लोड हो रहा है...
फ़ॉन्ट का आकारv: इस लेख के फ़ॉन्ट का आकार बढ़ाएं फ़ॉन्ट का डिफ़ॉल्ट आकार इस लेख के फॉन्ट का साइज घटाएं
लेख टूल पर जाएं

आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)

रेटिंग:

विवरण: शहादा में वर्णित मुहम्मद (उन पर शांति हो) के बारे मे बताने वाले दो-भाग के पाठ का भाग 1।

द्वारा Imam Mufti

प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022

प्रिंट किया गया: 23 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 2,630 (दैनिक औसत: 4)


आवश्यक शर्तें

·आस्था की गवाही

उद्देश्य

·आस्था की गवाही के महत्व को जानना

·आस्था की गवाही के दूसरे भाग का अर्थ जानना।

अरबी शब्द

·शहादा - आस्था की गवाही।

परिचय

पहले हमने शहादा के पहले भाग, "ला इलाहा इल्ल-अल्लाह" के अर्थ पर चर्चा की है। पाठों की इस श्रृंखला में हम दूसरे भाग, "मुहम्मदुन रसूल-अल्लाह" पर चर्चा करेंगे। हम मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) नाम के व्यक्ति को जानेंगे, और हम सीखेंगे कि उनकी पैगंबरी की गवाही में क्या शामिल है।

मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) कौन थे?

मुहम्मद का जन्म अरब में मक्का की एक कुलीन जनजाति में वर्ष 570 सीई में हुआ था। उनका वंश पैगंबर इब्राहीम के दो बच्चों में से एक, पैगंबर इस्माईल से है। उनके जन्म से पहले उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और जब वह छह साल के थे तब उनकी मां की मृत्यु हो गई थी। पहले उनका पालन-पोषण उन दिनों की प्रथा के अनुसार रेगिस्तान में एक दाई ने किया था, फिर उनके दादा और फिर उनके चाचा ने। एक युवा व्यक्ति के रूप में, वह एक अच्छे व्यक्ति माने जाते थे जो अपने वचन के प्रति सच्चे थे और अपने वचन से कभी पीछे नहीं हटते थे। 40 वर्ष की आयु में ईश्वर ने उन्हें पैगंबरी दी, जैसा कि मूसा और यीशु जैसे पिछले पैगंबरो ने भविष्यवाणी की थी, और जब वह मक्का में हीरा की गुफा में ध्यान में थे तब जिब्रील ईश्वर का पहला रहस्योद्घाटन ले कर आये। इसके बाद ईश्वर ने 23 साल की अवधि तक पैगंबर मुहम्मद को रहस्योद्घाटन भेजा।

अपने से पहले के सभी पैगंबरों की तरह, वह एक ऐसे इंसान थे जिसे ईश्वर ने सृष्टि को अपना संदेश देने के लिए चुना था। वह अन्य मनुष्यों की तरह खाते-पीते, सोते और रहते थे। भविष्य के बारे में उनका ज्ञान उतना ही सीमित था जितना ईश्वर ने उन्हें प्रकट किया था। संक्षेप में, ब्रह्मांड के संचालन के मामलों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। वह दैवीय नहीं थे, वह ईश्वर नहीं है, और मुसलमान उनकी पूजा नहीं करते हैं। वह एक पैरगंबर और दूत थे, जो इब्राहिम, मूसा, हिब्रू के पैगंबरों और यीशु सहित सभी पैगंबरो की लंबी कतार में से एक थे। उन्होंने सभी पैगंबरों के भाईचारे की घोषणा की:

“सभी पैगंबर पैतृक भाई हैं। उनकी मां अलग हैं लेकिन उनका धर्म एक है।” (अल-बुखारी, मुस्लिम)

पैगंबर मुहम्मद, उनके जीवन, जीवनी, उनके शिष्टाचार और उनकी जीवन शैली को जानना महत्वपूर्ण है। ऐसा करने पर व्यक्ति को निम्नलिखित तरीकों से लाभ होगा:

(1) लोग उनसे प्यार करेंगे और उनका सम्मान करेंगे। पैगंबर से प्यार करना आस्था का एक अनिवार्य हिस्सा है, जैसा कि उन्होंने खुद बताया था:

“तुम में से किसी का विश्वास तब तक सच्चा नहीं होगा जब तक कि मैं तुम्हारे लिए तुम्हारे बच्चों, माता-पिता और अन्य सभी लोगों से अधिक प्रिय न हो जाऊं। (मुस्लिम)

किसी व्यक्ति को जाने बिना उस से प्यार करना असंभव है, और जब वह उन उत्कृष्ट गुणों को महसूस करता है जो उस व्यक्ति के पास हैं, तो उसका प्यार बढ़ जाता है।

(2) लोगो का विश्वास उनके दिए संदेश में बढ़ेगा। जब कोई उनके जीवन और उस समय की घटनाओं को जान लेता है, तो उन्हें कोई संदेह नहीं होगा कि वह जो धर्म लाये थे वह वास्तव में सत्य है, और वह वास्तव में अल्लाह से सहायता प्राप्त एक दूत थे।

हमारे प्यारे पैगंबर

“मैंने उनकी ओर देखा और फिर चांद को देखा, उन्होंने लाल रंग का नक़ाब पहन रखा था, और वह मुझे चांद से भी ज़्यादा ख़ूबसूरत लग रहे थे।” (अल-तिर्मिज़ी)

जाबिर इब्न समुरा ​​ने अंतिम पैगंबर, दूतों के ताज, धार्मिकों के प्रमुख, आस्तिकों के राजकुमार, सबसे दयालु ईश्वर के चुने हुए पैगंबर को इस तरह वर्णित किया।

गोल, सफ़ेद, और गोरे रंग का उनका चेहरा खुशनुमा था। उनके बाल उनके कानों तक थे। उनकी दाढ़ी मोटी और काली थी। जब वह प्रसन्न होते, तो उनका चेहरा खिल उठता। वह मुस्कान से ज्यादा नहीं हस्ते थे। उनकी आँखें काली थीं, और उसकी पलकें लंबी थीं।उनकी भौंहें लंबी और मुड़ी हुई थीं। जब उस समय के मदीना के सबसे बड़े यहूदी विद्वान अब्दुल्लाह इब्न सलाम की नज़र उनके चेहरे पर पड़ी, तो उन्होंने घोषणा की कि यह चेहरा झूठ का नहीं हो सकता!

वह मध्यम कद के थे, न लंबे और न ही छोटे। वह सामने की ओर झुक के चलते थे। वह टैन्ड लेदर के सैंडल पहनते थे। उनका निचला कपड़ा उनकी पिंडली के बीच तक या कभी-कभी उनके टखनों के ठीक ऊपर तक होता था।

उनके बाएं कंधे की ओर पीठ पर 'पैगंबरी की मुहर' थी। यह एक कबूतर के अंडे के आकार का था, जिस पर तिल जैसे धब्बे थे। उनकी हथेलियां रेशम से नर्म थीं।

दूर से आने पर उनकी खुशबू से उनकी पहचान हो जाती थी। उनके पसीने की बूंदों को मोती के समान बताया गया। उनके शिष्यों के बारे में कहा जाता है कि वे उनके पसीने को अपने इत्र के साथ मिलाने के लिए इकट्ठा करते थे जिससे इत्र और भी सुगंधित हो जाते थे!

इस्लामी सिद्धांत मानता है कि शैतान कभी भी उनका रूप धारण कर के किसी व्यक्ति के सपने में नहीं आ सकता है। यदि कोई उन्हें सपने में वैसा देखता है जैसे उनका वास्तविक रूप वर्णित है, तो हम मानते हैं कि उन्होंने महान पैगंबर को देखा है।

वह लंबे समय तक चुप रहते थे और चुप रहने पर सबसे अधिक गरिमापूर्ण लगते थे।

जब भी उन्होंने बोला, तो कानों को भाने वाले स्वर में सत्य के अलावा और कुछ नहीं कहा। वह तेजी से नहीं बोलते थे; बल्कि उनकी भाषा स्पष्ट और प्रत्येक शब्द अलग होते थे ताकि उनके साथ बैठने वाले इसे याद रख सकें। वास्तव में इसे ऐसा बताया गया है कि जो कोई भी उनके शब्दों को गिनना चाहता था वह आसानी से गिन सकता था। उसके साथियों ने उन्हें न तो अश्लील बताया है और न ही अभद्र। उन्होंने न तो लोगों को शाप दिया और न ही उन्हें गाली दी। उन्होंने केवल यह कहकर फटकार लगाई:

“इन लोगों को क्या दिक्कत है?” (सहीह अल बुखारी)

उनके लिए सबसे घृणित आचरण झूठ बोलना था। कभी-कभी वह अपने श्रोताओं को उसे अच्छी तरह समझने के लिए दो या तीन बार भी दोहराते थे। वह संक्षिप्त उपदेश देते थे। उपदेश देते समय उनकी आंखें लाल हो जाती थीं, उनकी आवाज ऊंची हो जाती थी, और उनकी भावनाएं इस हद तक स्पष्ट हो जाती थीं कि मानो वह दुश्मन की ओर से आसन्न हमले की चेतावनी दे रहे हो।

प्रश्नोत्तरी और त्वरित नेविगेशन
पाठ उपकरण
बेकार श्रेष्ठ
असफल! बाद में पुन: प्रयास। आपकी रेटिंग के लिए धन्यवाद।
हमें प्रतिक्रिया दे या कोई प्रश्न पूछें

इस पाठ पर टिप्पणी करें: आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)

तारांकित (*) फील्ड आवश्यक हैं।'

उपलब्ध लाइव चैट के माध्यम से भी पूछ सकते हैं। यहाँ.
अन्य पाठ स्तर 2