चाहिए।

अरबी शब्द

·सहाबा - "सहाबी" का बहुवचन, जिसका अर्थ है पैगंबर के साथी। एक सहाबी, जैसा कि आज आमतौर पर इस शब्द का प्रयोग किया जाता है, वह है जिसने पैगंबर मुहम्मद को देखा, उन पर विश्वास किया और एक मुसलमान के रूप में मर गया।

The Rights of Neighbours in Islam2.jpgपैगंबर मुहम्मद ने कहा कि, "अल्लाह का सबसे अच्छा साथी वह है जो अपने साथी के लिए सबसे अच्छा है, और अल्लाह का सबसे अच्छा पड़ोसी वह है जो अपने पड़ोसी के लिए सबसे अच्छा है।”[1] उन्होंने यह भी कहा, "जो अपने पड़ोसी को हानि पहुंचाता है, वह स्वर्ग में प्रवेश नहीं करेगा।”[2]

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि पड़ोसियों के साथ अच्छा व्यवहार करना और उनको सम्मान देना इस्लाम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवधारणा है। इससे सभी का जीवन अधिक सुखद बन सकता है; जब आप ऐसे लोगों से घिरे होते हैं जिन पर आप भरोसा कर सकते हैं, तो उनके समर्थन और प्रोत्साहन से परीक्षाओं और समस्याओं का अधिक आसानी से सामना किया जा सकता है। यदि आपके पड़ोसी मुस्लिम हैं तो एक अच्छा पड़ोसी होना आसान है क्योंकि पड़ोसियों के अधिकार इस्लाम के सिद्धांतो मे निहित हैं। एक मुसलमान के दूसरे मुसलमान पर अधिकार निम्नलिखित हैं:

·अस्सलाम अलैकुम [3] के इस्लामी अभिवादन के साथ उसका अभिवादन करें।

·जब वह बीमार हो तो उनसे मिलने जाएं।

·विपदा के समय शोक व्यक्त करें और मदद करें।

·खुशी और सुख के समय बधाई दें

·जहां तक संभव हो गलतियों को नज़रअंदाज़ करें, झुंझलाहट को दूर करें और दोषों को छुपाएं।

·उपहार दें।

·आर्थिक मदद करें।

·उनकी संपत्ति को ईर्ष्या से न देखें।

·उनका उन चीजों के लिए मार्गदर्शन करें जो उन्हें धार्मिक और सांसारिक दोनों मामलों में लाभ पहुंचाएं।

यदि आपके पड़ोसी मुस्लिम नहीं हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि उनके साथ अलग तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए। वास्तव में उनके साथ उस सम्मान के साथ व्यवहार करें जिस पर इस्लाम जोर देता है, जो केवल एक अच्छी बात हो सकती है। इससे सबसे अधिक अच्छा यह होगा कि ये उन्हें इस्लाम की ओर ले जा सकता है और कम से कम यह होगा कि पड़ोस में हर कोई एक शांतिपूर्ण और मिलजुल कर रहेगा।

विभिन्न जातियों और धर्मों के लोगों की आबादी वाले समुदायों में रहने वालों के लिए कुछ व्यावहारिक सुझाव निम्नलिखित हैं:

·जब आप किसी नई जगह रहने जाएं या जब नए पड़ोसी आएं तो पड़ोसियों को अपना परिचय दें।

·बुजुर्गों या लंबे समय से बीमार लोगों के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ करके देखभाल और चिंता प्रकट करें। एक मुसलमान को खाना नहीं खाना चाहिए यदि उसका पड़ोसी भूखा है, आप खाना भेजकर मदद कर सकते हैं और इसके साथ लॉन की घास काटने या कूड़ेदानों को बाहर निकालने जैसे कामों में मदद कर सकते हैं। पैगंबर मुहम्मद ने एक सहाबी को सलाह दी कि वह अच्छे पड़ोसी के रिश्ते को बढ़ावा दें, जब उन्होंने कहा, "... जब भी आप शोरबा तैयार करें, उसमें भरपूर पानी डालें और अपने पड़ोसियों को दें।”[4]

·उपहार दें। उपहार देने से कठोर से कठोर हृदय भी कोमल हो जाता है।

·पड़ोसियों को भोजन या बारबेक्यू या यहां तक ​​कि एक कप चाय के लिए आमंत्रित करें। अपने निमंत्रण में शराब और आहार संबंधी आवश्यकताओं पर इस्लाम के प्रतिबंधों को बताना न भूलें ताकि कुछ शर्मिंदगी का कारण न बने। ये यह दिखाने का भी मौका है कि सुखी सामाजिक जीवन के लिए शराब एक आवश्यक चीज़ नहीं है।

·निमंत्रण स्वीकार करें, यदि शराब या नृत्य का कार्यक्रम न हो तो।

·समाजीकरण करते हुए इस्लाम को बेहतरीन तरीके से पेश करें। धर्म या राजनीति के बारे में व्यर्थ की बहस में न पड़ें।

·यदि आपके पड़ोसी इस्लाम में रुचि दिखाते हैं तो हड़बड़ी न करें। आप उन्हें कुछ किताबें दे सकते हैं या उन्हें इस्लाम को दर्शाने वाले कार्यक्रमों में आमंत्रित कर सकते हैं।

·आपदा के समय सबसे पहले मदद करें। आपके पड़ोसियों को धन, परिवहन या दुख के समय सांत्वना देने वाले की आवश्यकता हो सकती है।

यह जानने के बाद कि अच्छा पड़ोसी होना एक आशीर्वाद है और अपने पड़ोसियों के प्रति अच्छा व्यवहार करना इस्लाम में महत्वपूर्ण है, यदि पड़ोसी आपके साथ बुरा व्यवहार करे तो आपको क्या करना चाहिए? एक मुस्लिम समाज या पड़ोस में अपने मुस्लिम पड़ोसी को गलत व्यवहार करने से रोकने का एक अच्छा तरीका है उसके व्यवहार का प्रचार करना।

एक सहाबी ने बताया कि एक व्यक्ति ने पैगंबर से पूछा कि उस पड़ोसी के साथ कैसा व्यवहार करें जिसने उसे नुकसान पहुंचाया है। पैगंबर ने सुझाव दिया कि वह अपना सामान ले और रोड़ पर आ जाये। जब उस आदमी ने वैसा किया जैसा कि पैगंबर ने सुझाव दिया था तो लोग चारों ओर इकट्ठा होकर पूछने लगे कि क्या हो रहा है। उस व्यक्ति ने बताया कि वो जो कुछ भी कर रहा है वह पैगंबर मुहम्मद का सुझाव है। लोग चकित थे और दुर्व्यवहार करने वाला आदमी बदनाम होने लगा। दुष्ट पड़ोसी शर्म और पछतावे के साथ उस व्यक्ति के पास गया और कहा, “अपने घर वापस जाओ। अल्लाह की कसम, मैं तुम्हें किसी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाऊंगा।[5]

हालांकि यह महत्वपूर्ण है कि यदि कोई अपने पड़ोसी की बुराई का प्रचार करता है, तो उसे उसकी चुगली नही करनी चाहिए या अपने साथ हुए बुरे व्यवहार को बढ़ा-चढ़ाकर नही बताना चाहिए। पैगंबर ने जो सलाह दी थी, वह यह दिखाना था कि उसके प्रति उसके पड़ोसी के व्यवहार के कारण उसे अपना घर छोड़ना पड़ा। इससे ज्यादा उन्होंने कुछ नहीं कहा। लोगों को यह समझने के लिए पर्याप्त था कि मामला गंभीर है। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि मुसलमानों और गैर-मुसलमानों दोनों के साथ इस्लाम मे बताये अनुसार नैतिकता के उच्च मानकों का उपयोग करने पर, यह अक्सर अद्भुत असर दिखाता है।

प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान अल-कुरतुबी (1214 -1273 सीई) ने कहा, "मैं पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार करने की सलाह देता हूं, चाहे वे मुस्लिम हों या नहीं। और यही करना सही है। दयालु व्यवहार मदद करने के अर्थ में हो सकता है या यह दयालु होने के अर्थ में हो सकता है, झुंझलाहट से बचना और उनके साथ खड़ा होना।”



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी

[2] सहीह मुस्लिम

[3] इस्लामी अभिवादन है 'अस्सलाम अलैकुम' (ईश्वर आपको रक्षा और सुरक्षा प्रदान करें)। इसका जवाब है 'वा अलैकुम अस्सलाम' (ईश्वर आपको भी ऐसा ही दे)। ये संक्षिप्त अरबी शब्द मुसलमानों को यह बताते हैं कि वे मित्रों में से हैं, अजनबी नहीं।

[4] सहीह मुस्लिम

[5] अबू दाऊद

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