अज़ान (2 का भाग 1): प्रार्थना के लिए पुकार
विवरण: इतिहास, गुण और तरीका।
द्वारा Imam Mufti
प्रकाशित हुआ 08 Nov 2022 - अंतिम बार संशोधित 07 Nov 2022
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आवश्यक शर्तें
·नए मुसलमानों के लिए प्रार्थना (2 भाग)
उद्देश्य
·यह समझना कि अज़ान में आस्था की सभी अनिवार्यताएं शामिल है।
·अज़ान का इतिहास जानना।
·अज़ान के 6 गुण जानना।
·अज़ान के शब्दों को सीखना।
अरबी शब्द
·अज़ान - मुसलमानों को पांच अनिवार्य प्रार्थनाओं के लिए बुलाने का एक इस्लामी तरीका।
·इक़ामाह - यह शब्द प्रार्थना के दूसरे आह्वान को संदर्भित करता है जो प्रार्थना शुरू होने से ठीक पहले दिया जाता है।
·शिर्क - एक ऐसा शब्द जिसका अर्थ है अल्लाह के साथ भागीदारों को जोड़ना, या अल्लाह के अलावा किसी अन्य को दैवीय बताना, या यह विश्वास करना कि अल्लाह के सिवा किसी अन्य में शक्ति है या वो नुकसान या फायदा पहुंचा सकता है।
·नमाज - आस्तिक और अल्लाह के बीच सीधे संबंध को दर्शाने के लिए अरबी का एक शब्द। अधिक विशेष रूप से, इस्लाम में यह औपचारिक पाँच दैनिक प्रार्थनाओं को संदर्भित करता है और पूजा का सबसे महत्वपूर्ण रूप है।
·तौहीद - प्रभुत्व, नाम और गुणों के संबंध में और पूजा की जाने के अधिकार में अल्लाह की एकता और विशिष्टता।
·हदीस - (बहुवचन - हदीसें) यह एक जानकारी या कहानी का एक टुकड़ा है। इस्लाम में यह पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों के कथनों और कार्यों का एक वर्णनात्मक रिकॉर्ड है।
·फज्र - सुबह की नमाज।
परिचय
भाषाई रूप से अज़ान शब्द का अर्थ है "एक उद्घोषणा", और क़ुरआन के छंद में इसका यही अर्थ है:
“तथा अल्लाह और उसके दूत की ओर से सार्वजनिक उद्घोषणा (अज़ान) है, महा ह़ज के दिन कि अल्लाह मिश्रणवादियों (मुश्रिकों) से अलग है तथा उसका दूत भी।” (क़ुरआन 9:3)
धार्मिक संदर्भ में, अज़ान वह उद्घोषणा है जिसमें विशिष्ट "स्मरण के शब्द" शामिल हैं कि एक अनिवार्य नमाज का समय हो गया है। पूरी मुस्लिम दुनिया में और पश्चिम में कुछ जगहों पर, नमाज के लिए बुलाने वाला हर मस्जिद से दिन में पांच बार घोषणा करता है कि यह नमाज़ का समय है, अल्लाह को याद करने का, और जीवन की सभी चिंताओं को दूर कर के जीवन देने वाले की पूजा करने का। प्रार्थना "ईश्वर सबसे महान है" सभ्यता के सभी रूपों के माध्यम से, छोटे शहरों से महानगरों तक प्रतिध्वनित होती है।
अज़ान के कुछ शब्दों में इस्लामी आस्था की सभी अनिवार्यताएं शामिल है:
1. यह अल्लाह की महानता की घोषणा से शुरू होता है।
2. यह अल्लाह के तौहीद और पूजा करने के उसके अनन्य अधिकार की गवाही देता है।
3. यह शिर्क (अल्लाह के अलावा किसी अन्य की पूजा) से इनकार करता है।
4. अज़ान इस बात की गवाही देता है कि मुहम्मद (उन पर अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो) अल्लाह के दूत हैं।
5. यह इस्लाम के सबसे महान स्तंभों में से एक नमाज (अनुष्ठान प्रार्थना) में विश्वास का उल्लेख करता है।
6. प्रार्थना के लिए आमंत्रित करता है और इसे समृद्धि, मोक्ष और सफलता (परलोक में) से जोड़ता है।
7. यह नमाज के बदले इनाम की पुष्टि करता है: उसके लिए समृद्धि जो तौहीद में अल्लाह को एक मानता है, उसके दूत का अनुसरण करता है, नमाज और इस्लाम के अन्य स्तंभों को स्थापित करता है।
8. इसका तात्पर्य उस व्यक्ति की हानि से है जो अज़ान का जवाब नहीं देता और प्रार्थना नहीं करता।
अज़ान का इतिहास
मदीना में पैगंबर के प्रवास के बाद पहले वर्ष के दौरान अज़ान को निर्धारित किया गया था। यह दो साथियों को सच्चे दर्शन में पढ़ाया गया था और पैगंबर द्वारा स्वयं मुस्लिम जीवन का हिस्सा बनाया गया था। पैगंबर के एक साथी अब्दुल्ला इब्न ज़ैद ने बताया:
“जब पैगंबर ने लोगों को प्रार्थना के लिए बुलाने के लिए घंटी के इस्तेमाल का आदेश दिया, तो उन्होंने इसे नापसंद किया क्योंकि यह ईसाई प्रथा से मिलता जुलता था। जब मैं सो रहा था, एक आदमी घंटी लेकर मेरे पास आया। मैंने उससे कहा, 'ऐ अल्लाह के बंदे, क्या तुम मुझे वह घंटी बेचोगे?’
उसने कहा, 'आप इसका क्या करेंगे?’
मैंने उत्तर दिया, 'मैं लोगों को इसके जरिये प्रार्थना करने के लिए बुलाऊंगा।’
उसने जवाब दिया, 'क्या मैं तुम्हें इससे बेहतर कुछ न बता दूं?’
मैंने कहा, 'बिल्कल बताएं।’
उसने कहा, 'आपको कहना चाहिए:
अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर
अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह, अशहदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह
अश्हदु अन-न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह,
अश्हदु अन-न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह
हय-य अलस्सलाह, हय-य अलस्सलाह
हय-य अलल फलाह, हय-य अलल फलाह
अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर। ला इला-ह इल्लल्लाह।’
फिर वह कुछ दूर चला गया और कहा, 'जब तुम नमाज़ के लिए खड़े हो तो कहो:
अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर
अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह
अश्हदु अन-न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह
हय-य अलस्सलाह, हय-य अलल फलाह
क़द क़मातिस-सलाह, क़द क़मातिस-सलाह
अल्लाहु अकबर,अल्लाहु अकबर। ला इला-ह इल्लल्लाह।’
जब सुबह हुई, तो मैं अल्लाह के दूत के पास गया और जो कुछ मैंने देखा वो बता दिया। उन्होंने कहा, 'तुम्हारा सपना सच है, अल्लाह की मर्जी है। बिलाल के पास जा, जो कुछ तू ने देखा है उसे बता, और उस से कह, कि वह प्रार्थना के लिये बुलाए, क्योंकि उसके पास तुम में सबसे अच्छी आवाज है।' मैं बिलाल के पास गया और उसे बताया कि क्या करना है, और उसने प्रार्थना करने के लिए बुलाया। 'उमर अपने घर में थे जब यह सुना। वह अपना चोगा लेकर बाहर आये और कहा, 'उसकी शपथ जिसने सच्चाई के साथ तेरा पद ऊंचा किया है, जैसा उस ने देखा, वैसा ही मैं ने देखा।' पैगंबर ने कहा, 'सभी प्रशंसा अल्लाह के लिए है।’”[1]
पैगंबर ने मदीना में अपनी मस्जिद में अज़ान देने के लिए दो साथियों को नियुक्त किया: एक पूर्व अफ्रीकी गुलाम बिलाल जिसको अबू बक्र ने आजादी दिलाई थी, और इब्न उम्म मकतूम फज्र की अज़ान के लिए। उन्होंने मक्का में अबू मह-ज़ुरा और क्यूबा में साद अल-क़राज़ को भी नियुक्त किया था।
अज़ान के गुण
हमारे पैगंबर मुहम्मद की कई हदीसें अज़ान के गुणों का और इसे कहने वाले का वर्णन करती हैं:
(1) “यदि लोगों को अज़ान के उच्चारण और पहली पंक्ति में (सामूहिक प्रार्थना में) खड़े होने का इनाम पता होता और उसे पाने का कोई और तरीका नहीं मिलता सिवाय पर्ची निकालने के, तो वे पर्चियां निकालते”[2]
यदि लोगों को अज़ान देने के भरपूर इनाम का पता होता, और उन्हें अज़ान देने का कोई और तरीका न मिलता सिवाय पर्ची निकालने के, तो वे इसके पुण्य को प्राप्त करने के लिए पर्चियां निकालते।
(2) “प्रार्थना के लिए बुलाने वाले सभी लोगों की गर्दन पुनरुत्थान के दिन सबसे लंबी होगी।”[3]
इस हदीस का यह अर्थ समझाया गया है कि वे स्वामी और सरदार होंगे, जैसा कि अरब वाले सरदारों को लंबी गर्दन वाले के रूप में वर्णित करते हैं, या इसका मतलब यह है कि उनके पास सबसे अच्छे कर्म होंगे।
(3) “पहली पंक्ति वालों पर अल्लाह ख़ुशियां भेजता है, और स्वर्गदूत उन पर दुआए भेजते हैं, और मुअज्जिन को जहां तक उसकी आवाज़ पहुंचती है, माफ़ कर दिया जाता है, और वह सुनता है और उसकी पुष्टि करता है, और उसके पास उनके साथ प्रार्थना करने वालों के समान इनाम।”[4]
(4) “आपका महान ईश्वर प्रसन्न होता है उससे जो अपने चरागाह में भेड़ों को चराता है, फिर प्रार्थना के लिए बुलाने और प्रार्थना करने के लिए पहाड़ पर जाता है। महान अल्लाह कहता है, 'मेरे दास को देखो जो प्रार्थना के लिए बुलाता है और मेरे डर से प्रार्थना करता है। मैंने अपने दास को क्षमा कर दिया है और उसे स्वर्ग में जाने की अनुमति दे दी है।’”[5]
(5) “इमाम एक गारंटर है, और प्रार्थना के लिए बुलाने वाला वह है जिसे विश्वास दिया गया है। ऐ अल्लाह, इमाम का मार्गदर्शन करो और प्रार्थना के लिए बुलाने वाले को क्षमा कर दो।”[6]
(6) “जो कोई बारह साल तक प्रार्थना के लिए बुलाता है, उसे स्वर्ग की गारंटी दी जाती है, और उसकी अज़ान के आधार पर प्रत्येक दिन उसके लिए साठ अच्छे कर्म लिखे जाएंगे, और उसके इकामा के आधार पर तीस अच्छे कर्म लिखे जाएंगे।”[7]
अज़ान कैसे कही जाती है?
अज़ान के शब्द ये हैं।
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे महान है
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे महान है
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे महान है
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे महान है
अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह
मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई अन्य पूजा के लायक नही है
अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह
मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई अन्य पूजा के लायक नही है
अश्हदु अन-न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह
मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद अल्लाह के दूत हैं
अश्हदु अन-न मुहम्मदर्रसूलुल्लाह
मैं गवाही देता हूं कि मुहम्मद अल्लाह के दूत हैं
हय-य अलस्सलाह
आओ प्रार्थना की ओर
हय-य अलस्सलाह
आओ प्रार्थना की ओर
हय-य अलल फलाह
आओ सफलता की ओर
हय-य अलल फलाह
आओ सफलता की ओर
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे महान है
अल्लाहु अकबर
अल्लाह सबसे महान है
ला इला-ह इल्लल्लाह[8]
अल्लाह के सिवा कोई अन्य पूजा के लायक नही है
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