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स्तर
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स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
-
स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
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स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
विवरण: आदम की रचना और उसके बाद की घटनाओं पर दो भागो का पाठ। भाग 1 चर्चा करता है कि कैसे आदम को बनाया गया और सम्मानित किया गया।
द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य
·आदम की विशिष्टता और सम्मान के बारे में जानना।
·यह समझना कि सभी पैगंबर एक ही सार्वभौमिक संदेश के साथ आए थे और आपस मे भाई हैं।
·आदम और हव्वा की रचना की कहानी और इससे संबंधित घटनाओं के बारे में जानना।
·छींकने और सलाम करने के शिष्टाचार के बारे मे जानना।
अरबी शब्द
·खलीफा (बहुवचन: खुलाफ़ा) - वह प्रमुख मुस्लिम धार्मिक और नागरिक शासक है, जिन्हें पैगंबर मुहम्मद का उत्तराधिकारी माना जाता है। खलीफा का मतलब सम्राट नही है।
·सलाम - इस्लामी अभिवादन जैसे 'अस-सलामु अलैकुम'।
आदम का सम्मान
अल्लाह ने आदम (क़ुरआन 3:33) को अन्य लोगों पर कुछ महान गुणों के साथ अनुग्रहित किया:
1.आदम सभी मनुष्यों के पिता हैं। अल्लाह ने उन्हें सभी मनुष्यों का पिता बनाने के लिए चुना, जैसा कि पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने कहा, "आप सभी आदम के बच्चे हैं और आदम को मिट्टी से बनाया गया था।”[1]
2.अल्लाह ने आदम को अपने हाथों से बनाया था। शैतान को संबोधित करते हुए, अल्लाह ने कहा, "किस चीज़ ने तुझे रोक दिया सज्दा करने से उसके लिए, जिसे मैंने पैदा किया अपने हाथ से?" (क़ुरआन 38:75)।
3.अल्लाह ने आत्मा बनाई और उसे आदम मे फूंक दिया। अल्लाह ने अपने स्वर्गदूत जिब्रील को उसमें प्राण फूंकने को कहा (क़ुरआन 15:29, 38:72)।
4.अल्लाह ने स्वर्गदूतों को आदम को सजदा करने को कहा (क़ुरआन 15:29, 38:72)।
5.अल्लाह ने आदम को स्वर्गदूतों से भी ज्यादा ज्ञान दिया (क़ुरआन 2:31)।
6.अल्लाह ने आदम और उनकी पत्नी हव्वा स्वर्ग में निवास दिया, और उन्हें वहां आनंद लेने की अनुमति दी (क़ुरआन 2:35)।
7.आदम इंसानों के लिए पहले पैगंबर थे। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "...आदम एक पैगंबर थे और उन्हें रहस्योद्घाटन मिला।”[2]
8.आदम और अन्य सभी पैगंबरो ने एक ही धर्म का पालन किया और उसी धर्म यानि इस्लाम की ओर लोगो को बुलाया। उन सभी ने अल्लाह पर विश्वास करने और सिर्फ अल्लाह की पूजा करने के लिए आमंत्रित किया (क़ुरआन 21:25, 16:36)।
आदम की रचना
अल्लाह ने स्वर्गदूतों से कहा कि वह धरती पर 'ख़लीफ़ा'[3] बनाने की योजना बना रहा है। 'खलीफा' वह व्यक्ति होता है जो दूसरों का उत्तराधिकारी होता है। स्वर्गदूत तुरंत समझ गए कि यह सिर्फ आदम नही होंगे जो पृथ्वी पर रहेंगे, बल्कि यह मनुष्यों की एक लंबी श्रृंखला होगी और उनमें से कई दुष्ट होंगे:
“और (ऐ मुहम्मद! याद करो) जब आपके पालनहार ने स्वर्गदूतों से कहा कि मैं धरती में एक ख़लीफ़ा बनाने जा रहा हूं। वे बोलेः क्या तू उसमें उसे बनायेग, जो उसमें उपद्रव करेगा तथा रक्त बहायेगा? जबकि हम तेरी प्रशंसा के साथ तेरे गुण और पवित्रता का गान करते हैं! (अल्लाह) ने कहाः जो मैं जानता हूं, वह तुम नहीं जानते।’” (क़ुरआन 2:31)
स्वर्गदूतों का सवाल अल्लाह की बुद्धि पर सवाल उठाने के लिए नहीं था या इंसानों के लिए ईर्ष्या या नफरत की भावना नही थी। वे केवल आदम की सृष्टि के उद्देश्य को समझना चाहते थे। अल्लाह की प्रतिक्रिया हमें बताती है कि अपने पूर्ण ज्ञान में, वह आदम के बारे में ऐसी बातें जानता था जिसकी स्वर्गदूत कल्पना भी नहीं कर सकते थे।
स्वर्गदूतों को डर था कि आदम धरती पर खलीफा बनने के लायक नहीं है, अल्लाह ने उन्हें साबित कर दिया कि यह गलत है और ज्ञान मे नई सृष्टि उनसे आगे निकल सकती है। क़ुरआन 2:31-33 बताता है कि अल्लाह ने आदम को उन सभी चीजों के नाम सिखाए जिन्हें स्वर्गदूत नहीं जानते थे। अल्लाह ने स्वर्गदूतों को बताया कि तुम्हारा ज्ञान सीमित है और तुम केवल वही जान सकते हो जो अल्लाह ने तुम्हे सिखाया है। जब आदम ने 'ज्ञान की प्रतियोगिता' में स्वर्गदूतों को हराया, तो उसने उनका सम्मान अर्जित किया। इस प्रकार, वे अल्लाह के आदेश पर आदम को सजदा करने के लिए दौड़ पड़े।
आदम की रचना पर और अधिक
अल्लाह हमें क़ुरआन 20:55 और 30:20 में बताता है कि उसने हमें मिट्टी से बनाया है। अल्लाह ने आदम को पैदा करने के लिए मिट्टी के विभिन्न प्रकार और रंगों को इकट्ठा किया। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, 'वास्तव मे, आदम को तीन प्रकार के ठोस पदार्थों से बनाया गया था: काला, सफेद और लाल।’[4]
आदम की रचना के लिए इकट्ठी की गई मिट्टी को क़ुरआन 6:2 के अनुसार मिट्टी के गारे में बदल दिया गया। मिटटी चिपचिपी थी (क़ुरआन 37:11)। आदम की गारे की मिट्टी सूख जाने के बाद, यह मिट्टी के बर्तन की तरह हो गई थी, ठोकने पर एक आवाज निकलती थी (क़ुरआन 15:26)।
आदम की मिट्टी बनाने के बाद, अल्लाह ने उसे गढ़ा और उसे जीवन देने से पहले एक निश्चित अवधि के लिए स्वर्ग मे स्थापित किया। “शैतान ने मिट्टी के चारों ओर चक्कर लगाना शुरू किया, उसकी प्रकृति की जांच की। जब उसने महसूस किया कि यह खोखला है, तो उसने सोचा, 'मैं इससे जीत जाऊंगा, क्योंकि यह एक ऐसी रचना है इकट्ठी नहीं रह सकती।' 'इकट्ठी नहीं रह सकती' का अर्थ है कि वह अपनी इच्छाओं के आगे झुक जाएगी।
आदम आज के इंसानों की तुलना में आकार में बहुत बड़े थे। पैगंबर ने कहा, 'अल्लाह ने आदम को साठ हाथ लंबा बनाया, फिर मानवजाति तब तक छोटी होती गई जब तक वह स्थिर ऊंचाई तक नहीं पहुंच गई' (बुखारी, मुस्लिम)। इस प्रकार, मनुष्य विकास के चरणों से नहीं गुजरा।
क़ुरआन के कई छंदों (2:117, 3:47, 6:73, 16:40, 19:35, 36:82, 40:68) मे अल्लाह बताता है कि वह सिर्फ एक शब्द या आदेश से किसी भी चीज़ को अस्तित्व में ला सकता है। कभी-कभी अल्लाह सीधे आदेश देने के बजाय, कार्य को पूरा करने के लिए साधन बनाता है। मनुष्यों मे प्राण फूंकने के लिए अल्लाह स्वर्गदूतो को भेजता है। आदम और यीशु के मामले मे, अल्लाह ने जिब्रील को उनमें प्राण फूंकने के लिए भेजा (क़ुरआन 15:29, 38:72)।
आदम मे शुक्रवार को जान फूंकी गई। पैगंबर ने कहा, 'वास्तव मे, आपके सबसे अच्छे दिनों में शुक्रवार है। इसी दिन आदम को बनाया गया और इसी दिन उनकी मृत्यु हुई। इसके अलावा, इसी दिन तुरही फूंकी जाएगी और सभी लोग मर जाएंगे।’[5]
आदम को शुक्रवार के दिन स्वर्ग से निकाला गया और पृथ्वी पर भेजा गया। इसने मानव के प्रति जवाबदेही की शुरुआत को चिह्नित किया। शुक्रवार को आदम का पाप क्षमा कर दिया गया। उस समय से, वह और उसके वंशज अपने जीवन को खाली पन्ने के साथ जीना शुरू करेंगे और उसे अपने अच्छे या बुरे कर्मो से भरेंगे।
छींकने और सलाम करने का शिष्टाचार
जैसे ही अल्लाह ने आदम में प्राण फूंक दिए, उसने आदम को छींकने और अभिवादन करने का तरीका सिखाया। उनके शरीर में आत्मा के प्रवेश करने के तुरंत बाद, आदम ने छींका और कहा, अल्हम्दुलिल्लाह रब्बिल-'आलमीन (सृष्टि के ईश्वर की प्रशंसा हो)। अल्लाह ने जवाब दिया, यारहमु-कल्लाह (अल्लाह आप पर दया करे)[6]।
अल्लाह ने आदम से कहा कि वह दूर बैठे स्वर्गदूतो के एक समूह के पास जाए और उनका अभिवादन 'अस-सलामु अलैकुम' (आप पर शांति हो) कहकर करे। उन्होंने जवाब दिया, 'अलयकस-सलाम व-रहमतुल्लाह' (और आप पर शांति और अल्लाह की दया हो)[7]।
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