न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
विवरण: क्या होगा जब अंत में प्रत्येक व्यक्ति अल्लाह के सामने खड़ा होगा।
द्वारा Aisha Stacey (© 2014 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य
·न्याय के दिन की घटनाओं के बारे में हम जो जानते हैं उससे परिचित होना और यह समझना कि प्रत्येक व्यक्ति अपने परिणाम के बारे मे जानने मे सक्षम होगा।
अरबी शब्द
·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।
·सिरात - इसका अर्थ है पथ या सड़क। न्याय के दिन के संदर्भ में,यह एक लंबे संकरे पुल को संदर्भित करता है जिसे हर कोई स्वर्ग या नर्क में प्रवेश करने से पहले पार करेगा।
·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।
आपका नया अनन्त जीवन शुरू होने वाला होगा। वह न्याय का दिन है। अल्लाह पूरी मानवता का न्याय उनके विश्वासों और कर्मों के अनुसार करेगा। यह सभी पैगंबरो के संदेश की परिणति है। एक ईश्वर की आराधना करना और यह जानना कि आप जो कुछ भी कहते और करते हो एक दिन आप उसके लिए जवाबदेह होंगे। यह दिन आएगा। यह एक सदमा होगा, पूरी मानवता खौफ में एक साथ खड़ी होगी। अब क्या होगा?
“हमने तुम्हें समीप यातना से सावधान कर दिया, जिस दिन इन्सान अपना करतूत देखेगा और काफ़िर (विश्वासहीन) कहेगा कि काश मैं मिट्टी हो जाता!’" (Quran 78:40)
न्याय का तराजू
न्याय का तराजू जिसे कभी-कभी संतुलन या कर्मों के पैमाने के रूप में संदर्भित किया जाता है, और प्रत्येक कार्य को तौला और मिलाया जाएगा।
किसी भी कर्म को, यहां तक कि एक परमाणु के वजन के बराबर भी नही छोड़ा जाएगा, चाहे वह चुगली हो जिसे भुला दिया गया हो या दयालु शब्द जो बिना सोचे समझे कहा गया हो।
“जो (प्रलय के दिन) एक सत्कर्म लेकर (अल्लाह) से मिलेगा, उसे उसके दस गुना प्रतिफल मिलेगा और जो कुकर्म लायेगा, तो उसको उसी के बराबर कुफल दिया जायेगा तथा उनपर अत्याचार नहीं किया जायेगा।” (क़ुरआन 6:160).
पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने भी हमें अल्लाह की दया के बारे मे बताया। उन्होंने कहा, 'ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे तराजू में रखा जाए और वो एक अच्छे आचरण से अधिक भारी हो। जिसके पास अच्छा आचरण है, वह उपवास और प्रार्थना करने वाले व्यक्ति के सामान होगा।’[1]
कर्मों की किताब
"‘…हाय हमारा विनाश! ये कैसी पुस्तक है, जिसने किसी छोटे और बड़े कर्म को नहीं छोड़ा है, परन्तु उसे अंकित कर रखा है? और जो कर्म उन्होंने किये हैं, उन्हें वह सामने पायेंगे और आपका पालनहार किसी पर अत्याचार नहीं करेगा। (क़ुरआन 18:49)
प्रत्येक व्यक्ति को उनके दाएं या बाएं हाथ में एक किताब दी जाएगी। इस दुनिया में हम जो कुछ भी करते हैं वह स्वर्गदूतों द्वारा दर्ज किया गया है। अच्छे और बुरे, जिन चीजों को हम भूल गए हैं या कभी सोचा नहीं है, यह सब दर्ज है और अल्लाह हमसे हर शब्द के बारे में सवाल कर सकता है। जिन लोगों को उनके दाहिने हाथ में किताब दी जाएगी, वे राहत की सांस लेंगे और खुश और सम्मानित महसूस करेंगे।
“फिर जिस किसी को उसका कर्मपत्र दाहिने हाथ में दिया जायेगा, तो उसका सरल ह़िसाब लिया जायेगा, तथा वह अपनों में प्रसन्न होकर वापस जायेगा। और जिन्हें उनका कर्मपत्र बायें हाथ में दिया जायेगा, तो वह विनाश (मृत्यु) को पुकारेगा, तथा नर्क में जायेगा।”(क़ुरआन 84:7-12)
लेकिन दुख की बात है कि कई लोगों को उनकी किताब उनके बाएं हाथ में या पीठ के पीछे से दी जाएगी। और डर बढ़ जायेगा।
हिसाब-किताब
पहली चीज जिसके बारे में प्रत्येक व्यक्ति से सवाल किया जायेगा, वह है उसकी नमाज़। नमाज़ हम पर फ़र्ज़ है। प्रत्येक व्यक्ति से उसकी नमाज़ों की गुणवत्ता के बारे में पूछा जाएगा। पैगंबर मुहम्मद के शब्दों से इसकी पुष्टि होती है।
यह एक प्रामाणिक हदीस में दर्ज है कि पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "प्रलय के दिन लोगों को सबसे पहले जिस चीज़ का जवाबदेह ठहराया जाएगा वो नमाज़ है, अल्लाह (बेशक पहले से जानता है) अपने स्वर्गदूतों से कहेगा, 'मेरे दास की नमाज़ों को देखो। वे पूरे थे या नहीं?' यदि वे पुरे थे तो इसे पूरा लिखो। यदि अगर वे पुरे नहीं होंगे तो अल्लाह कहेगा: 'देखो कि मेरे दास ने स्वैछिक नमाज़ पढ़ी है', अगर उसने पढ़ी होगी तो अल्लाह कहेगा, 'उसकी स्वैच्छिक नमाज़ों से उसकी अनिवार्य नमाज़ों को पूरा करो।' और फिर उसके बाक़ी के कर्मो का हिसाब इसी तरह किया जायेगा।”[2]
पैगंबर मुहम्मद के शब्द हमारे दिमाग में एक बहुत स्पष्ट तस्वीर बनाने मे हमारी मदद करते हैं कि जब हम हिसाब-किताब के दिन अल्लाह के सामने खड़े होंगे तो हमारे साथ क्या-क्या होगा। उन्होंने यह भी कहा, "आदम के पुत्र से अल्लाह पांच चीजों के बारे में पूछेगा: उसने अपना जीवन कैसे जिया, और उसने अपनी युवावस्था का उपयोग कैसे किया, किस माध्यम से उसने अपनी संपत्ति अर्जित की, उसने अपना धन कैसे खर्च किया, और उसने अपने ज्ञान के साथ क्या किया।”[3]
हमें आभारी होना चाहिए कि उस महान दिन के आने से पहले हम खुद को पर्याप्त रूप से तैयार करने में सक्षम हैं, क्योंकि हम यह भी जानते हैं कि हमसे किस प्रकार के प्रश्न पूछे जाएंगे और किस प्रकार के व्यवहार के बारे में हमसे पूछताछ की जाएगी। अच्छा आस्तिक इस कठिन घटना के लिए तैयारी करता है, ताकि वह उन लोगों में से न हो जिनके शरीर के अंग उनके खिलाफ गवाही दें।
"जिस दिन साक्ष्य (गवाही) देंगी उनकी जीभें, उनके हाथ और उनके पैर, उनके कर्मों की।” (क़ुरआन 24:24)
“और वे कहेंगे अपनी खालों सेः क्यों साक्ष्य दिया तुमने हमारे विरुध्द? वे उत्तर देंगी कि हमें बोलने की शक्ति प्रदान की है उसने, जिसने प्रत्येक वस्तु को बोलने की शक्ति दी है..."(क़ुरआन 41: 21)
सिरात को पार करना
सवाल-जवाब और हिसाब-किताब के बाद सभी लोग सिरात के ऊपर से गुजरेंगे। यह एक पुल है जो तलवार से तेज और बालों से पतला है।[4] कोई प्राकृतिक प्रकाश नहीं होगा लेकिन प्रत्येक व्यक्ति अपने स्वयं के प्रकाश द्वारा निर्देशित होगा। व्यक्ति की धर्मपरायणता और अच्छाई पर निर्भर चमक के अनुसार उसका प्रकाश चमकेगा।
कुछ लोग पलक झपकते ही उसे पार कर लेंगे; कुछ, बिजली की तरह; कुछ, गिरते सितारे की तरह; कुछ, दौड़ते हुए घोड़े की तरह। जिसके पास बहुत कम प्रकाश होगा वह रेंगता हुआ पार करेगा। उसके हाथ और पैर फिसलेंगे, लेकिन वह फिर से चढ़ जायेगा। अंत में, वह रेंगता हुआ उस पुल को पार करेगा।[5]
पुल में कांटा लगे होंगे जिनसे लोगों को खरोंचे लगेगी और वो नर्क में गिर जायेंगे। जो लोग सफलतापूर्वक पुल पार कर लेंगे वे स्वर्ग में प्रवेश करेंगे। लोगों का न्याय होने और पुल को पार करने के बाद, न्याय का दिन समाप्त होगा। विश्वासियों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अल्लाह ने हमें स्वर्ग का रास्ता बताया है, उसने हमें नुकसान दिखाया है। न्याय का दिन एक आस्तिक के लिए एक आसान परीक्षा बन सकता है यदि वे क़ुरआन में दिए गए मार्गदर्शन और पैगंबर मुहम्मद की प्रामाणिक सुन्नत का पालन करते हैं।
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