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सपने की व्याख्या

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विवरण: सपनों का एक संक्षिप्त विवरण; इस्लाम में इसका महत्व और सपनो के तीन विभिन्न प्रकार। इसके साथ ही सपनो की व्याख्या और पैगंबरो के सपनों के बारे में कुछ विवरण।

द्वारा Aisha Stacey (© 2016 NewMuslims.com)

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 22 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 6,708 (दैनिक औसत: 9)


उद्देश्य

·यह समझना कि इस्लाम सपनों और सपनों की व्याख्या को कैसे देखता है।

अरबी शब्द

·इस्तिखारा - मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना।

·शैतान - यह इस्लाम और अरबी भाषा में इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है जो शैतान, यानि बुराई की पहचान को दर्शाता है।

·सुन्नत - अध्ययन के क्षेत्र के आधार पर सुन्नत शब्द के कई अर्थ हैं, हालांकि आम तौर पर इसका अर्थ है जो कुछ भी पैगंबर ने कहा, किया या करने को कहा।

सपनों का महत्व

Dream_Interpretation._001.jpgसपना विचारों, छवियों और संवेदनाओं की एक श्रृंखला है जो एक व्यक्ति के सोते समय मन में होती है। सपने एक सार्वभौमिक मानवीय अनुभव हैं और सपने देखने वाले का इसकी सामग्री पर बहुत कम नियंत्रण होता है। सपनों मे हमारे अनुभवों में बहुत ही सजीव गुण होते हैं और ये बेहद ज्वलंत और अक्सर विचित्र हो सकते हैं। कुछ लोग सपनों के दौरान बहुत भावनात्मक अनुभवों का वर्णन करते हैं और भयावह या परेशान करने वाले सपनों को अक्सर बुरे सपने के रूप में जाना जाता है। मानवजाति के पूरे इतिहास में लोगों ने अपने सपनों की व्याख्या करने की कोशिश की है और बहुत से लोग मानते हैं कि उनमें महत्वपूर्ण संदेश या प्रतीक होते हैं। सपनों से जुड़े कई अंधविश्वास और मान्यताएं हैं और इस्लाम ने सपनों और उनकी व्याख्या से जुड़ी कई गलतफहमियों को दूर किया है।

इस्लाम के विद्वानों का कहना है कि जहां सपने सार्थक हो सकते हैं, वहीं सभी सपनों को महत्वपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए। इब्न सिरिन को सपनों की व्याख्या पर इस्लामी दुनिया का सबसे प्रमुख विशेषज्ञ माना जाता है और वे इसे एक कठिन विज्ञान कहते हैं, जिसे अत्यंत सावधानी के साथ करना चाहिए। एक सपने का महत्व आमतौर पर सपने देखने वाले पर पड़ने वाले प्रभाव से निर्धारित होता है, हालांकि अधिकांश सपनों का कोई वास्तविक मूल्य नहीं होता है और इस प्रकार व्याख्या की कोई आवश्यकता नहीं होती है।

तीन प्रकार के सपने

पैगंबर मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने हमें बताया कि सपने तीन प्रकार के होते हैं[1] । एक सच्चा सपना (जिसे कभी-कभी एक अच्छा सपना कहा जाता है) जो अल्लाह की ओर से हमारे लिए आता है, एक बुरा या भयावह सपना जो शैतान की ओर से आता है और तीसरा वह सपना जो किसी व्यक्ति के अनुभवों और विचारों से आता है। प्रत्येक को अलग तरह से प्रबंधित किया जाना चाहिए।

पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि अगर किसी को कोई सपना आता है और वह उसे पसंद है तो वह अल्लाह की ओर से है। इसलिए उसे इसके लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करना चाहिए और दूसरों को बताना चाहिए[2]। पैगंबर ने आगे बताया कि यदि किसी व्यक्ति का सपना अच्छा है तो उसे अच्छी चीजों के होने की उम्मीद करनी चाहिए और केवल उन लोगों को सपना सुनाना चाहिए जिन्हे वो पसंद करता है[3]। क़ुरआन मे इसका एक उदाहरण है, जब पैगंबर यूसुफ ने अपने सपने के बारे मे अपने पिता को बताया और कहा की उन्होंने सपने मे सूर्य, चंद्रमा और सितारों को उनका सजदा करते देखा है, तो उनके पिता पैगंबर याकूब ने यूसुफ से कहा कि वह अपने भाइयों से इस सपने के बारे मे न बताये।

“जब यूसुफ़ ने अपने पिता से कहाः ऐ मेरे पिता! मैंने स्वप्न देखा है कि ग्यारह सितारे, सूर्य तथा चांद मुझे सज्दा कर रहे हैं। उसने कहाः ऐ मेरे पुत्र! अपना स्वप्न अपने भाईयों को न बताना, अन्यथा वे तेरे विरुध्द षड्यंत्र रचेंगे।’…” (क़ुरआन 12: 4-5)

भयावह या परेशान करने वाले सपने शैतान की ओर से होते हैं और हमें डराने और भयभीत करने के उसके प्रयासों के अलावा और कुछ नहीं हैं। पैगंबर मुहम्मद हमें बताते हैं कि ये सपने किसी व्यक्ति को किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। इस प्रकार यदि किसी व्यक्ति को कोई बुरा सपना या दुःस्वप्न है तो उसे अपनी बाईं ओर तीन बार सूखा थूकना चाहिए (कोई लार नहीं निकालनी चाहिए) और शैतान से बचने के लिए अल्लाह की शरण लेनी चाहिए[4]। उन्होंने करवट बदलने की सलाह भी दी[5]

तीसरे प्रकार का सपना वह है जो अच्छी या बुरी श्रेणी में नहीं आता है। ये सपने उस बात से आते हैं जो कोई व्यक्ति सोच रहा होता है या चिंता कर रहा होता है या स्मृति और अवचेतन में संग्रहीत अनुभवों, घटनाओं और भय से आता है। इन सपनों का कोई परिणाम नहीं होता और इनकी कोई व्याख्या नहीं होती।

सपनो की व्याख्या के नियम

अधिकांश इस्लामी विद्वानों का मत है कि सपनों की व्याख्या केवल उसी व्यक्ति से करवानी चाहिए जो ऐसा करने के योग्य हो। इसका कारण यह है कि सपनों की व्याख्या समस्याग्रस्त हो सकती है। उदाहरण के लिए एक साधारण सी बात को लें जैसे कि यह जानना कि क्या आपने जो सपना देखा था वह आपके बारे में था या किसी और के बारे में या यहां तक ​​कि किसी और से जुड़े किसी व्यक्ति के बारे में। पैगंबर मुहम्मद के एक साथी ने सपने में देखा कि इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन अबू जहल मुस्लिम बन रहा है और पैगंबर के प्रति निष्ठा का वचन दे रहा है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ; यह अबू जहल का बेटा था जो कुछ समय बाद इस्लाम में परिवर्तित हो गया और निष्ठा की कसम खाई। सपनों में प्रतीक भी समस्याग्रस्त होते हैं क्योंकि उनका अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग मतलब होता है।

हमें सावधान रहना चाहिए कि हम सपनों पर बहुत अधिक भरोसा न करें या यह विश्वास न करें कि इसमे छिपे हुए अर्थ और प्रतीक हैं। हालांकि कुछ सपने ऐसे भी होते हैं जिनकी व्याख्या करना आसान होता है। यदि सपने मे पैगंबर मुहम्मद दिखाई देते हैं और ऐसे दिखते हैं जैसा कि सुन्नत में वर्णन है, तो हम सुनिश्चित हो सकते हैं कि यह एक सच्चा सपना है, अल्लाह की ओर से है और अच्छी ख़बरों से भरा हुआ है। पैगंबर ने कहा कि जिस किसी ने उन्हें सपने में देखा उसने वास्तव में सच्चाई देखी[6]

इस्तिखारा प्रार्थना[7] के उत्तर के रूप में सपनों की व्याख्या करना एक गलत प्रथा है। अल्लाह इस प्रार्थना का जवाब सपनों के जरिए नहीं देता। जिन सपनों की व्याख्या की जाती है उन्हें क़ुरआन और सुन्नत के अनुसार किया जाना चाहिए । इसका एक उदाहरण होगा यदि कोई व्यक्ति रस्सी को कसकर पकड़ने का सपना देखता है, तो हम समझ सकते हैं कि इसका मतलब है अल्लाह के साथ अनुबंध क्योंकि क़ुरआन मे निम्नलिखित छंद है।

“तथा अल्लाह की रस्सी को सब मिलकर दृढ़ता से पकड़ लो…” (क़ुरआन 3:103)

पैगंबरो के सपने

सच्चे या अच्छे सपने पैगंबरी का एक हिस्सा है; पैगंबर मुहम्मद ने हमें बताया कि सच्चे सपने पैगंबरी के 46 भागों में से एक है[8]। उनकी प्यारी पत्नी आयशा हमें बताती हैं कि पैगंबर को दिया गया पहला रहस्योद्घाटन गहरी नींद की स्थिति में एक सच्चा सपना था और उन्होंने इसके बाद कभी ऐसा सपना नहीं देखा जो पैगंबरी न हो[9]। इस्लाम के विद्वान इस बात से सहमत हैं कि पैगंबरो के सपने रहस्योद्घाटन का एक रूप हैं। इसका एक उदाहरण है जब पैगंबर इब्राहिम ने अपने बेटे की क़ुर्बानी करने का इरादा किया था क्योंकि उसने इसे सपने में देखा था।

सपने की सच्चाई सपने देखने वाले की सच्चाई और ईमानदारी से जुड़ी होती है। पैगंबर मुहम्मद ने कहा कि जिनके सपने सबसे सच्चे होते हैं, वे भाषा मे सबसे सच्चे होते हैं[10]। उन्होंने हमें यह भी बताया कि दुनिया के आखिरी दिनों मे बहुत कम झूठे सपने होंगे। उन्होंने समझाया कि चूंकि उस समय पैगंबर और उनके प्रभाव समय के हिसाब से बहुत दूर होंगे, इसकी भरपाई के लिए विश्वासियों को सच्चे सपने आएंगे[11]



फुटनोट:

[1] सहीह अल-बुखारी

[2] सहीह अल-बुखारी

[3] सहीह मुस्लिम

[4] सहीह अल-बुखारीऔर सहीह मुस्लिम

[5] सहीह मुस्लिम

[6] सहीह अल-बुखारी

[7] यहां समझाया गया है: http://www.newmuslims.com/lessons/163/

[8] सहीह अल-बुखारी

[9] सहीह अल-बुखारी

[10] सहीह मुस्लिम

[11] सहीह अल-बुखारीऔर सहीह मुस्लिम

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