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स्तर
-
स्तर 1 (23)
- आस्था की गवाही
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 1)
- इस्लाम के स्तंभों और आस्था के अनुच्छेदों का परिचय (2 भागो का भाग 2)
- नए मुसलमान बने लोगों के कुछ सामान्य प्रश्न
- ज्ञान प्राप्त करने का महत्व
- स्वर्ग (2 का भाग 1)
- स्वर्ग (2 का भाग 2)
- रात की यात्रा
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 1)
- हाल ही में परिवर्तित हुए लोग कैसे प्रार्थना करें (2 का भाग 2)
- परिवार को बताना (2 का भाग 1)
- परिवार को बताना (2 का भाग 2)
- मुस्लिम समुदाय के साथ तालमेल बिठाना
- अच्छी संगति रखना
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 1): तौहीद की श्रेणियां
- अल्लाह पर विश्वास (2 का भाग 2): शिर्क, तौहीद का विपरीत
- पैगंबरो पर विश्वास
- धर्मग्रंथों में विश्वास
- स्वर्गदूतों में विश्वास
- न्याय के दिन में विश्वास
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 1)
- ईश्वरीय पूर्वनियति में विश्वास (2 का भाग 2)
- एक नए मुस्लिम के लिए अध्ययन पद्धति
-
स्तर 2 (25)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 1)
- आओ मुहम्मद के बारे मे जानें (2 का भाग 2)
- पवित्र क़ुरआन का संरक्षण
- प्रार्थना (नमाज) का महत्व
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) का शिष्टाचार
- वुज़ू (वूदू)
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 1): प्रार्थना करने से पहले
- नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 का भाग 2): प्रार्थना का विवरण
- प्रार्थना के आध्यात्मिक लाभ
- नमाज़ के चिकित्सा लाभ
- पेशाब या शौच करने का तौर-तरीका
- माहवारी
- इस्लाम के आहार कानून का परिचय
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 1)
- मुस्लिम परिवार से परिचय (2 का भाग 2)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 1)
- ईश्वर के प्रति प्रेम और उसे कैसे प्राप्त करें (2 का भाग 2)
- उपवास का परिचय
- उपवास कैसे करें
- ईद और रमजान की समाप्ति
- अल्लाह कहां है?
- इब्राहिम (2 का भाग 1)
- इब्राहिम (2 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा की सरल व्याख्या
- क़ुरआन के तीन छोटी सूरह की सरल व्याख्या
-
स्तर 3 (30)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 2)
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 3)
- हदीस और सुन्नत के लिए शुरुआती मार्गदर्शक
- नमाज़ का महत्व
- नमाज़ के पूर्व-आवश्यकताएँ
- इस्लाम मे स्वच्छता
- स्नान (घुस्ल)
- अंगशुद्धि (वुज़ू)
- दो रकाअत नमाज़ पढ़ना
- तीन रकाअत नमाज़ पढ़ना
- चार रकाअत नमाज़ पढ़ना
- नमाज़ के सामान्य बिंदु
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 1): जागने से लेकर देर सुबह तक
- एक मुसलमान के जीवन का एक दिन (2 का भाग 2): दोपहर से ले कर सोने तक
- गैर-मुस्लिमों का भाग्य
- पश्चाताप (3 का भाग 1): मोक्ष का द्वार
- पश्चाताप (3 का भाग 2): पश्चाताप की शर्तें
- पश्चाताप (3 का भाग 3): पश्चाताप की प्रार्थना
- क्या हम अल्लाह को देख सकते हैं?
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 1)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 2)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 3)
- सुन्नत का संरक्षण (4 का भाग 4)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 1)
- भोजन करना – इस्लामी तरीका (2 का भाग 2)
- क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
- मोज़े के ऊपर से पोंछना, छूटी हुई प्रार्थना पूरी करना, और एक यात्री की प्रार्थना
- शकुन
- टोटका और ताबीज
-
स्तर 4 (30)
- अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
- अज़ान (2 का भाग 2): प्रार्थना के लिए पुकार
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 1)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 2)
- शिर्क और इसके प्रकार (3 का भाग 3)
- अनुष्ठान स्नान (ग़ुस्ल) के अनुशंसित नियम
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 1)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 2)
- सूरह अल-फातिहा पर विचार (3 का भाग 3)
- सूखी वुज़ू (तयम्मुम)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 1)
- संप्रदायों का परिचय (2 का भाग 2)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 1)
- शैतान से सुरक्षा (2 का भाग 2)
- अपने चरित्र को सुधारना
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 1)
- आत्मा की शुद्धि का परिचय (2 का भाग 2)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 1)
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 2): अवराह और महरम
- इस्लामी पहनावा (3 का भाग 3): प्रार्थना और ज्ञान
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 1)
- शैतान: मानव जाति का सबसे बड़ा दुश्मन (2 का भाग 2)
- प्रार्थना (2 का भाग 1)
- प्रार्थना (2 का भाग 2)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 1)
- अल्लाह की दया (2 का भाग 2)
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 1): मुसलमानों की पहली पीढ़ी
- इस्लाम में रोल मॉडल (2 का भाग 2)
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षा और समस्याएं (2 का भाग 1): जीवन की कठिनाइयों में अल्लाह की दया होती है
- धर्म परिवर्तन के बाद परीक्षण और समस्याएं (2 का भाग 2)
-
स्तर 5 (29)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 1)
- मस्जिद में जाने के शिष्टाचार (2 का भाग 2)
- अच्छी आदतें जो नए मुसलमानों को सीखना चाहिए
- पैगंबर नूह के जीवन की झलकियां
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 1)
- शुक्रवार की नमाज़ (2 का भाग 2)
- पैगंबर इब्राहिम के जीवन की झलकियां
- विवाह सलाह (2 का भाग 1)
- विवाह सलाह (2 का भाग 2): व्यावहारिक कदम
- पतियों और पत्नियों के अधिकार और जिम्मेदारियां
- इस्लामी विवाह के विस्तृत व्यावहारिक पहलू
- पैगंबर लूत के जीवन की झलकियां
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 1): धैर्य, कृतज्ञता और विश्वास
- उदासी और चिंता से कैसे निपटें (2 का भाग 2): अल्लाह के साथ संबंध स्थापित करें
- पैगंबर युसूफ के जीवन की झलकियां
- इस्तिखारा प्रार्थना
- पैगंबर अय्यूब के जीवन की झलकियां
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 1)
- ज़कात के लिए आसान मार्गदर्शन (2 का भाग 2)
- पैगंबर मूसा के जीवन की झलकियां
- क्या मुझे अपना नाम बदलना चाहिए?
- पैगंबर ईसा के जीवन की झलकियां
- संदेह से निपटना
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 1): मक्का अवधि
- पैगंबर मुहम्मद की एक संक्षिप्त जीवनी (2 का भाग 2): मदीना अवधि
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 1)
- ड्रग्स, शराब और जुआ (2 का भाग 2)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 1)
- जिन्न की दुनिया (2 का भाग 2)
-
स्तर 6 (27)
- स्वैच्छिक प्रार्थना
- जानवरों के प्रति व्यवहार
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 1)
- झूठ बोलना, चुगली करना और झूठी निंदा करना (2 का भाग 2)
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 1): आस्था हमेशा स्थिर स्तर पर क्यों नहीं रहती
- आस्था बढ़ाना (2 का भाग 2): अपनी आस्था (ईमान) बढ़ाना और पुरस्कार अर्जित करना
- स्वैच्छिक उपवास
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 1): छोटी निशानियां
- न्याय के दिन की निशानियां (2 का भाग 2): प्रमुख निशानियां
- व्यभिचार, वैश्यावृति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 1)
- व्यभिचार, वेश्यावृत्ति, और पोर्नोग्राफ़ी (2 का भाग 2)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 1)
- विपरीत लिंगो के बीच मेलजोल के इस्लामी दिशानिर्देश (2 का भाग 2)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 1)
- शरिया का परिचय (2 का भाग 2)
- मानव स्वभाव के अनुरूप कार्य (सुनन अल-फ़ित्रह)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 1)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 2)
- ईद-उल-अजहा शुरू से आखिर तक (3 का भाग 3)
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 1): बिदअत के दो प्रकार
- इस्लाम में नवाचार (2 का भाग 2): क्या यह एक बिदअत है?
- रमजान: अंतिम दस रातें
- उम्रह (2 का भाग 1)
- उम्रह (2 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 1)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 2)
- इस्लाम में पापों की अवधारणा (3 का भाग 3)
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स्तर 7 (30)
- इस्लाम में परवरिश (2 का भाग 1)
- इस्लाम मे परवरिश (2 का भाग 2)
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 1): बड़ा पाप क्या होता है?
- इस्लाम में बड़े पाप (2 का भाग 2): बड़े पाप और इनसे पश्चाताप करने का तरीका
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 1)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 2)
- तीर्थयात्रा (हज) (3 का भाग 3)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अबू बक्र (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उमर इब्न अल-खत्ताब (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: उस्मान इब्न अफ्फान (2 का भाग 2)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 1)
- सही मार्गदर्शित खलीफा: अली इब्न अबी तालिब (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 1): दिन शुरू होगा
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 2): न्याय से पहले
- न्याय के दिन की घटनाएं (3 का भाग 3): न्याय शुरू होगा
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 1)
- इस्लाम में ब्याज (2 का भाग 2)
- सूरह अल-अस्र की व्याख्या
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 1): मृत्यु अंत नहीं है
- कब्र में प्रश्न (2 का भाग 2): न्याय के दिन तक आपका ठिकाना
- तकवा के फल (2 का भाग 1)
- तकवा के फल (2 का भाग 2)
- सूरह अल-इखलास की व्याख्या
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 1): पड़ोसियों के साथ दयालु व्यवहार
- इस्लाम में पड़ोसियों के अधिकार (2 का भाग 2): पड़ोसी - अच्छा और बुरा
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 1): अल्लाह की दया प्रकट होगी
- जब कोई छाया न होगी तो इन लोगो को छाया में रखा जायेगा (2 का भाग 2): छाया मे रहने का प्रयास
-
स्तर 8 (29)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास क्या है? (भाग 2 का 1)
- ईमानदारी से पूजा करना: इखलास बनाम रिया (2 का भाग 2)
- वैध कमाई
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: सलमान अल-फ़ारसी
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: बिलाल इब्न रबाह
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अम्मार इब्न यासिर
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: ज़ायद इब्न थाबित
- पैगंबर मुहम्मद के साथी: अबू हुरैरा
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 1)
- इस्लामी शब्द (2 का भाग 2)
- नमाज़ में खुशू
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 1): संदेश को यथासंभव सर्वोत्तम तरीके से फैलाएं
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 2): सबसे पहले तौहीद
- गैर-मुस्लिमो को सही राह पर आमंत्रित करना (3 का भाग 3): परिवार के लोगो, दोस्तों और सहकर्मियों को आमंत्?
- अल्लाह पर भरोसा और निर्भरता
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (2 का भाग 1)
- एक अच्छा दोस्त कौन है? (भाग 2 का 2)
- अभिमान और अहंकार
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 1): विश्वासियों की माताएँ कौन हैं?
- विश्वासियों की माताएं (2 का भाग 2): परोपकारिता और गठबंधन
- मुस्लिम समुदाय में शामिल होना
- उम्मत: मुस्लिम राष्ट्र
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 1)
- इस्लामी तलाक के सरलीकृत नियम (2 का भाग 2)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 1)
- एक मुस्लिम विद्वान की भूमिका (2 का भाग 2)
- मुसलमान होने के लाभ
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 1)
- पवित्र शहरें; मक्का, मदीना और जेरूसलम (2 का भाग 2)
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स्तर 9 (30)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 1)
- नमाज़ - उन्नत (2 का भाग 2)
- जीवन का उद्देश्य
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 1)
- क़ुरआन क्यों और कैसे सीखें (2 का भाग 2)
- पैगंबरो के चमत्कार
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 1)
- पवित्रशास्त्र के लोगों के लिए मांस (2 का भाग 2)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 1)
- जिक्र (अल्लाह को याद करना): अर्थ और आशीर्वाद (2 का भाग 2)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 1)
- न्याय के दिन मध्यस्थता (2 का भाग 2)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 1)
- क़ुरआन के गुण (2 का भाग 2)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 1)
- अच्छी नैतिकता (2 का भाग 2)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 1)
- इस्लामी स्वर्ण युग (2 का भाग 2)
- इस्लाम मे सोशल मीडिया
- आराम, मस्ती और मनोरंजन
- ज्योतिष और भविष्यवाणी
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद के चमत्कार (2 का भाग 2)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 1)
- बुरी नैतिकता से दूर रहना चाहिए (2 का भाग 2)
- उपवास और दान के आध्यात्मिक लाभ
- सपने की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मक्का अवधि (3 का भाग 3)
-
स्तर 10 (26)
- जिहाद क्या है?
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 1)
- पैगंबर आदम: मानवजाति की शुरुआत (2 का भाग 2)
- सूरह अज़-ज़ल्ज़ला की व्याख्या
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की नैतिकता (2 का भाग 2)
- पर्यावरण का संरक्षण
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 1)
- इस्लाम में अपराध और सजा (2 का भाग 2)
- भूलने का सजदा
- हदीस शब्दावली का परिचय
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 1)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 2)
- पैगंबर मुहम्मद की विस्तृत जीवनी - मदीना अवधि (3 का भाग 3)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 1)
- सृजन की कहानी (2 का भाग 2)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 1)
- अंतिम संस्कार (2 का भाग 2)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 1)
- इस्लामी वसीयत और विरासत (2 का भाग 2)
- पैगंबर के कथन: ईमानदारी
- मीडिया स्टीरियोटाइपिंग को समझना
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 1)
- स्वास्थ्य और फ़िटनेस (2 का भाग 2)
- अंतरंग मुद्दे
- इस्लाम कुछ विचित्र के रूप में शुरू हुआ
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क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
विवरण: यह पाठ आयतुल कुर्सी को याद करने और इसके अर्थ को समझने में सहायक है।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
प्रिंट किया गया: 26 - ईमेल भेजा गया: 0 - देखा गया: 3,211 (दैनिक औसत: 4)
आवश्यक शर्तें
·अल्लाह पर विश्वास (2 भाग)
उद्देश्य
·सरल भाषा में आयतुल कुर्सी का अनुवाद और व्याख्या सीखना।
अरबी शब्द
·तौहीद - प्रभुत्व, नाम और गुणों के संबंध में और पूजा की जाने के अधिकार में अल्लाह की एकता और विशिष्टता।
·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।
·सूरह - क़ुरआन का अध्याय।
·कुर्सी - कुर्सी।
आयतुल कुर्सी
आयतुल कुर्सी[1], क़ुरआन की सबसे महानतम आयत, सूरह अल-बकरा की 255 वीं आयत है। इसे पढ़ने पर बड़ी कृपा होती है। पैगंबर (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) ने हमें हर अनिवार्य नमाज के बाद और सोने से पहले इसे पढ़ने का निर्देश दिया है। आयतुल कुर्सी शैतान के खिलाफ सबसे शक्तिशाली सुरक्षा है।
पाठ, लिप्यंतरण, अनुवाद और व्याख्या
“अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू अल हय्युल क़य्यूम ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़ मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़ वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा वहुवल अलिय्युल अज़ीम” (क़ुरआन 2:255)
اللّهُلاَإِلَـهَإِلاَّهُوَ
अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू
अल्लाह के सिवा कोई पूज्य नहीं
यह तौहीद अल-उलुहिया की पुष्टि है, कि उसके अलावा कोई ईश्वर नही है। उसके सिवा कोई पूजा का पात्र नहीं है। उसके अलावा या उसके साथ किसी की भी पूजा नहीं की जानी चाहिए। यही हमारे जीवन का उद्देश्य है और यही कारण है कि अल्लाह ने पैगंबरो को भेजा और पुस्तकें भेजीं। और अंत में, यह वह पहलू है जिसके बारे में हमें न्याय के दिन आंका जाएगा।
الْحَيُّالْقَيُّومُ
अल हय्युल क़य्यूम
वह जीवित तथा नित्य स्थायी है
पूर्ण शाश्वत जीवन का स्वामी, जो जीवन से पहले था और उसका अस्तित्व कभी समाप्त नहीं होगा। वह पहला है जिसकी शुरुआत नहीं हुई, और अंत तक रहेगा बिना समाप्ति के। उसके पहले या बाद में कुछ भी नहीं है। वह पूरे ब्रह्मांड को जीवन देता है, लेकिन कोई भी उसे जीवन नहीं देता है। उत्तम जीवन का अर्थ है कि उनके पास श्रवण, दृष्टि, शक्ति और ज्ञान जैसे उत्तम गुण हैं। उनका जीवन मानव जीवन जैसा नहीं है।
अल्लाह आत्मनिर्भर है जो बाकी सब का पालन-पोषण करता है। वह न तो बदलता है और न ही मिटता है। अल्लाह के बिना सृष्टि का अस्तित्व नहीं हो सकता।
अल्लाह के सिवा पूजी जाने वाली हर चीज़ न तो हमेशा रहने वाली है और न ही सृष्टि उस पर निर्भर है। बल्कि, वे अपने भरण-पोषण के लिए अल्लाह पर निर्भर हैं।
لاَتَأْخُذُهُسِنَةٌوَلاَنَوْمٌ
ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम
उसे ऊंघ तथा निद्रा नहीं आती।
नींद और ऊंघ निर्मित प्राणियों पर हावी हो जाती है, लेकिन रचयिता न तो सोता है और न ही वह ऊंघता है। वह न थकता है और न विश्राम करता है। सृष्टि के विपरीत, वह ऐसे दोषों से मुक्त है। उसका होना परिपूर्ण है। उसके पास पूर्णता और महिमा का गुण है।
لَّهُ مَافِيالسَّمَاوَاتِوَمَا فِيالأَرْضِ
लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़
आकाश और धरती में जो कुछ है, सब उसी का है
उनमें से और उनके बीच जो कुछ है, वह अल्लाह का है। वह परमप्रधान, प्रदाता, राजा, नियामक है। सारी सृष्टि उसके राज्य की प्रजा है, और वह उनके साथ जो चाहे कर सकता है। अल्लाह के अलावा पूजी जाने वाली वस्तुओं का किसी भी चीज़ पर कोई नियंत्रण नहीं है और न ही प्रभुत्व है।
مَن ذَاالَّذِييَشْفَعُعِنْدَهُإِلاَّبِإِذْنِهِ
मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह
कौन है, जो उसके पास उसकी अनुमति के बिना अनुशंसा (सिफ़ारिश) कर सके?
कोई भी अल्लाह की अनुमति और प्रसन्नता के बिना किसी की ओर से हस्तक्षेप और किसी की वकालत नहीं कर सकता है। हर चीज पर अल्लाह का पूरा नियंत्रण है। मध्यस्थता अल्लाह की कृपा और दया से है और न्याय के दिन केवल उन लोगों के लिए आरक्षित है जिन्हें अल्लाह मध्यस्थता करने की अनुमति देगा, जैसे पैगंबर और धर्मी लोग। जो लोग अल्लाह की मध्यस्थता के लिए पूजा करते हैं, उन्हें मध्यस्थता करने का कोई अधिकार नहीं है।
يَعْلَمُمَا بَيْنَأَيْدِيهِمْوَمَاخَلْفَهُمْ
यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम
जो कुछ उनके समक्ष और जो कुछ उनसे ओझल है, सब जानता है
वह अपनी रचना की स्थिति जानता है। वह जानता है कि क्या था, क्या है और क्या होगा। वह जानता है कि क्या छिपा है और क्या प्रकट है। वह जानता है कि उसके प्राणियों ने क्या हासिल किया और क्या खोया। वह जानता है कि उन्होंने अतीत में क्या किया और भविष्य में वे क्या करेंगे। वह जानता है कि वे क्या छिपाते हैं और क्या दिखाते हैं। अल्लाह के ज्ञान से कुछ भी नहीं बचता। कुछ भी अल्लाह को भ्रमित नहीं करता है। अल्लाह का ज्ञान असीम है, जबकि सृष्टि सीमित है।
وَلاَيُحِيطُونَبِشَيْءٍمِّنْعِلْمِهِإِلاَّبِمَا شَاء
वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा
उसके ज्ञान में से वही जान सकते हैं, जिसे वह चाहे।
अल्लाह ने इंसानों को ज्ञान का वरदान दिया है, लेकिन मानव ज्ञान कितना भी आगे बढ़ जाये वह दिव्य ज्ञान की तुलना में समुद्र में एक बूंद के बराबर ही रहेगा। मनुष्य स्वयं को पूर्ण रूप से नही जान सकता, तो वे अनदेखी दुनिया के ज्ञान को समझने की कल्पना कैसे कर सकता है? सृष्टि में से कोई भी अनदेखी दुनिया के बारे में कुछ भी नहीं जानता, सिवाय उन पैगंबरो के जिन्हें इसके बारे में कुछ ज्ञान दिया गया था।
وَسِعَكُرْسِيُّهُالسَّمَاوَاتِوَالأَرْضَ
वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़
उसकी कुर्सी आकाश तथा धरती को समोये हुए है।
जिस प्रकार ईश्वरीय ज्ञान में समस्त सृष्टि समाहित है, उसी प्रकार कुर्सी में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समाहित है। यही अल्लाह की महानता है।
وَلاَيَؤُودُهُحِفْظُهُمَا
वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमा
उन दोनों की रक्षा उसे नहीं थकाती।
कुछ भी उसे कमजोर नहीं करता है। बड़ा हो या छोटा, आसान हो या मुश्किल, कम हो या ज्यादा, महान हो या विनम्र - अल्लाह सबकी हिफाजत करता है और ऐसा करने में जरा भी नहीं थकाता है।
وَهُوَالْعَلِيُّالْعَظِيمُ
वहुवल अलिय्युल अज़ीम
वही सर्वोच्च, महान है।
अल्लाह सर्वोच्च है; उसके ऊपर कुछ भी नहीं है, और कुछ भी उसके समान नहीं है। परमप्रधान सभी विवरण और समझ से ऊपर है। अल्लाह महिमा और पवित्रता, पूर्णता और वैभव, सुंदरता और भव्यता का स्वामी है। अल्लाह से बड़ा कुछ नहीं है क्योंकि अल्लाह सर्वोच्च, महान है।
- क़ुरआन के लिए शुरुआती मार्गदर्शक (3 का भाग 1)
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क़ुरआन की सबसे महानतम आयत की सरल व्याख्या: आयतुल कुर्सी
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