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न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)

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विवरण: दो पाठों में से पहला जो 'मध्यस्थता' की इस्लामी अवधारणा पर चर्चा करता है।

द्वारा Imam Mufti (© 2015 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 22 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,325 (दैनिक औसत: 3)


उद्देश्य

·मध्यस्थता का अर्थ समझना।

·न्याय के दिन की मध्यस्थता के प्रकारों को समझना।

·चार प्रकार की मध्यस्थता को समझना, जो सिर्फ पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) के लिए विशिष्ट होगी और पैगंबर मुहम्मद और अन्य को दी जाने वाली तीन प्रकार की मध्यस्थता को समझना।

अरबी शब्द

·शरिया - इस्लामी कानून।

·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।

·उम्मत - मुस्लिम समुदाय चाहे वो किसी भी रंग, जाति, भाषा या राष्ट्रीयता का हो।

·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।

·हज - मक्का की तीर्थयात्रा जहां तीर्थयात्री कुछ अनुष्ठानों का पालन करते है। हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है, जिसे हर वयस्क मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार अवश्य करना चाहिए यदि वे इसे वहन कर सकते हैं और शारीरिक रूप से सक्षम हैं।

अर्थ

Intercession_on_Judgment_Day_(part_1_of_2)._001.jpgसबसे सरल शब्दों में "मध्यस्थता" का अर्थ है किसी की ओर से मध्यस्थ के रूप में कार्य करना ताकि उन्हें कुछ लाभ मिल सके या उनसे नुकसान को दूर किया जा सके।

पुनरुत्थान के दिन की मध्यस्थता दो प्रकार की होगी:

1.स्वीकृत मध्यस्थता: यह वो मध्यस्थता है जो शरिया के ग्रंथों में सिद्ध है। अधिक विवरण नीचे दिया जाएगा।

2.अस्वीकृत मध्यस्थता: यह वह मध्यस्थता है जो क़ुरआन और सुन्नत के ग्रंथों के अनुसार अमान्य और अप्रभावी होगी, इसे भाग 2 में समझाया जाएगा।

परलोक मे होने वाली स्वीकृत मध्यस्थता के दो प्रकार हैं:

ए. पैगंबर की विशेष मध्यस्थता

पहला प्रकार एक विशेष मध्यस्थता है जो केवल पैगंबर मुहम्मद को दी जाएगी और किसी अन्य को नही दी जाएगी। यह विभिन्न प्रकार का है:

1.सबसे बड़ी मध्यस्थता जिसे मकाम-महमूद या 'प्रशंसा और महिमा का स्थान' भी कहा जाता है। पैगंबर से पहले और बाद की पीढि़यां उनसे मध्यस्थता करने के लिए कहेंगी ताकि वह उन्हें न्याय के दिन की भयावहता से मुक्ति मिल सके। यह 'प्रशंसा और महिमा का स्थान' जिसका वादा अल्लाह ने पैगंबर से क़ुरआन मे किया है:

“तथा आप रात के कुछ समय जागिए (ऐ मुहम्मद), फिर “तह़जुद” पढ़िये। ये आपके लिए अधिक (नफ़्ल) है। संभव है आपका पालनहार आपको “मक़ामे मह़मूद” प्रदान कर दे।” (क़ुरआन 17:79)

पैगंबर मुहम्मद सभी मानवजाति की मध्यस्थता करेंगे ताकि हिसाब-किताब शुरू हो सके। एक कथन में यह कहा गया है कि मानवजाति व्यथित और चिंतित होगी और एक ऐसे बिंदु पर पहुंच जाएगी जहां वे अब लंबे इंतजार को सहन नहीं कर पाएंगे और कहेंगे, "कौन हमारे लिए हमारे ईश्वर के साथ मध्यस्थता करेगा ताकि वह अपने दासों के बीच न्याय कर सके?" इसलिए लोग पैगंबरो के पास आएंगे और सभी पैगंबर कहेंगे, "मैं इस पद के लिए उपयुक्त नहीं हूं," और फिर वे हमारे पैगंबर के पास जायेंगे और पैगंबर कहेंगे, "मैं इसे करने में सक्षम हूं।" तो वह उनके लिये मध्यस्थता करेंगे ताकि न्याय किया जा सके।

यह मध्यस्थता विशेष रूप से पैगंबर मुहम्मद के लिए है।

ऐसे कई अन्य वर्णन हैं जो इस मध्यस्थता के बारे में बताते हैं: "लोग पुनरुत्थान के दिन घुटनों के बल गिरेंगे, और हर एक जाति अपने पैगंबर के पास जाएगी और कहेगी 'ऐ पैगंबर मध्यस्थता करो!' जब तक पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) को मध्यस्थता प्रदान नहीं की जाती। उस दिन अल्लाह उन्हें प्रशंसा और महिमा के स्थान पर फिर से जीवित कर देगा।”[1]

2.पैगंबर मुहम्मद मध्यस्थता करेंगे कि विश्वासियों को स्वर्ग में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए।

अल्लाह के दूत ने कहा: "मैं पुनरुत्थान के दिन स्वर्ग के द्वार पर आऊंगा और इसे खोलने के लिए कहूंगा। द्वारपाल कहेगा, 'आप कौन हो?' मैं कहूंगा, 'मुहम्मद।' वह कहेगा, 'मुझे आज्ञा दी गई थी कि मैं इसे आपसे पहले किसी के लिए न खोलूं।’”[2]

मुस्लिम द्वारा सुनाये गए एक अन्य वर्णन के अनुसार, "मै स्वर्ग के संबंध में मध्यस्थता करने वाला पहला व्यक्ति होऊंगा।”

3.अपने चाचा अबू तालिब के लिए पैगंबर मुहम्मद की मध्यस्थता, ताकि उनके लिए आग की पीड़ा कम हो जाए। यह केवल पैगंबर और उनके चाचा अबू तालिब के मामले में लागू होता है।

एक बार अल्लाह के दूत की उपस्थिति में अबू तालिब का उल्लेख किया गया था। पैगंबर ने कहा, "शायद मेरी सिफ़ारिश से उसे न्याय के दिन फ़ायदा होगा, और उसे कम आग वाले हिस्से में रखा जाएगा जो उसके टखनों तक होगी और उसके दिमाग को उबाल देगी।”[3]

4.मध्यस्थता कि उनकी उम्मत के कुछ लोग बिना हिसाब के स्वर्ग में प्रवेश करेंगे।

इस तरह की मध्यस्थता का उल्लेख कुछ विद्वानों ने किया था, जिन्होंने सबूत के तौर पर लंबी हदीस का हवाला दिया था जिसमें कहा गया है:

"तब यह कहा जाएगा, 'ऐ मुहम्मद, सिर उठाओ; मांगो, तुम्हें दिया जाएगा; मध्यस्थता करो, तुम्हारी मध्यस्थता स्वीकार की जाएगी।' इसलिए मै सिर उठाकर कहूंगा, ऐ ईश्वर, मेरी उम्मत; ऐ ईश्वर, मेरी उम्मत; ऐ ईश्वर, मेरी उम्मत। यह कहा जाएगा, 'अपनी उम्मत में से उन लोगों को स्वर्ग के दाहिने द्वार से प्रवेश कराओ जिनसे हिसाब नहीं लिया जायेगा। वे दूसरे द्वारों को अन्य राष्ट्रों के लोगों के साथ साझा करेंगे।’”[4]

बी. सामान्य मध्यस्थता

पाप करने वालों के लिए एक अन्य प्रकार की मध्यस्थता पैगंबर मुहम्मद और अन्य पैगंबरो के साथ-साथ स्वर्गदूतों, शहीदों, विद्वानों और धर्मी लोगों को दी जाएगी। मनुष्य के अच्छे कर्म भी उसके लिए मध्यस्थता कर सकते हैं। लेकिन पैगंबर मुहम्मद के पास मध्यस्थता का सबसे बड़ा हिस्सा होगा।

यह विभिन्न प्रकार का होगा:

1.विश्वासियों के लिए मध्यस्थता, जिन्होंने बड़े पाप किए थे, उन्हें नरक से बाहर निकाला जाएगा।

अल्लाह के दूत ने कहा: "मेरी सिफ़ारिश मेरे उम्मत में से उन लोगों के लिए होगी जिन्होंने बड़े पाप किए हैं।[5]

“जिसके हांथो में मेरी जान है उसकी कसम, आप में से कोई भी अल्लाह से अपने विरोधियों के खिलाफ अपने अधिकारों को बहाल करने के लिए कहने में विश्वासियों की तुलना में अधिक आग्रहपूर्ण नहीं हो सकता है जो पुनरुत्थान के दिन अल्लाह से अपने उन भाइयों के बारे मे पूछेंगे (उन्हें मध्यस्थता की शक्ति प्रदान करने के लिए) जो आग मे होंगे। वे कहेंगे, 'ऐ हमारे रब, वे हमारे साथ रोज़ा रखते थे और नमाज़ पढ़ते थे और हज करते थे।' उनसे कहा जाएगा, 'जिन्हें तुम पहचानते हो, उन्हें बाहर ले आओ, तो उन्हें आग में जलाने से मना किया जाएगा।' तो वे बहुत से लोगों को बाहर निकालेंगे... और अल्लाह कहेगा: 'स्वर्गदूतों ने मध्यस्थता की, पैगंबरो ने मध्यस्थता की, और विश्वासिओं ने मध्यस्थता की। जो परम दयावान (अल्लाह) है उसके सिवा किसी और की मध्यस्थता बाकी नही है।' तब अल्लाह नरक मे से मुट्ठी भर निवासियों को निकालेगा, जिन्होंने कभी कुछ अच्छा नहीं किया होगा।”[6]

2.उन लोगों के लिए मध्यस्थता जो नर्क के पात्र हैं, ताकि वे उसमें प्रवेश न करें।

पैगंबर ने कहा: "जब किसी मुसलमान की मृत्यु होती है और चालीस आदमी जो अल्लाह के साथ किसी को साझी नही बनाते हैं उसके लिए अंतिम संस्कार की प्रार्थना करते हैं, तो अल्लाह उसके लिए उनकी मध्यस्थता को स्वीकार करेगा।”[7]

यह मध्यस्थता मृतक के नर्क में प्रवेश करने से पहले होगी क्योंकि अल्लाह उनकी मध्यस्थता को स्वीकार करेगा।

3.कुछ स्वर्ग के पात्र विश्वासियों के लिए मध्यस्थता ताकि स्वर्ग मे उनके पद को बढ़ाया जाए। उदाहरण के लिए, पैगंबर ने अबू सलामाह के लिए प्रार्थना की: "ऐ अल्लाह, अबू सलामाह को माफ कर दे और मार्गदर्शन प्राप्त करने वालों के बीच उसके पद को बढ़ा दे, और उसके परिवार की अच्छी देखभाल कर जिसे वह अपने पीछे छोड़ गया है। ऐ जगतों के ईश्वर, हमें और उसे क्षमा कर, उसकी कब्र को उसके लिये चौड़ा कर और उसके लिये उसे प्रकाशित कर दे।”[8]



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[2] सहीह मुस्लिम

[3] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[4] सहीह अल-बुखारी, सहीह मुस्लिम

[5] तिर्मिज़ी

[6] सहीह मुस्लिम

[7] सहीह मुस्लिम

[8] सहीह मुस्लिम

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