सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
विवरण: पहला पाठ इस्लामी ब्रह्मांड विज्ञान के दृष्टिकोण से सृष्टि की उत्पत्ति की व्याख्या करता है, यह मानते हुए कि अल्लाह ही हर चीज का एकमात्र निर्माता है। यह पाठ भव्य सिंहासन और पावदान के विवरण के बारे मे भी बताता है।
द्वारा Imam Mufti (© 2016 NewMuslims.com)
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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उद्देश्य
·यह समझना कि सब कुछ अल्लाह ने बनाया है।
·सिंहासन का विवरण जानना।
·पावदान का विवरण जानना।
अरबी शब्द
·अर्श - सिंहासन।
·कुर्सी - पावदान।
·अस-समा अद-दुनिया - पहला आसमान।
·फिरदौस - स्वर्ग का सबसे ऊंचा स्थान।
·सूरह - क़ुरआन का अध्याय।
सब कुछ अल्लाह ने बनाया है
तो यह सब कैसे शुरू हुआ? अल्लाह, और कुछ नहीं। इस्लाम के पैगंबर से पूछा गया, "ऐ अल्लाह के दूत, हमारे ईश्वर अपनी रचना बनाने से पहले कहां थे?" पैगंबर ने कहा: "अल्लाह के सिवा कुछ भी नहीं था, उनके नीचे भी कुछ नहीं था और उनके ऊपर भी कुछ नहीं था।”[1]
सोचो कि यह कितना अद्भुत है, मूल रूप से यह हमें बताता है कि अल्लाह के अलावा वास्तव मे कोई योग्य नही है; सृष्टि को अल्लाह की जरूरत है और किसी की नहीं क्योंकि शुरुआत में सिर्फ अल्लाह था और कुछ नही।
क़ुरआन मे अल्लाह कहता है:
“अल्लाह ही प्रत्येक वस्तु का पैदा करने वाला तथा वही प्रत्येक वस्तु का रक्षक है।” (क़ुरआन 39:62)
तो अल्लाह के सिवा सब कुछ अल्लाह ने ही रचा है और सब उसके प्रभुत्व और उसके अधिकार में है, और वह उसे अस्तित्व में लाया।
पैगंबर मुहम्मद के समकालीन जुबैर ने खुद का वर्णन करते हुए कहा, "मै पैगंबर के सबसे बड़े दुश्मनों मे से एक था," और उन्होंने कहा, "मै पैगंबर से इस धरती पर किसी भी अन्य इंसान से ज्यादा नफरत करता था," लेकिन फिर कुछ अजीब हुआ। "एक बार जब मैं मस्जिद में गया और मैंने पैगंबर को सूरह अत-तूर (क़ुरआन 52:35-36) के छंद पढ़ते हुए सुना, ' क्या वे पैदा हो गये हैं बिना किसी के पैदा किये अथवा वे स्वयं पैदा करने वाले हैं? या उन्होंने ही उत्पत्ति की है आकाशों तथा धरती की? वास्तव में, वे विश्वास ही नहीं रखते।’”
जुबैर कहते हैं कि उस समय जब पैगंबर ये पढ़ रहे थे, भले ही उन्होंने आधिकारिक तौर पर इस्लाम स्वीकार नहीं किया था, "विश्वास मेरे दिल में प्रवेश कर गया था। मै उस समय समझ गया था कि ऐसा हो ही नही सकता कि कोई ईश्वर नही है!"
यदि आप अकेले बैठो और अपने आस-पास की हर चीज की संभावनाओं को खत्म करने की प्रक्रिया से गुजरो, तो आप पाएंगे कि अल्लाह के अलावा सृष्टि की रचना करने वाला कोई और नहीं है।
जल और सिंहासन का निर्माण (अर्श)
पैगंबर मुहम्मद ने कहा: "अल्लाह के सिवा कुछ भी नहीं था, उनके नीचे भी कुछ नहीं था और उनके ऊपर भी कुछ नहीं था। फिर अल्लाह ने जल के ऊपर अपना सिंहासन बनाया।”[2]
पैगंबर हमें बताते हैं कि सबसे पहले अल्लाह था और कुछ नहीं। फिर, उन्होंने जल और सिंहासन (अर्श) बनाया। वे किसी भी स्वर्गदूत से पहले और आकाश और पृथ्वी के निर्माण से पहले बनाए गए थे। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "अल्लाह था, और उसके अलावा और कुछ नहीं था, और उसका सिंहासन पानी के ऊपर था। अल्लाह ने (आसमान मे) सब कुछ एक किताब मे लिखा और उसने आकाशों और पृथ्वी को बनाया।”[3] सभी तारे, ग्रह, आकाशगंगायें "पहले आसमान" (अस-समा अद-दुनिया) के अंतर्गत आती हैं।
ईश्वर ने क़ुरआन में कई बार उल्लेख किया है कि वह गौरवशाली सिंहासन का स्वामी है, क्योंकि यह उनकी रचनाओं में सबसे प्रमुख और सबसे शानदार है।
सिंहासन का विवरण
1. अल्लाह ने अपना सिंहासन पानी के ऊपर बनाया
अल्लाह ने कहा, "और वही है, जिसने आकाशों तथा धरती की उत्पत्ति छः दिनों में की। उस समय उसका सिंहासन जल पर था” (क़ुरआन 11:7)
2. सिंहासन स्वर्ग की छत है
पैगंबर ने कहा: "यदि आप अल्लाह से मांगे, तो फिरदौस (का स्वर्ग) मांगे, क्योंकि यह स्वर्ग के उच्चतम स्थान पर है, और इसके ऊपर सबसे दयालु का सिंहासन है, और इससे स्वर्ग की नदियां निकलती है।”[4]
3. सिंहासन आकाश के ऊपर और सारी सृष्टि से ऊपर है
पैगंबर के एक साथी अब्दुल्ला इब्न मसूद ने कहा, "सबसे निचले आसमान और उसके बाद के आसमान के बीच में पांच सौ साल की दूरी है, और हर दो आसमानो के बीच पांच सौ साल की दूरी है, और सातवें आसमान और पावदान के बीच की दुरी पांच सौ साल है, और पावदान और पानी के बीच पांच सौ साल की दूरी है, और सिंहासन (अर्श) पानी के ऊपर है। सर्वशक्तिमान अल्लाह सिंहासन के ऊपर है। और तुम्हारे कोई भी कर्म अल्लाह से छिपे नहीं है।”[5]
4. सिंहासन में स्तंभ हैं
पैगंबर ने कहा: "पुनरुत्थान के दिन लोग बेहोश हो जाएंगे और मैं सबसे पहले होश में आऊंगा, और मैं मूसा को सिंहासन के एक स्तंभ से चिपका हुआ पाऊंगा। तब मुझे पता नहीं चलेगा कि वह मेरे से पहले होश में आया है या तूर (सिनाई में) के पहाड़ पर उसकी बेहोशी के कारण उसे छूट मिली है।”[6])
5. स्वर्गदूत जो इसे उठाये होंगे
अल्लाह ने कहा: "वे (स्वर्गदूत) जो अपने ऊपर उठाये हुए हैं अर्श (सिंहासन) को तथा जो उसके आस-पास हैं, वे पवित्रता गान करते रहते हैं अपने पालनहार की प्रशंसा के साथ”(क़ुरआन 40:7)
अल्लाह ने यह भी कहा: "और स्वर्गदूत उसके किनारों पर होंगे तथा उठाये होंगे आपके पालनहार के अर्श (सिंहासन) को अपने ऊपर.” (क़ुरआन 69:17)
इसके अलावा, अल्लाह सिंहासन ले जाने वाले महान स्वर्गदूतों के बारे में बताता है। वे अल्लाह के सबसे अच्छे स्वर्गदूतो में से विशाल शानदार प्राणी हैं। अल्लाह हमें बताता है कि न्याय के दिन आठ स्वर्गदूत होंगे जो उसके सिंहासन को उठाये होंगे (क़ुरआन 69:17)। पैगंबर ने कहा, "मुझे सर्वशक्तिमान अल्लाह के स्वर्गदूतों में से एक के बारे में बताने की अनुमति दी गई है, जो सिंहासन को उठाने वालों मे से एक है और आपको बता दूं कि उसके कान और उसके कंधे के बीच की दूरी सात सौ साल की यात्रा है” (अबू दाऊद)। इसे इन शब्दों के साथ भी बताया गया था, "यह दूरी पक्षी के सात सौ साल तक उड़ने के बराबर है।”[7]
ईश्वर हमें बताता है कि जो स्वर्गदूत उसके सिंहासन को उठाये होंगे और जो उसके आस-पास होंगे अल्लाह की प्रशंशा करते हैं, उस पर विश्वास करते हैं और विश्वास करने वालों के लिए क्षमा मांगते हैं। वे उनके लिए यह कहते हुए प्रार्थना करते हैं कि "ऐ हमारे पालनहार! तूने घेर रखा है प्रत्येक वस्तु को (अपनी) दया तथा ज्ञान से। अतः, क्षमा कर दे उनको जो क्षमा मांगे तथा चले तेरे मार्ग पर तथा बचा ले उन्हें, नरक की यातना से।” (क़ुरआन 40:7)
वे अल्लाह की महिमा कर रहे हैं और उसकी पूर्णता की घोषणा कर रहे हैं यह दिखाने के लिए कि वह सिंहासन से स्वतंत्र है और सिंहासन उठाने वालों से स्वतंत्र है। अल्लाह को सिंहासन की आवश्यकता नहीं है और न ही सिंहासन उठाने वालो की आवश्यकता है।
पावदान (कुर्सी)
कुर्सी एक पावदान है जो सिंहासन पर बैठने के लिए एक सीढ़ी की तरह है, और अल्लाह सिंहासन के ऊपर है, फिर भी उससे कुछ भी छिपा नहीं है।
सिर्फ कुर्सी (पावदान) के नीचे ही सभी आकाश और पृथ्वी है (क़ुरआन 2:255)। पैगंबर मुहम्मद ने कहा, "सिंहासन के संबंध में पावदान पृथ्वी पर एक खुले रेगिस्तान में फेंके गए लोहे की अंगूठी से ज्यादा कुछ नहीं है" (तफ़सीर तबरी)। हमें इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि सिंहासन आकार में कितना बड़ा है और स्पष्ट रूप से हम स्वयं अल्लाह की महानता का अनुमान नहीं लगा सकते हैं।
अल्लाह दूर नहीं है; वह पूरे क़ुरआन में इस बात पर जोर देता है कि हम जहां भी हों, वह हमारे साथ है। सूरह अल-हदीद (अध्याय 57) में , जब अल्लाह हमें बताता है कि वह अपने सिंहासन के ऊपर है, इसके तुरंत बाद ही वह हमें बताता है कि वह जानता है उसे, जो प्रवेश करता है धरती में, जो निकलता है उससे, जो उतरता है आकाश से तथा चढ़ता है उसमें। संक्षेप में, वह हर चीज का सूक्ष्मतम विवरण जानता है (क़ुरआन 57:4)। हम जानते हैं कि अल्लाह अपने सिंहासन के ऊपर है, लेकिन वह सर्वशक्तिमान है और उसके ज्ञान मे सब कुछ समाया हुआ है।
फुटनोट:
[1]तबरी द्वारा सहीह और तिर्मिज़ी, धाबी और इब्न तैमिया द्वारा हसन के रूप में वर्गीकृत है, तिर्मिज़ी, अबू दाऊद
[2] तिर्मिज़ी, इब्न माजा
[3] सहीह अल-बुखारी
[4] अल- बुखारी, मुसनद
[5] अबू अस-शैख अल-असबहानी द्वारा लिखित "अल-`अज़ामा", अहमद अद-दयनुरी द्वारा लिखित "अल - मुजलासाह व जवाहिर अल-`इल्म", अद-दारीमी द्वारा लिखित "अन-नक़्द", अल- लालिकाई द्वारा लिखित "शर इत्तिकाद अहल अस्सुन्नह वल जमात", इब्न कुज़ामा द्वारा लिखित "इसबत सिफत अल-उलु"।
[6] सहीह अल-बुखारी
[7] इब्न अबी 'असीम'
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